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Showing posts from February, 2020

सब्र का फल मीठा होता है....और बेसब्री सदा नुक्सान पहुंचाती है !

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सब्र का फल मीठा होता है....और बेसब्री सदा नुक्सान पहुंचाती है,  सब्र को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और अपने जीवन में सब्र करना सीखिए, सब्र से हो सकता है कि  समय रहते शायद आप बहुत ज्यादा कुछ हासिल न कर सकें, पर बेसब्री से आपका नुक्सान निश्चित है और वह भी तुरंत बिना किसी देरी के ! इसलिए जो मिला है, जो आपके पास है सब्र कर उसका आनंद लें, और जो तुम्हे मिलने वाला है उसके लिए बिना हड़बड़हाट सब्र करें, जी हाँ, गिरकर उठने का सब्र, न की उठने से पहले ही गिरने की बेसब्री, अपनी कमजोरी को अपनी ताकत बनाने तक का सब्र, न की अपनी कमजोरी में और कमजोर होने की बेसब्री, जब कभी ऊर्जा कम लगे तो ऊर्जा के वापिस लौटने का सब्र, न की उसके आगे समर्पण कर बिखर जाने की बेसब्री, हमेशा ध्यान रहे तूफानों में वही लोग दुर्घटना ग्रस्त होते हैं जो तूफ़ान में सब्र नहीं करते और उनकी बेसब्री  के कारण  वह तूफ़ानों से जल्द से जल्द निकलने के चक्कर में बिना उसके रुके उससे जा भिड़ते हैं और जो अपनी गाडी, अपनी रफ़्तार को सब्र की ब्रेक लगा लेते हैं वह एक तरफ रूककर तूफ़ान के थमने का इन्तजार करते  हैं और अंत मेंसब्र के साथ सकु

सफल जीवन के दस महत्वपूर्ण मंत्र-२

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सफल जीवन के दस महत्वपूर्ण मंत्र-२  : १) अपना बेस्ट देने के चक्कर में, ऐसा न हो की अपना बेटर भी न कर पाएं, इसलिए बेहतरीन के प्रयास से अच्छा है की अपनी तरफ से बेहतर करें ! २) हरदम 'हाँ' से बचें और 'न' का इस्तेमाल अपने जीवन में सही समय पर और सही मात्रा में करें ! ३) अपनी बात को कम शब्दों में रखना सीखें और हर दायरे में आपके शब्द हों और हर शब्द का अपना दायरा हो ! ४) खुश रहने को अपनी आदत बनाएं, मज़बूरी की नींव पर आपकी ख़ुशी की इमारत कभी न खड़ी करें अपने लिए ख़ुशी को बाहर तलाशने की बजाए अपने भीतर तलाशिए ! ५) आप क्या हैं, आप कौन हैं आप को किसी के प्रमाण की जरुरत नहीं है, अपने लिए किसी और के प्रमाण-पत्र का इन्तजार नहीं करिए आपकी पहचान, आपका काम आपके अलावा किसी और के प्रमाण पत्र का मोहताज़ नहीं हो ! ६) अपने "मैं" को अपनी चप्पल की तरह बाहर रख कर अपने मंदिर रूपी 'घर' और 'कार्यक्षेत्र' में प्रवेश करें, आपका अहम् सिर्फ एक वहम है यतार्थ नहीं ! ७) आप खुशनसीब है की आपका एक परिवार है और आपके परिवार को भी अपने होने की खुशनसीबी  का एहसास  होने दें यही

स्वछता के चार चरण (4S यानि 4 स्टेप्स )

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स्वछता के चार चरण ( 4S यानि 4 स्टेप्स ) १)      अपने भीतर की सफाई:   मन की सफाई…...मन से, भीतर उतर कर......भीतर की सफाई, जो भी मैल मन में हो उसको साफ़ करें… . .समय - समय से उसको हटाएँ अधिक दिनों तक न जमने दें ! अपनी आँखों के आगे की मैल साफ़ करें.....शीशा नहीं ताकि आपको चीजें साफ़ दिखाई दें सकें, अपने नजरिये को बदलिए तो बाहर के नज़ारे अपने आप ही बदले-बदले नजर आयेगें ! जब आपका मन स्वच्छ हो और विवेक आपका काम कर रहा हो तभी यह समझ आप पैदा कर पायेंगे की क्या करना है, और क्या नहीं.......क्या उचित है , क्या नहीं !   स्वछता का यह प्रथम चरण है, किन्तु इस अभियान का और इस महायज्ञ का सबसे मजबूत और बेहद जरुरी चरण यही है , इसी चरण की सफलता पर आपकी आगे की सफलता निर्भर करेगी ! इसलिए सबसे ज्यादा जरुरत इस चरण का ध्यान देने की है.....और वो भी किसी और को नहीं सिर्फ और सिर्फ आपको ! २)      अपने शरीर की सफाई:   यह सफाई का वह चरण है जो आपके बाहरी स्वरूप को साफ़ करेगा जो औरों को दिखेगा, आप अगर भीतर से स्वच्छ हैं और बाहर से नहीं, तो खुद आपको भी, आपका यह स्वरूप पसंद नहीं आएगा इसलिए जैसे आप भी

सफल जीवन के दस सफल मंत्र-१

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सफल जीवन के दस सफल मंत्र-१  : १) अपने परिवार को भरपूर समय दें, उनके बीच क्वालिटी समय बिताएं वही आपकी शक्ति का असली और सबसे बड़ा स्त्रोत हैं ! २) दिन में कम से कम आधा घंटा जरूर ध्यान या प्राणयाम  करिए, यह आपके अंदर की आक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है और आपको नई ऊर्जा प्रदान करता है ! ३) हमेशा सकारात्मक लोगों के साथ रहे, नकारात्मक व्यक्तियों से दूरी बना कर रखें और सकारात्मक बनें रहें, अपनी सोच अपना कार्य सकारात्मक रखें परिणाम स्वतः ही अच्छा होगा ! ४) आप ही अपने सबसे अच्छे  और सच्चे मार्गदर्शक हैं, लोगों की और दूसरों की बातें सुनें जरूर पर अपने निर्णय स्वंय लें  क्योंकि यह आप जानते हैं की आप के लिए क्या सही है और क्या गलत किसी के हाथ अपना रिमोट न दें ! ५) आपकी सबसे बड़ी पूंजी आपके बच्चे हैं वही आपका भविष्य हैं इसलिए उनको वर्तमान में अपना समय, अच्छे संस्कार, सही राह और उचित मार्गदर्शन जरूर दें ! ६) अपने काम अपने कर्मक्षेत्र के प्रति हमेशा वफ़ादार रहें और दिए गए कार्यों को पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी से निभाएं ! ७) अपनी पूंजी का कुछ हिस्सा जरूरतमंदों मैं बांटें

जिंदगी की गाडी में पांच चीजों का होना बहुत जरुरी है !

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जिंदगी की गाड़ी अपनी सही गति से, बिना दुर्घटना के अपनी मंजिल तक पहुँच सके इसके लिए आपकी जिंदगी की गाड़ी में पांच चीजों का होना बहुत जरुरी है:  १) स्टियरिंग  २) गियर  ३) एक्सेलरेटर  ४) क्लच  और  ५) ब्रेक  आप को लग रहा होगा की यह पाँचों चीजें तो किसी गाड़ी के लिए जरुरी है न की हमारे जीवन के लिए, इन पाँचों चीजों का हमारे जीवन से क्या वास्ता चूँकि जिंदगी का रास्ता बड़ा है तो इनका वास्ता भी बड़ा है तो इन पाँचों को हमारे लिए समझना भी बहुत जरुरी है  : १) स्टीयरिंग :   स्टीयरिंग हमारी जीवन की गाडी को दिशा प्रदान करता है और इस का सही इस्तेमाल हमें जीवन के ऊँचें-नीचे, सीधे और घुमावदार रास्तों पर कायम रखता है, यह स्टीयरिंग और कोई नहीं बल्कि हमारा जिंदगी को जीने का, मुश्किलों से मुकाबला करने का और अपने परिवार और अपनों  के प्रति हमारा रवैया है, यही स्टीयरिंग, यह रवैया हमारी जिंदगी की गाडी को सही दिशा प्रदान करता है और अगर हम अपने स्टीयरिंग को, अपने रवैया को सही तरह से संभाले रखेंगें तो हम ऊँचे-नीचे, टेढ़े -मेढे, कठिनाइयों से भरे रास्तों पर बिना किसी मुश्किल के सही दिशा में आगे

हार की या जीत की कोई मात्रा या कोई unit नहीं होती !

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जब आप यह कहतें हैं कि वो जीत गया तो इसका मतलब आप ने समय से पहले हार मान ली  और जब आप यह कहतें हैं कि मैं हार गया तो इसका मतलब है कि आप ने समय को जीतने का समय ही नहीं दिया ! आप की सोच आपका नजरिया आप की हार और आप की जीत को परिभाषित करते हैं,  हार की या जीत की कोई मात्रा या कोई unit   नहीं होती, आप उसको माप नहीं सकते और अगर मापने या नापने का प्रयास करते हैं तो वह माप या नाप आपके नजरिए का, आपकी सोच को प्रतबिम्बितकरता है  न की आपकी हार या जीत को ! आपको आपके अलावा कोई और नहीं हरा सकता, आपकी जीत भी तभी तक आपकी है जब तक की आप ऐसा समझतें हैं और जिस दिन आपने अपने आप को हारा हुआ समझ लिया, हारा हुआ मान लिया उसी क्षण से जीत आपका साथ छोड़ देगी, क्योंकि जीत और हार एक ही सिक्के के दो अलग-अलग पहलु हैं जो कभी भी एक साथ नहीं रह सकते अगर आप एक को ऊपर करेंगें तो दूसरा नीचे की तरफ ही रहेगा, यानी जिस दिन तुमने हार मान ली या हार को ऊपर कर दिया जीत तुम्हारा साथ छोड़ देगी और अगर जीत को तुमने थामे रखा तो वहाँ हार के लिए कोई जगह नहीं होगी ! अगर आप अपने अंदर जीत का पोषण करोगे तो हार उस जगह कभी नहीं टिकेगी

मैं....मैं हूँ, मैं कोई और नहीं हूँ !

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जरुरी नहीं है की आप कम बोल रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है की आपका ज्ञान कम है, बल्कि यह इस बात को साबित करता हो की आप यह जानतें हैं की आपको कहाँ बोलना है, कब बोलना है और कितना बोलना है  ! मैं कम बोल रहा हूँ,  मैं शोर नहीं हूँ, मैं सुन रहा हूँ,  मैं कमजोर नहीं हूँ, मैं सरल हूँ, मैं कठोर नहीं हूँ, मैं ठिकाना हूँ अपनों का, मैं गैरों का ठोर नहीं हूँ, मैं  तजुर्बे की ढलती सांझ सही, जलती हुई भोर नहीं हूँ,  मैं शीतल हूँ चाँद सा, वियोग में लिपटा चकोर नहीं हूँ, मैं शांत हूँ किनारे की तरह, मैं समंदर का जोर नहीं हूँ, मैं रोशनी हूँ एक छोटे दीपक की, अमावस्या का अन्धकार घनघोर नहीं हूँ, मैं वर्तमान हूँ, मैं बीत गया या आने वाला दौर नहीं हूँ, मैं....मैं  हूँ, मैं कोई और नहीं हूँ !

पानी के स्वरूपों की तरह ही, आपका जीवन होना चाहिए !

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पानी के स्वरूपों की तरह ही, आपका जीवन होना चाहिए,  पानी के तीन अलग-अलग स्वरूप हैं, तीनों स्वरूपों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं, अपनी एक पहचान है उन्ही विषेशताओं की तरह आपका जीवन भी होना चाहिए ! पानी का पहला स्वरूप है तरल यानि की लिक्विड, आपको भी अपने जीवन में पानी की तरह तरल होना चाहिए जिस तरह पानी को किसी भी चीज में डालो तो उसका तरल स्वरूप पानी को उस चीज के आकर में परिवर्तित कर देता है और वह उस चीज के आकार में ढल जाता है, यानि आप अपने जीवन में इतने फ्लेक्सिबल बनिए कि जहाँ भी जाएँ, जिधर भी रहें आप परिस्थितियों और लोगों के अनुसार अपने आप को ढाल सकें, पानी के तरल स्वभाव की तरह, जिस तरह पानी को जिधर भी डालो वह अपने आप को उस दिशा की तरफ मोड़ लेता है और अपना विस्तार कर लेता है, वह एक जगह का होकर नहीं रहता उसी तरह आपका जीवन भी होना चाहिए अपने आप को आप किसी बंधनों में न बांधें और न ही उनमें बंधें, आप ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ जुड़ें, अपने रिश्तों का विस्तार करें और उन रिश्तों को पूरी शिदत्त के साथ निभाएं, जीवन के हर मुकाम पर पानी की तरह तरलता और सरलता हमेशा आपके स्वभाव को हिस्सा

बच्चों की परीक्षा की घड़ी, माता-पिता की भी परीक्षा की घड़ी होती है...!

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परीक्षा का समय नजदीक है, बच्चे अपनी तैयारी में पूरी जोर-शोर से लगे हुए हैं, उनकी साल भर की मेहनत को अब परीक्षा में उतारने का समय है, जहां बच्चे अपनी पूरी लगन से अपने लक्ष्य को हासिल करने में लगे हुए हैं वहीं यह समय है माता-पिता को अपने बच्चों को मोटिवेट करने का उनको तनाव मुक्त हो अपनी तैयारी करने के लिए सही दिशा और गति प्रदान करने का ! परीक्षा के समय माता-पिता को चाहिए की वह बच्चों पर तनाव को बिलकुल भी हावी न होने दें इसके लिए कुछ बातें जो माता-पिता को इस परीक्षा की घड़ी में जरूर ध्यान रखनी चाहिए वह निम्न प्रकार हैं: १)  तुम कर सकते हो:  अपने बच्चों को बार-बार यह एहसास दिलाते रहें की तुम्हारी मेहनत के आगे हर मुश्किल छोटी है और तुम हर प्रश्न को हल कर सकते हो क्योंकि.....तुम कर सकते हो, करने से ज्यादा जरुरी है आपके अंदर मैं या तुम कर सकते हो की भावना का होना ! २) हम तुम्हारे साथ हैं: परीक्षा की इस घड़ी में  अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ें, उनको ऐसा कभी न लगे की वह अपनी मंजिल के नजदीक अकेले हैं, कोई भी प्रश्न उनके लिए कठिन नहीं हैं आप उसके हल के रूप में हमेशा उनके

परीक्षा में सफल होने के सरल नियम !

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परीक्षाएं पास हैं....पर चिंता करने की, परेशान होने की आपको ज़रा से भी जरुरत नहीं है,  परीक्षा पास है और आप पास हर परीक्षा में हैं ! कुछ बातें जो आपको परीक्षाओं से पूर्व ध्यान रखनी है उनपर अगर आपने पालना की तो निश्चिंत ही हर परीक्षा में आपका कद बड़ा होगा...गिरेगा भी वही जो अपने पैरों पर खड़ा होगा और हारेगा भी वही जो कभी लड़ा होगा ! परीक्षा में सफल होने के कुछ सरल नियम हैं, कुछ सरल बातें हैं जिनको आपको ध्यान में रखना है : १) यह मेरी पहली या आखरी परीक्षा नहीं है : आपकी आने वाली परीक्षा से पहले भी आपने बहुत सी परीक्षाएं दी हैं और उनको अच्छे अंकों से पास भी किया है, आपके लिए यह पहली परीक्षा नहीं हैं की आप इससे घबराएं या इसके आगे समय से पूर्व समर्पण कर दें, आप पहले भी परीक्षाओं पर खरे उत्तरों हैं और आज भी खरे उतरेंगें ! न ही यह आपकी आखरी परीक्षा है की अगर कुछ अंक कम आ भी जाएँ तो आपकी सारी दुनिया ख़त्म होने वाली है, लेकिन आपके प्रयास में कोई कमी नहीं होनी चाहिए प्रयास सौ प्रतिशत होना चाहिए , आपकी इस परीक्षा के आगे जहान और भी हैं ! आपने आगे भी परीक्षाएं बिना किसी तनाव के