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Showing posts from March, 2018

कल कभी नहीं आता....अगले दिन फिर वो आज बन जाता है कल नहीं रहता !

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कल कभी नहीं आता, और बहुत गौर करने के बाद मैंने पाया की यह बात बिलकुल सही है क्योंकि अगले दिन फिर वो …. आज बन जाता है कल नहीं रहता, इसलिए मेरा मानना है की हम सिर्फ आज में जियें, आज हम क्या कर सकतें हैं और क्या नहीं.....! आप बस इतना करना की सिर्फ आज के लिए में यह नहीं करूँगा.....! किसी दूसरे के शब्दों के खंजर से अपनी मुस्कान की हत्या, अपने वाणी के बाणों से दूसरे को जख्म, अपने आने वाले कल की चिंता, अपने बीते हुए कल पर चिंतन, अपने आंसुओं की कीमत का आंकलन, मैंने जो किया वह कितना सही था और कितना गलत उस पर मंथन, न किसी का मुझसे दिल दुखे और न ही अपने दिल पर कोई दुःख या बोझ रखूँ, क्या करूँ, क्या न करूँ, क्या सही क्या गलत इन बातों को सोचने में अपना समय बर्बाद, मुझे आज कौन सा दुःख है, कौन सा दर्द है उसकी लंबी चौड़ी लिस्ट से मुक्ति ! और बस सिर्फ आज के लिए में  यह करूँगा.....! अपने शब्दों में सयम रखूँगा, जितनी जरुरत है उससे दो शब्द कम ही बोलूँगा, इस क्षण में जीऊँगा, दूसरे को सुनने की कोशिश करूँगा बजाए बोलने में अपनी ताकत बर्बाद करने में, जो मेरे सामने है

आपकी जिन्दगी बदलने वाली है...!

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आपकी जिन्दगी बदलने वाली है......जी हाँ पर इसके लिए आपको ही प्रयास करना होगा, यह काम आपके लिए कोई और नहीं करेगा....! जो आप के साथ अभी इस वक्त घट रहा है उसके लिए कौन जिम्मेदार है उसका मंथन कतई न करें, आप या कोई और, अपने आप को इन सवालों में न उलझाएं !                      जो आप के साथ घट रहा है उससे आपका बुरे से बुरा क्या हो सकता है, परिस्थितियाँ आपका क्या बुरा कर सकती हैं, और इनका आप पर क्या असर पड़ेगा , जी हाँ बुरे से बुरे में भी आप का कुछ नहीं बिगड़ने वाला, तो फिर चिंता किस बात की ! आप अपनी इच्छाओं को जरूर पूरा करें, उनको रोकें नहीं, कौन क्या कहता है, कौन क्या कहेगा इसकी रत्ती भर भी परवाह न करें ! अगर आपका मन परेशान हो तो अपने बच्चों के साथ बच्चे बन जाएँ, सब काम छोड़ दें और अपने परिवार के साथ समय बिताएं ! जो बातें आपको परेशान करती हैं उनको पकडे न रखें, अपना ध्यान कहीं और लगाएं ,अपना शरीर और मन पूरी तरह ढीला छोड़ दें ! आप दुनिया के सबसे खूबसूरत इंसान हैं, अपनी तुलना किसी से न करें ! जिन्दगी की भागम-भाग से बचें, अपने और अपने परिवार को समय दें, साल में एक बार

अपनी कुछ आदतें समय रहते बदलिए....इससे पहले की समय उनको बदल दे !

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अपनी कुछ आदतें समय रहते बदलिए....इससे पहले की समय उनको बदल दे ! हमारी कुछ आदतें जो हमें लंबे समय में जाकर हमारे लिए परेशानी बन जाती है, उन्हें समय रहते सुधारना बहुत जरुरी है वर्ना वो आदतें हमारे नियंत्रण से बाहर हो और अंत में हमारी किस्मत बन जाती हैं : हम अपने किसी भी सरल काम को जब तक की कठिन या complicate नहीं बना लेते तब तक उस काम को अंजाम तक नहीं पहुंचाते और जब वो कठिन हो जाता है तब अपनी किस्मत को कोसतें हैं, इसलिए सदा सरल काम को सरलता पुर्वक करें ! अपना दुखड़ा हर किसी को न बांटिये, हर किसी के पास अपने दुःख हैं और कोई नहीं चाहता की उसकी गठरी में और वजन पड़े, इसलिए किसी से कुछ देर अगर मिलें भी तो कुछ मीठा हो जाए....यानि कुछ हलकी-फुलकी मीठी बातें करें, खुद भी हलके रहें और दूसरे को भी हल्का रखें ताकि आपसे वो आगे हो कर बात करना चाहे ! हमेशा complaint ....हमेशा शिकायत, complaint box न बनें हर परिस्थिति हर लोग आपके अनुसार नहीं हो सकते, उन्हें बदलने या उनसे शिकायत करने की बजाए उन्हें अपनालें जितना लोगों को , परिस्थितियों को resist करोगे उतनी ही वह persist करेंगी,

हर नारी को उसके हर रूप में सलाम...!

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जी हाँ नारी की शक्ति बहुत जबरदस्त है, वह घर की, परिवार की ताकत है, नारी का कोई भी स्वरूप हो, किसी भी रूप में हो हर समय एक मजबूत स्तम्भ की तरह अपने परिवार के साथ खड़ी रहती है और परिवार को हर तूफानों में कायम रखती है ! वो माँ है, वो  बेटी है,  वो बहन है, वो पत्नी है .......!   माँ के रूप में वो ताकत है अपने बच्चों की , उनको सही राह दिखाने वाली, उनकी मुश्किल घडी में उनके दर्द को अपने अंदर समेट उनकी दवा है , खुद कितनी भी थकी हो पर अपने बच्चों की थकान को ओढ़ने वाली, रास्तों के कंकर हटाने वाली और उनको मंजिल तक पहुंचाने वाली माँ ही है......उस माँ को सलाम जो शांत है, निर्मल है ,शीतल है......एक दरिया है माँ जिसके द्वार से कभी भी कोई प्यासा नहीं गया, न ही जाएगा, वो माँ है.....! बेटी के रूप में उस नारी को सलाम जो अपने माता-पिता की लाठी है उस वक्त भी जब बेटों के रूप की बड़ी से बड़ी लाठियां भी धराशाई हो जाती हैं अपनी जिम्मेदारियों को निभाने से पहले, लेकिन बेटी का सहारा कभी नहीं टूटता,  जो बेटा  है दीपक अगर तो बाती उसमें बेटी है खुद को जलाकर कह रही अंधेरों से मुझको लड़ने दो......मुझको आगे बढ़

मन बहुत ही चंचल है इसे बांधें रखें, अपने काबू में रखें..और अपने बाकी बंधन खोल दें !

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आपका मन एक घोड़े की तरह है और शरीर उस घोड़े के साथ की बग्गी है, आप उस बग्गी पर सवार हैं, उसकी सवारी हैं, जब तक आपका घोडा यानि आपका मन आपके कंट्रोल में है तब तक आपकी बग्गी यानि आपका शरीर और सवार यानि आप दोनों सही-सलामत रहेंगे, जिस दिन आपका मन(घोडा) बेलगाम हुआ उस दिन आपका शरीर(बग्गी) भी आपके काबू में न रहेगा और न आप(सवारी), दोनों मुश्किल में पड़ जायेंगे ! जिस तरह घोड़े को लगाम की जरुरत है, सही समय पर उसको काबू में रखना जरुरी है ताकि सवार या सवारी अपनी मंजिल तक सकुशल पहुँच सके, उसी तरह अपने मन को भी लगाम लगाना बेहद जरुरी है ताकि बेकार की बातें, और ख्यालात हमारे मन को विचलित या परेशान न कर सकें क्योंकि मन के अंदर की हलचल, हमें, हमारे शरीर को कभी शांत नहीं रहने देगी, जिसके कारण न हम मन से न तन से काम कर पायेंगें और मंजिल से बहुत   दूर होते चले जाएंगे ! मन बहुत ही चंचल है, इसे बांधें रखें, अपने काबू में रखें...., और अपने बाकी बंधन खोल दें ! इसके साथ ही समय-समय पर अपने मन को हल्का और खाली करते रहिए ऐसा न हो की मन का घड़ा भर जाए और हमारी भावनाएं उससे छलकने लगें, और वो हमारे काबू

सफ़लता v/s असफ़लता !

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मैं अ_सफल नहीं , I am a_ safal .....   जी हाँ आप एक सफल इंसान हैं, अगर ऐसा लोग नहीं, आप खुद ऐसा मानते हैं तो....!   क्र. स. सफल व्यक्ति असफल व्यक्ति 1)      मैं अंदर से खुश हूँ , इसकी गवाह मेरे चहेरे की मुस्कुराहट है ! मैं आखरी बार कब मुस्कुराया मुझे नहीं मालूम ! 2)      मुश्किलों में भी मैं शांत हूँ !                        शान्ति में भी मेरे अंदर तूफ़ान है ! 3)      मेरे अपने मेरे हैं, और मैं उनके लिए हूँ!  मेरे अपने सिर्फ एक सपने हैं ! 4)      लोगों की बातों का मुझ पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता, जैसा मैं हूँ, वैसा ही हूँ ! मेरा रिमोट लोगों के पास है और मैं उनके अनुसार चल रहा हूँ, अफ़सोस   सबसे बड़ा रोग...क्या कहेंगे लोग ! 5)      मैं भगवान से प्राथना करूँगा की मुझे कभी बीमार न करना ! मैं भगवान से प्राथना करूँगा की मुझे जल्दी से स्वस्थ करना ! 6)      मैं एक आम इंसान हूँ, और सर्वश्रेष्ठ काम कर सकता हूँ ! मैं सर्वश्रेष्ठ इंस

दर्द के समंदर में अपनी मुस्कान को जिन्दा रखना....!

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हम इंसान हैं .. ...भगवान नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा की, हमें कभी कोई दर्द न हो, कोई दुःख न हो, कोई कष्ट न हो, कोई मुश्किल ना आए लेकिन इन सब से पार पाने का, इन सब से बाहर आने का एक ही रास्ता है और वो है आपकी अपनी मुस्कान....! जब कभी लगे कि आपकी मुश्किलें बड़ी    हैं, आपका दर्द बड़ा है, बस एक छोटा सा काम कीजियेगा.....जरा मुस्कुरा दीजियेगा - अपने भीतर से कहिएगा, चलो एक बार अपनी मुस्कान को अपने चहेरे पर ला कर तो देखें, एक बार अपने होठों पर एक छोटी सी मुस्कान लाइएगा, फिर उस मुस्कान को और बड़ा करिएगा.....उसी क्षण आप पायेंगे कि   आपकी बड़ी सी मुस्कान के आगे आपके दुःख-दर्द सब छोटे से लगने लगेगें ! कहा भी गया है, अगर किसी लकीर को छोटा करना है तो उसके पास एक बड़ी लकीर खींच दीजिए, वो आपको छोटी लगने लगेगी, बस यही formula आपको अपने दुखों की लकीर पर भी apply करना है, उसके सामने मुस्कराहट की एक बड़ी लकीर खींच दीजिए....दुःख छोटे लगने लगेंगे, जी हाँ करके तो देखिये ! मुस्कराहट असल में करती क्या है ? जब हमारे चहेरे पर आती है तो उस क्षण के लिए हमारे मन मस्तिष्क को पूर्णतया हल्का कर देती है, और

होली.....यानि मैं तेरी हो, ली......अपना अहम, अपना दर्द, अपना द्वेष छोड़ तेरी मैं होली !

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होली.....यानि मैं तेरी हो, ली...अपना अहम, अपना दर्द, अपना द्वेष छोड़ तेरा या तेरी मैं हो, ली....! कहतें हैं होली पर सब अपने भेद, मन-मुटाव भूल एक दूसरे को अपनाते हैं, फिर से एक दूसरे के रंग में रंगतें हैं ! पर इस संसार में हर क्षण लोग अपना रंग बदल रहें हैं, जब तक तुम उनको समझ पाते हो-उनका रंग बदल चुका होता है, जब आप उनके जीवन में रंग-बिरंगी खुशियाँ घोल रहे होतें हैं तब वह अपनी सारी ऊर्जा आपके जीवन में जहर घोलने में लगा रहे होतें हैं....! जिन्दगी भर जख्म दो, उनको हरा रखो और उन पर समय समय पर मिर्चें डालो और......लो आई जी होली, भूल जाओ सब मैंने तुम्हारे साथ  या तुमने मेरे साथ क्या किया, मिल जाओ गले, लग जाओ गले......क्यों, क्योंकि बुरा न मानो होली है ! लो गई होली.....गले जिनको लगाया.....नापो उनके गले और शुरू हो जाओ अपने उसी काम पर जो होली से पहले थे......यानि जख्मों को दो, फिर उनको कुरेदो, अच्छी तरह कुरेदो और डालो उस पर भर-भर के.....! क्या यही जीवन है ?  क्या भगवान ने तुम्हें इंसान इसी लिए बनाया है ? यह जीवन इसी लिए दिया की छोटे काम करो और जीवन भर छोटे ही बने