सदा समय को समय दें...... समय के साथ न भी चल सकें तो समय को अपने साथ चलने दें !
अपने अंदर प्रयास को हमशा जीवित रखना, प्रयास यानी की आपके अंदर की आस.....जी हाँ , आस एक मुस्कान की , आस एक रोशनी की, आस एक सवेरे की, आस एक ख़ुशी की और आस एक सफर की और आस एक और प्रयास की और यह तभी मुमकिन है जब तक की प्रयास की जड़ें आपके अंदर जिन्दा हैं ! बाहर से आस की कोपलें चाहे मुरझा भी गईं हों, पर अगर प्रयास की जड़ मजबूत है, कायम है, तो एक दिन उम्मीद की कोपल जरूर फूटेगी ! सफलता, मंजिलें , खुशियां, रोशनी मात्र एक दिन में नहीं मिलती, मात्र इन्तजार से नहीं मिलती , यह एक निरंतर किए गए प्रयासों का, एक निरंतर चलने वाले सफर का-परिणाम है , इसलिए कुछ पाना है और किसी मंजिल तक जाना है तो भागिए, नहीं भाग सकते तो जरा चलिए , चल नहीं सकते तो थोड़ा रेंगीए.....पर अपना सफर जारी रखिये धीरे धीरे ही सही पर चलिए ! सदा समय को समय दें......, समय के साथ न भी चल सकें तो समय को अपने साथ चलने दें, समय आपके साथ चलते-चलते आपको समय जरूर देगा....बस जरा इन्तजार करिए !