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Showing posts from January, 2020

ऊपर चढ़ें, आगे बढ़ें - किसी को सीढ़ी, किसी की घोड़ी बना कर नहीं !

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माटी सिंह ऊपर की तरफ चढ़ने और आगे बढने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार था, उसका एक ही मकसद था किसी को भी गिरा कर, किसी को भी दबा कर किसी भी तरह ऊपर पहुंचा जाए, साम-दाम दंड भेद जो भी लगे उसका इस्तेमाल करो, जैसे भी हो, जो भी हो मकसद सिर्फ और सिर्फ एक ऊपर पहुंचना...! माटी सिंह ने सीढ़ी लगाईं और झट से एक–एक पायदान चढ़ने लगे और वह ऊपर चढ़ते जाते और साथ-साथ नीचे वाले पायदान को काटते जाते, लोगों ने पूछा माटी सिंह जी नीचे के पायदान काटने का क्या मकसद है, जनाब आखिर आप ऊपर चढ़  रहें पर नीचे की सीढ़ी साफ़ करते जा रहें हैं......, पर माटी सिंह के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था, की मैं तो ऊपर पहुंचूं पर कोई दुसरा इस सीढ़ी का इस्तेमाल न कर सके, माटी सिंह की सोच....हमसे मिलती जुलती भी हो सकती है....और शायद नहीं भी, काश ऐसा ही हो ! माटी सिंह को ऊपर पहुँचने में बहुत समय लग रहा था क्योंकि उनका ध्यान दोनों तरफ था, जितनी ज़्यादा मेहनत उनको सीढ़ी चढ़ने में नहीं लग रही थी उससे ज्यादा मेहनत उनको सीढ़ी के पायदान काटने में लग रही थी यानि वह अपनी ताकत को सही दिशा की बजाए गलत दिशा में लगा रहे थे !  उ

अपने बंधन खोल दो....!

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जब में यह कहता हूँ की अपने बंधन खोल दो ….., तो ध्यान देने वाली बात यह है की वह बंधन कौन से हैं , १)             अपनी छोटी सोच के, २)             अपने अंदर के बच्चे के, ३)             अपनी मुस्कान के, ४)            अपने किसी को कुछ देने के, ५)            अपनी बंद मुट्ठी के, ६)            अपनी चाहत के, ७)              अपने अपनों में मिठास के, ८)            लोगों को कुछ देने की राहत के, ९)            अपने सपनों के, १०)         अपने विचारों के, ११)         अपनी नकारात्मकता के, १२)         अपनी परेशानियों के, १३)         अपनी उलझनों के, १४)        अपने दुखों के, १५)        अपने शौक के, १६)        अपनी नफ़रत के, १७)        अपने अहम के, १८)        अपने वहम के, १९)        अपने अभिमान के, २०)        अपने तनाव के ! और साथ ही यह भी ध्यान देने वाली बात है की अपने किन बंधनों को दायरों में रहने देना है, नियंत्रण में रखना है, किन बंधनों को नहीं खोलना है....., १)             अपने रिश्तों की अहमियत के, २)             अपने शब्दों के, ३)     

आपकी हालत भी कहीं मंदिर के घंटे जैसी तो नहीं है !

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मंदिर के घंटे की आवाज कानों को बहुत ही मधुर लग रही थी, आरती के समय तो यह और जोर-शोर से आने लगी और घंटे की आवाज सुन ऐसा लग रहा था की लोगों की यह हाजरी भगवान के दरबार में शायाद आखरी हाजरी है, घंटे की आवाज समय के साथ बढने लगी थी, शायद सब लोग अपनी सारी ताकत का प्रदर्शन बारी-बारी से घंटे पर करने लगे थे, घंटे की आवाज बुलंद थी, जबरदस्त थी और एक घंटे के चोट पर सबकी हाजरी बारी-बारी से भगवान के दरबार में लग रही थी, कुछ घंटे को बजा के निकल चुके थे और कुछ घंटे पर पिले पड़े थे, माहोल बहुत ही भगवन्मय था, श्रद्धा चरम पर थी, हाजरी बेहिसाब थी.....सब घंटे पर अपनी बारी का इन्तजार कर रहे थे और इन सबके बीच ‘एक’ बेजान था जो अपने दर्द को ब्यान किए बगैर चुपचाप लोगों की श्रद्धा, लोगों की हाजरी, लोगों के मजे और ताकत की भेंट चढ़ रहा था....! वो ‘एक’ कौन था ? वह कोई और नहीं वह मंदिर का ‘घंटा’ था जिस पर सब अपनी ताकत, अपनी शक्ति का अपार, प्रचुर प्रदर्शन कर रहे थे, आते-जाते-बजाते जा रहे थे और वह चुपचाप लोगों की श्रद्धा, हाजरी, उनकी ताकत का शिकार हो रहा था, जिसका भी बस चल रहा था वह उसे बजा रहा था, बच्

बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...!

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बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं...! शब्दों की सीमा हो, सीमा हर शब्द की हो, माँ वीणा के चरण कमल में,  कोटि-कोटि वंदन हो, वाणी की एक मर्यादा हो, हर मर्यादा में वाणी हो, ज्ञान की देवी, माँ शारदे - वीणा पर न कोई बंधन हो,  वाणी मेरी चन्दन हो..... वाणी मेरी चन्दन हो   ! 

विश्वास करिए अपने आप पर, अपने विश्वास पर !

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तू ही है मेरा आज, तू ही मेरा कल हो , तू ही सफर मेरा, तू ही मेरी मंजिल हो , तू ही है दिशा मेरी, तू ही विश्वाश अटल हो, 'शब्द' जहां सरल हों,और....जहां न हो शब्दों की गुंजल, रिश्तों में हों मुश्किलें, पर हर मुश्किल का हल  हो ! आप की असली ताकत और कुछ नहीं, और कोई नहीं बल्कि वह है आपका आत्म-विश्वास, वही आपके साथ आज भी है आपके साथ कल भी रहेगा, जहां कभी कोई आस काम नहीं आएगी वहां आपका विश्वास काम आएगा,  आपके विश्वास पर ही आपका सफर निर्भर करेगा और आपका विश्वास ही  आपकी मंजिल तय करेगा ! विश्वास करिए अपने आप पर, अपने  विश्वास पर !

रब कहता है, "मेरे दरबार में यह currency नहीं चलती"!

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रब कहता है, "मेरे दरबार में यह currency नहीं चलती", नहीं चलती, तो मतलब नहीं ही चलती ! इसका मतलब, इसका मतलब साफ़ है रब के पास अपना सफर पूरा कर जाने से पहले सारी उम्र जो आपने जोड़ा होगा, बहुत कुछ बचाया होगा, बहुत कुछ इकठ्ठा किया होगा लेकिन इतना सब बचाने और जोड़ने के बाद जब आप रब के दरबार की तरफ प्रस्थान करेंगें तो वहां आपको खाली हाथ ही जाना होगाआपके साथ-आपके हाथ कुछ नहीं जाएगा, जो भी जोड़ा होगा जो भी बचाया होगा उसे दूसरों के लिए छोड़ कर खाली हाथ ही वहां पर जाना होगा क्योंकि रब कहता है की दोस्त नीचे की  currency  रब के दरबार में नहीं चलती ! जोड़िये, बचाइए.... पर अपनी इच्छाओं को, अपनी जरूरतों का, अपने अरमानों का गला घोट कर नहीं, आप जो कमा रहे हैं उसे अपने और अपनों पर खर्च करना भी सीखें, अपनी इच्छाओं,अपने अरमानों पर दिल खोल कर खर्च कीजिये क्योंकि जो कमाया है, उसका अगर आनंद ही नहीं लिया तो कमाने का कोई फ़ायदा नहीं है और ऐसा न हो की वक्त निकल जाए और बाद में आपको अफ़सोस रह जाए की कमाने के, ज्यादा पाने के चक्कर में जिंदगी को तो आपने जिया ही नहीं...! अपनी ताकत, अपनी शक

BODMAS in LIFE.

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To solve Mathematics problems and equations apply BODMAS, BODMAS is applicable in our life also, Yes, using BODMAS you can solve your problems in life also. We are facing lots of problems in work, in job, at home, in relations, with children’s but you must remember every problem has solutions only ‘WE’ that makes simple problems more complicated and then start worrying. The steps that we are taking are very important while solving any problem in any field. Now come to BODMAS, How this apply? How it works? How to use it? When to use it? So, let’s starts with ‘BO’, Bracket ‘Off’ means first you have to open the brackets to solve any problem. Open your thinking limit, think beyond the brackets or barriers and open your hands to pick more instead of what you have , open your hands to give and to take, to accept and to select. In job and at work take decision boldly and go beyond the limits of thinking, No ifs and no buts do your jobs sincerely. Don’t limit

Simple mathematics says that solve all your problems using-BODMAS

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Simple mathematics says that solve all your problems, life equations and relations using BODMAS  B e brave....and face the problem  O bserve....the circumstances  D elete....&  M elt....your egos and A ll your.... S orrows.... So using BODMAS solve all your problems in your life and relations, Mathematics is as applicable as in your life, Always subtract your sorrows, Multiply your relations and friendships, Divide your worries and weakness and Add your happiness. Mathematics tell us that every problem has solution.

Motivation.....means a motion that moves u in positive direction with positive energy.

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What is Motivation ? Motivation.....means a motion that moves u in positive direction with positive energy. What is this motion ? This motion......is nothing but a motive motion that keep u moving in a right direction on right time. Once u are in right direction with right motion or speed this will truly helpful in achieving ur goals in a particular time frame. Motivation always gives us positive energy or recharge us when we fill tired and hopeless. Motivation recharge us and this will give us huge energy such that we are in position to give strength to yourself and your surroundings. This will gives energy and smiles to the  people those are connected with you directly or indirectly. Power of positivity is not measurable it is infinite, it has no limit, it is limitless and motivation gives us this infinite and limitless power. As in case of mobile once the data pack of mobile finishes mobile stops accepting any network and all incoming and outgoing servic

कोमल बनिए, ताकि कोई भी पत्थर आपसे कितना भी टकराए परन्तु चिंगारी न पैदा कर सके...!

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जब दो पत्थर आपस में रगड़ते हैं तो चिंगारी निकलती है, ऐसा हम बचपन से पढ़ते आएं हैं और ऐसा ही है, ठीक उसी तरह जब दो पत्थर दिल इंसान, दो कठोर व्यक्तित्व जो आपस में सामंजस्य नहीं बना सकते आपस में टकराते हैं तो चिंगारी निकलना, आग का उठना, किसी का सुलगना, किसी का जलना तय है  ! कहा भी गया है 'पत्थर से सिर मारोगे तो आपका ही सिर फटेगा', पत्थर का कुछ नहीं बिगड़ने वाला......कठोर चीजें अक्सर अपने निशान स्थाई रूप से  छोड़ जातीं हैं और वह निशान कभी नहीं मिटते जीवन भर वह निशाँ वह जख्म  परेशान करते रहतें है ! किन्तु कोमल और मुलयाम वस्तुएं किसी पर भी, कहीं पर भी  बिना वजह के निशान या रगड़ नहीं छोड़तीं, कोई जख्म नहीं देती, ठीक उसी तरह कोमल, मृदुभाषी व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति भी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचा सकता, किसी का बुरा नहीं कर सकता वह अपनी छाप दूसरों पर छोड़ता जरूर है पर एक अच्छी छाप जिसमें किसी का नुक्सान न हो, जिसमें कोई चिंगारी न हो, जिसमें कोई आग न हो ! इसके विपरीत कठोर और निष्ठुर व्यक्तित्व का व्यक्ति हमेशा किसी न किसी को कोई न कोई जख्म देकर ही जाता है और लोग उसे आसानी से नह

नौकरी और नखरा दोनों एक साथ कभी नहीं चलते....!

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नौकरी और नखरा दोनों एक साथ कभी नहीं चलते....! ऐसा मैं नहीं बोलता ऐसा मेरी पत्नी बोलती है.....सुनने में बात कटु तो लग सकती है पर गौर करें तो बात में वाकई दम है, जिनको नौकरी नहीं मिलती वह नौकरी के लिए तड़पते हैं और जिनको नौकरी मिल जाती है वह बाद में काम को लेकर नखरे दिखाने लग जाते हैं, तो दोस्त नौकरी करिए नखरा नहीं माना choice आपकी है , पर choice एक की ही करिये दोनों कतई भी साथ-साथ  नहीं चल सकते, आप नौकरी में नखरा बिलकुल नहीं करिये आपके पास नौकरी है नखरा किसी और के लिए रहने दें ! नौकरी में आपको कई ऐसे भी काम दिए जायेंगें जिनको आप शायद नहीं करना चाहेंगे या आपको वह काम पसंद नहीं होंगें, किन्तु फिर भी आपको करने के लिए बाध्य किया जायेगा और आप उसको नहीं करने की दिशा में, नहीं करने के किए किसी भी हद तक के नखरे करने में अपनी सारी ताकत लगा देतें हैं और काम नहीं करने के लिए तरह-तरह के बहानों का सहारा लेने लगते हैं, पर ध्यान रखियेगा यहाँ तक की नौबत आपकी नौकरी में नहीं आनी चहिए ! अपना नखरा किनारे रखिए और अपने को दिए गए कार्यों को अपने कामों को अपनी पूर्ण क्षमता और पूर्ण लगन से

जिंदगी की सांसें निश्चित हैं, महान बनने से बेहतर है इंसान बनिए !

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अपनी ताकत को अपनी कमज़ोरी बनाने से बेहतर है, अपनी कमज़ोरी को अपनी ताकत बनाए, अपनी ताकत का प्रदर्शन करने से बेहतर है, अपनी काबिलियत का प्रदर्शन कीजिए, अपने शब्दों का बखान करने से बेहतर है, आपके काम का बखान होने दो, अपने अंदर अभिमान के बीज बोने से बेहतर है, अपने अंदर स्वाभिमान की फसल को सींचें, अपनी आँखों पर नकारात्मकता  की ऐनक लगाने से बेहतर है, सकारत्मकता के eye drop उसमें डालें, अपने कद को बड़ा करने से बेहतर है, अपनी सोच, अपने विचारों को बड़ा कीजिए, अपने बाहरी आवरण को संवारने से बेहतर है, अपने भीतर को संवारिए, वैर के हीरे तराशने से बेहतर है, प्यार के पत्थर तराशिए, अपनी हार का ठीकरा दूसरे के सिर फोड़ने से बेहतर है, अपनी जीत का सेहरा  किसी और को पहनाएं, अपने आचरण के तनों को संभालने से बेहतर है अपनी संस्कारों की जड़ों को मज़बूत कीजिए, अपने शब्दों को तलवार बनाने से बेहतर है, अपने मौन को हथियार बनाएं, अपने तन की सफाई से बेहतर है अपने मन की सफाई, किसी से तुलना करने से बेहतर है, अपनी तुलना अपने आप से करें, अपनी काबिलियत का प्रमाण किसी से लेने से बेहतर है,  आपकी काबिलियत किसी प्रमा

Always be broad-based, easily available and generalized in life....

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किसी भी सामान , किसी भी वास्तु को अगर आप बाज़ार से खरीदना चाहतें हैं और आप चाहतें हैं की वह आपको बाज़ार में आसानी से और सस्ते में उपलब्ध हो जाए तो इसके लिए आप को सबसे जरुरी काम यह करना है की उस समान के Specifications broad based, easily available in open marke t और generalized होने चाहिएं ताकि सामान हमें आसानी से और कम दाम में उपलब्ध हो सके, यानि की हमारा प्रयास निर्थक न हो बल्कि एक ऐसा प्रयास हो जिससे सामान को आसानी से पाया जा सके ! Broad based, easily available, very generalized यह ऐसी terminology है जो वस्तु-विशेष पर ही नहीं, व्यक्ति-विशेष पर भी पूर्णतया लागू होती है! आप जितने Broad based होंगें उतने ही अधिक आप सुलझे हुए होंगें, आपके विचार, आपकी मानसिकता उतनी ही खुली होगी, broad होगी ! आपकी क्षमता  अपार होगी आपमें अपार लोगों  को समेटने की कुव्वत होगी, आप सभी के प्रिये होंगें और दायरों से बाहर जाकर सोचने की आपमें क्षमता होगी ! आप जितने Easily available होंगें उतने ही अधिक लोग आपसे जुड़े होंगें और आपसे जुड़ना चाहेंगें, आपसे सम्बन्ध कायम रखना चाहेंगें, जिसे भी वक्त-