परिस्थितियों जैसी हैं उन्हें वैसा ही स्वीकार करें- पांच सूत्र (१)
परिस्थितियों जैसी हैं उन्हें वैसा ही स्वीकार करें- पांच सूत्र (१) समय बहुत बलवान है ऐसा किताबों में लिखा गया है और हमने उसे बार-बार पढ़ा भी है और समय-समय पर महसूस भी किया है और एक बार फिर वक्त ने इसका अंदाज हमें दिला दिया है की उससे कोई नहीं जीत सकता और चाहा कर भी समय की धारा को कभी मोड़ा नहीं जा सकता ! एक बार मैंने कहा था की जब आप कतार में सबसे पीछे खड़े होंगें और कोई और आपका नेतृत्व कर रहा होगा तो आपको किंचित भी दुखी होने की, परेशान होने की जरुरत नहीं है क्योंकि जब कतार वापिसी करेगी तो आप सबसे पीछे नहीं बल्कि सबसे आगे होंगे और कतार की कमान संभाल रहे होंगे, कतार का नेतृत्व कर रहे होंगें उसी कतार का जिसमें कभी आप सबसे पीछे थे, यांनि समय और परिस्थितियां सदैव एक सी नहीं रहती बस जरुरत है आपको अपने आपको क़ायम रखने की ! वर्तमान विश्व में जो परिदृश्य बने हुए हैं उसमें यह बात बिल्कुल सटीक और सही साबित होती दिखती है और इन्हीं परिस्थितियों को एक शृंख्ला-बद्द तरीके से एक-एक मोती को हम माला मैं पिरोने का प्रयास करेंगें: १) समय चलायमान और परिवर्तनशील है वह कभी भी एक सा नहीं रहता