अपने सारे बंधन खोल दो, बंधन सारे खोल दो...!
जिंदगी की नाव के साथ 'त' लग जाए तो तनाव में आ जाती है, उसी तरह अगर मजबूत वृक्ष का तना जब 'व ' से जुड़ जाता है तो मजबूत वृक्ष भी तनाव में आ जाता है ! यानि की जिंदगी की नाव को कायम रखना है तो त _नाव में न रखिये किनारा जरूर मिलेगा, उसी तरह परिवार रूपी वृक्ष को मजबूत और कायम रखना है तो उसका तना,तना_व मुक्त होना चाहिए, आप हमेशा तनाव मुक्त रहना चाहते हो तो....... अपनी मुस्कानों पर लगे_बंधन खोल दो, मस्तिष्क पर पड़े बोझ के सारे _बंधन खोल दो, भूत और भविष्य की उलझनों के_बंधन खोल दो, बदले की भावनाओं के_बंधन खोल दो, अति की इच्छाओं के_बंधन खोल दो, दूसरों से होड़ और दौड़ के_बंधन खोल दो, अपनी वाणी में मिश्री-मिठास _के बंधन खोल दो, अपनी हार में अपनी जीत_के बंधन खोल दो, अपनी समस्याओं में समाधानों_के बंधन खोल दो, अपने सारे बंधन खोल दो, बंधन सारे खोल दो......, मुक्त हो, उन्मुक्त हो !