आप तब तक ही सफल हैं, जब तक कि आप ऐसा मानते हैं !
आप तब तक ही सफल हैं, जब तक कि आप ऐसा मानते हैं बजाए कोई और आपके लिए ऐसा माने, आपकी सफलता हर किसी के पचाने के बस की नहीं है, अपनी सफलता का सम्मान, उसकी अहमियत और उसके लिए गए प्रयासों के जज सिर्फ और सिर्फ आप ही हैं और आप ही होने चाहियें.....कोई और नहीं ! सफलता के रास्ते सदा आपकी अंदरूनी चाह, आपके आत्मविश्वास, आपकी अपनी इच्छाशक्ति पर निर्भर करतें हैं ! हर कोई जो आपकी आस-पास हो, उसमें आपकी सफलता को पचाने की क्षमता हो ऐसा जरुरी नहीं है क्योंकि उसके लिए पहले कभी न कभी खुद सफलता का स्वाद चखा होना जरुरी है, उसके अंदर की सोच का बड़ा होना जरुरी है और यह हर किसी के बस की बात नहीं है....... इसलिए उठिये और आगे बढ़िए लोगों की सोच के आगे, जहाँ लोगों की सोच ख़त्म होती है, वहां से आपकी सोच शुरू होनी चाहिए, यही फर्क है सफल होने और आम होने में ! बहुत पुरानी बात नहीं है, आपने भी सुनी है पर अलग अंदाज में एक बार पुनः उसको दोहरा लेते हैं- महात्मा गाँधी जी के तीन बन्दर थे, जी हाँ तीन- पहला कभी भी बुरा मत सुनो, अगर आपको सफल होना है और वाकई में होना है तो अपने आस-पास के नकारात्मक लोगों की