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Showing posts from June, 2018

आप तब तक ही सफल हैं, जब तक कि आप ऐसा मानते हैं !

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आप तब तक ही सफल हैं, जब तक कि आप ऐसा मानते हैं बजाए कोई और आपके लिए ऐसा माने, आपकी सफलता हर किसी के पचाने के बस की नहीं है, अपनी सफलता का सम्मान, उसकी अहमियत और उसके लिए गए प्रयासों के जज सिर्फ और सिर्फ आप ही हैं और आप ही होने चाहियें.....कोई और नहीं ! सफलता के रास्ते सदा आपकी अंदरूनी चाह, आपके आत्मविश्वास, आपकी अपनी इच्छाशक्ति पर निर्भर करतें  हैं ! हर कोई जो आपकी आस-पास हो, उसमें आपकी सफलता को पचाने की क्षमता हो ऐसा जरुरी नहीं है  क्योंकि उसके लिए पहले कभी न कभी खुद सफलता का स्वाद चखा होना जरुरी है, उसके अंदर की सोच का बड़ा होना जरुरी है और यह हर किसी के बस की बात नहीं है....... इसलिए उठिये और आगे बढ़िए लोगों की सोच के आगे,  जहाँ लोगों की सोच ख़त्म होती है, वहां से आपकी सोच शुरू होनी  चाहिए,  यही फर्क है सफल होने और आम होने में ! बहुत पुरानी बात नहीं है, आपने भी सुनी है पर अलग अंदाज में एक बार पुनः उसको  दोहरा लेते हैं-  महात्मा गाँधी जी के तीन बन्दर थे, जी हाँ तीन-  पहला कभी भी बुरा मत सुनो, अगर आपको सफल होना है और वाकई में होना है तो अपने आस-पास के नकारात्मक लोगों की

जीवन में उम्मीदों की, सकारात्मक सोच की और छोटी-छोटी खुशियों की फूंक सदा मारते रहें !

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हममें से बहुत से लोगों ने   गाँव में अपनी दादी या नानी को मिट्टी के चूल्हे पर रोटी बनाते    देखा होगा, हमारे जीवन का सार है वो चूल्हा ! जी हाँ, रोटी बनाते वक्त बहुत सी बार जब चूल्हे की आग ठंडी पड़ने लगती , तो हमारी दादी या नानी नली की एक फूंक से चूल्हे की आग को वापिस जीवित कर देती....हमारा जीवन भी एक चूल्हे के सामान है , जब एक तरफ सब ख़त्म होने को होता है तो उम्मीदों की , प्राथनाओं की , हमारी सकारात्मक सोच की एक छोटी सी फूंक हमारे जीवन में प्राण डाल देती है   और हम और हमारा जीवन   फिर अपनी रफ़्तार पकड़ लेता है ! इसलिए हमेशा समय-समय से जीवन में उम्मीदों की , सकारात्मक सोच की, अपनी मुस्कान की, अपनी जिंदादिली की और   छोटी-छोटी खुशियों, छोटे-छोटे उत्सवों  की फूंक मारते रहें ,   क्योंकि अगर भगवान् ने जीवन रूपी सुंदर चूल्हा आपको दिया है तो उसमें खुशियों की , प्रेम की , परिवार की-रिश्तों की सफलता की रोटियां   तभी तक सही तरह से सिक पाएंगी जब जीवन रूपी चूल्हे के अंदर पर्याप्त आग होगी और उनमें स्वाद और मजा भी तभी होगा जब उसमें सकारात्मकता ,  सही दिशा व दशा की भरपूर आग हो....! जीवन में

हमेशा ध्यान रखना कि जरा हट कर चलोगे तो दुनिया हटा कर देखगी....!

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अगर किसी मकसद को पाना है , अगर किसी मंजिल को पाना है  तो अपना रास्ता खुद चुनो और उस रास्ते पर चलने का अंदाज भी आपका खुद का हो....बहुत बार आपको ऐसा लगेगा कि जिस रास्ते को आपने चुना है,  जिस मंजिल की तरफ आप बढ़ रहें हैं..... उसको गलत साबित करने के लिए आपके  आस-पास की सारी कायनात लगी होगी ! यही वह वक्त है जब आप समझ लेना की आपका रास्ता सही है, आपकी मंजिल नजदीक है......  लोग आपके पीछे से बातें कर रहे हैं तो  घबराने की रत्ती भर भी जरुरत नहीं है क्योंकि इसका मतलब है कि आप उनके आगे हैं...... और सदा उनसे आगे ही रहने वाले हैं ! कहतें है कि सफल लोग कुछ अलग नहीं करते, पर किसी भी काम को अपने अलग अंदाज में करते हैं,  यही उनकी सफलता का राज़ है , क्योंकि उनका अपना अलग ही अंदाज है,  हमेशा ध्यान रखना कि जरा हट कर चलोगे तो दुनिया हटा कर देखगी........आपका अनुसरण करेगी, लीक से हट कर चलें, अपने अंदाज में चलें, आत्मविश्वाश में चलें, रास्ते सदा सच्चाई के और अच्छाई के चुनें,आपकी जीत  सुनिश्चित है !

हम आप अपनी गलती से कम लोगों की बातों से ज्यादा हारते हैं !

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एक समय की बात है बकरीयों  के एक झुण्ड ने विचार किया कि जमीन पर घास ख़त्म होने को है, क्यों न पहाड़ी की चोटी पर जो हरी-भरी घास है उसको खाया जाए, पहाड़ी ऊँची थी सब बकरीयों ने पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया कुछ ऊपर पहुँच कुछ ने हिम्मत हारी, अब नहीं चढ़ा जा सकता यह नामुमकिन है आपस की कानाफूसी से कुछ और हिम्मत छोड़ बैठीं, ज्यादातर ने बातें करना शुरू किया की वापिस लौट चलो, फिसलने और गिरने से बेहतर है लौट चलें.....और अंत में सिर्फ और सिर्फ एक बकरी पहाड़ी को जीत पाई और चोटी पर पहुँच सकी और घास का आनंद ले पाई.......क्यों ? क्योंकि वो बकरी बहरी थी......., अपने आस पास की नकारात्मकता, निराशा और असफल होने के डर से बेखबर....., इसलिए अपने आस पास के वातावरण, लोगों से प्रभावित न हों, अपने मकसद अपनी मंजिल पर ध्यान दें, उन बातों से भटके नहीं  जो आपको भटका सकती हैं ! हम आप अपनी गलती से कम लोगों की बातों से ज्यादा हारते हैं,  सबसे बड़ा रोग...... क्या कहेंगे लोग !

जब हार नजदीक हो....तब जीत की दस्तक जरूर होगी !

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जब हार नजदीक हो....तब जीत की दस्तक जरूर होगी ! पर उसकी आहट तभी सुनाई पड़ेगी जब मन शांत और मौन चरम पर होगा,  रफ़्तार दुर्घटनाओं की जननी है.....विचारों की रफ़्तार, समय से पहले मुकाम पाने की रफ़्तार, औरों से आगे जाने की रफ़्तार, अपनी काबिलियत से ज्यादा पाने की रफ़्तार...रफ़्तार....रफ़्तार,  यही हमारे मन को और मौन को ध्वस्त करती है, इसलिए अपने विचारों, अपनी महत्वाकांक्षाओं, अपने आप पर नियंत्रण रखें ! हार को समय दें, समय हार को हरा देगा, ऐसा जरूर होगा क्योंकि समय चक्र सदैव चलता रहता है, जीत के लिए  कुछ अलग नहीं करना पड़ता, जीत -हार में कायम रहने का  नाम है.......! विचारों के नियंत्रण, विचारों  की सकारात्मकता, विचारों की जिंदादिली पर ही जीत की इमारत खड़ी होती है, समय से पहले कतई हार न माने, हार होने से पहले कतई  हार न माने क्योंकि........ जब हार नजदीक हो....तब जीत की दस्तक जरूर होगी !

" यह वक्त भी बीत जाएगा " !

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वक्त आपका साथ, हो सकता है कि इस समय न दे रहा हो.....हो  सकता है कि इस समय आप वक्त के साथ न खड़े हों....उस समय बस एक काम करना-सिर्फ और सिर्फ सब्र करना क्योंकि वक्त कभी एक सा नहीं रहता कल तुम्हारा था.....कल भी तुम्हारा होगा ! समंदर की लहरों को अगर तुमने कभी जीता होगा तो आज समंदर कि गहराई तुम्हे चुनौती देने के लिए तैयार खड़ी होगी,  साँसे उखड़ेंगी, कदम लड़खड़ाएंगें, छोर नजरों से ओझल होते जायेंगें, किश्ती किनारों को तलाशेगी.....जब.....सब....ख़त्म सा प्रतीत होगा.....तब भी उम्मींदों की पतवार को जिन्दा रखना, क्योंकि यह वक्त भी बीत जाएगा!  पुरानी कहानी है एक बार महाराज अकबर ने बीरबल से पूछा- कि "ऐसा कौन सा मन्त्र है जो जब मैं बहुत ज़्यादा खुश होऊं, तो मुझे ज़्यादा खुश न होने दे और जब मैं ज़्यादा दुखी होऊं तो मुझे  ज़्यादा  दुखी न होने दे ! बीरबल ने सरल जवाब दिया की जब भी आपके साथ ऐसी परिस्थिति आये आपको लगे की आपके पास बहुत  ज़्यादा  खुशियां हैं या आपके पास बहुत  ज़्यादा  दुःख हैं तो इस कागज पर लिखे वाक्य को पढ़ लेना......उस कागज पर लिखा था- " यह वक्त भी बीत जाएगा " जी हाँ