सयंम और समय
सयंम और समय जब हमारे पास समय होता है तो सयंम नहीं होता और जब सयंम आता है तो समय निकल गया होता है ! एक बार की बात है एक व्यक्ति अनजान और सुनसान टापू पर अकेला फंस गया, बहुत प्रयास और इन्तजार के बाद भी उसे वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था, दिन बीतते गए उसके सब प्रयास और आशाएं उसे ख़त्म होती सी लगी और एक दिन अचानक सवेरे के समय एक खाली किश्ती समुन्दर की लहरों से टकराती हुई टापू की तरफ आती दिखी व्यक्ति की ख़ुशी का ठिकाना न रहा, टापू से निकलने की उसकी उम्मीद जाग उठी, वह प्रफुलित हो उठा क्योंकि उसके कठिन समय की समाप्ति होने वाली थी, उसके चेरहे पर अनजान सी ख़ुशी थी बहुत दिनों के सब्र के बाद उसका बुरा समय जाने वाला था और उसे अपने सामने किश्ती के रूप में एक बहुत खूबसूरत समय दिखाई दे रहा था ! किन्तु किश्ती थी की समुद्र की लहरों में हिचकोले खाती कभी किनारे की तरफ आती और कभी की लहरों के साथ अंदर को गहराई की तरफ खींची चली जाती, सुबह बीती और दोपहर हो गई किन्तु लहरों से लड़ती किश्ती किनारे लगने का नाम नहीं ले रही थी, व्यक्ति की बैचेनी चरम पर थी क्योंकि सांझ भी पास थी और अंधेरों से लड़ते ल