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Showing posts from February, 2019

आपकी जिंदगी कि किताब बहुत खूबसूरत है, उसको संजों कर और सजा कर रखें !

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किसी भी कॉपी को ‘fair’  या  ‘rough’ कहना आपके हाथ में है, उस कॉपी में आपने क्या लिखा है, किस तरह का काम किया है, किस तरह कि लकीरें मारीं हैं वह ही बताती है कि कॉपी ‘fair’ है या  ‘rough’ है ! ठीक यही हाल, ‘जिंदगी’ का भी है - आप उस को किस तरह रखें हुए हैं, किस तरह के रंग उसमें भर रहें हैं, बेतरतीब या व्यवस्थित तरीके से उसको जी रहें हैं, आप उस पर किस तरह कि लकीरें खींच रहें हैं-सकारात्मक या नकारात्मक, अपनी जिंदगी के पन्नों को काला कर रहें हैं या उसमें खुशियों के रंग भर रहे हैं, अपने भविष्य के शब्दों को मोतियों कि तरह लिख रहें हैं-यही वह सब बातें हैं जो किसी कि भी जिंदगी को   ‘fair’   या   ‘rough’ बना सकती है, आप भी जरा अपनी जिंदगी में एक बार झांक कर देखिये कहीं आप भी अपनी अच्छी खासी ' fair'  जिंदगी को ' rough'  तो नहीं बना रहे ! आपकी जिंदगी कि किताब बहुत खूबसूरत है, उसको संजों कर और सजा कर रखें ताकि लोग आपकी मिसाल दें और आपकी तरह बनना चाहें, खूबसरत लोग, खूबसूरत व्यक्तित्व सदा दूसरों को अपनी और आकर्षित करतें हैं, आप जितने सकारात्मक, जितने व्यवस्थित, जितने स

अगर आप सपने देखतें हैं तो अपने सपनों को बेचना सीखिए....!

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अगर आप सपने देखतें हैं तो अपने सपनों को बेचना सीखिए.... कहने का तात्पर्य यह है की अगर आप सपने देखतें हैं और उनको पूरा करना चाहते हैं तो आपको जरुरत है उनको बेचने की, यानी सही समय पर और सही जगह पर अपने सपनों को आपको पेश करना आना चाहिए, ताकि लोगों को पता चल सके की आप भी “हैं”, आप भी कुछ कर सकतें हैं, सपने हर कोई देखता है लेकिन सपनों को बेचने की ‘कला’ कुछ ही लोगों के पास होती है, और जिनके पास यह होती है वो पीछे मुड कर कभी नहीं देखते बल्कि अपने सपने बुनतें हैं और उनको हकीकत का जामा पहनातें हैं....! आप भी इस “कला” के कलाकार बन सकतें हैं क्योंकि सपने देखने और सपने पुरे होने में जमीन आसमान का अंतर जरूर है पर यह काम नामुमकिन कतई भी नहीं है,है, इसलिए अपने सपने आज से ही बेचना शुरू कीजिये, हम कुछ भी करने से पहले बहुत सोचतें हैं- क्या होगा, कैसे होगा, कब होगा, कौन करेगा, नहीं भी होगा तो चलेगा, कौन क्या बोलेगा........इत्यादि-इत्यादि, अगर सपनों के “सौदागर” बनना है तो इन सभी बातों का त्याग करना होगा क्योंकि यह वो नकारात्मक बातें और सोच हैं जो सपने दिखाती तो जरुर हैं पर उनको पूरा कभी नहीं होन

आप क्या करना चाहेंगे, मिसाल देना या मिसाल बनना !

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मिसाल देने में मात्र दस सेकंड लगतें हैं.....किन्तु मिसाल बनने में दस साल या उससे भी कई ज्यादा वर्ष लग जातें हैं ! तो फिर आप क्या करना चाहेंगे, मिसाल देना या मिसाल बनना , कुछ चीजें जल्दी होती हैं पर कुछ क्षण चलती हैं ओर कुछ चीजें समय लेती हैं पर लंबे समय तक चलती हैं, यह आप पर निर्भर करता है की “आप मिसालें तलाशना चाहते हैं या फिर मिसालें कायम करना”,  ऐसा बनिए की लोग आप की मिसाल दें, क्योंकि हममें से ज्यादातर लोग अपना अधिकतम समय मिसालें तलाशनें में लगा रहें हैं ! जिनकी आप मिसाल दें रहें हैं क्या कभी आपने सोचा है की उनमें ओर आप में क्या फर्क है- सिर्फ इतना सा की वो लगातार “गतिमान” है ओर आप लगातार “स्थिर” हैं, वह हार कर भी कभी रुके नहीं ओर आपने जीत के स्वाद कभी चखे नहीं, उसे अपनी मंजिल का भी पता है, उसके रास्ते का भी और अपनी रफ़्तार का भी आपको न मंजिल का पता, न रास्ते का और न रफ़्तार का !  “तालाबों” ने कभी समुन्दर नहीं देखा, “बहता” हुआ पानी ही समुंदर तक पहुंचा है, जो “चलेगा” मंजिल उसी की, मिसाल भी उसी की, जो “परिंदा” शाख से उड़ा नहीं वो कब “घर” तक पहुंचा है...!

"नमन"

नम हर आँख है....., जल रही है वादियाँ, चीड़ भी हैं जल उठे, अंधेरों से लड़ते-लड़ते, बुझ गए  चिराग हैं, टूट गई हैं चूड़ियां और माँ भी स्तब्ध है, जल गए ख़्वाब सब... बेटी पूछती यह कैसी आग है !  हर "जान" की कीमत होती है...., हर "कीमती" जान है, इसका "गुनहगार" कौन है, मांग रही है "बदला" शहादत,   और गूंज रहा "मौन" है ! जो चला गया कितने अरमान समेटे था, और जो रह गए वो भी कितने अरमान समेटे थे, इन अरमानों का हिसाब कौन देगा, जो चले गए वो अधूरे रह गए और जो बचे हैं वह आंसुओं में बह गए....., "नमन हर उस वीर को,  जो झुका नहीं, झुका गया शमशीर को...."

भीतर जलने से अच्छा है, बेहतर जलिए....!

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कभी आप तारामंडल गयें हों तो आपने पाया होगा की हर ग्रह पर, अगर आपका भार देखा जाए तो वह अलग-अलग- आएगा यानी हर ग्रह के ऊपर आप अलग-अलग वजन के होंगें.... यही फलसफा जीवन में भी लागु होता है आप किसी पर भार होंगें और किसी के लिए आप ही पतवार होंगें, ऐसा क्यों होता है की एक ही व्यक्ति किसी के लिए भार होता है और किसी को वह हल्का महसूस होता है और उसके साथ वह बहुत ही comfortable feel करता है ! ऐसा तब होता है, जब हम या तो किसी दायरे में कैद हैं या किसी छोटी सोच का शिकार हैं....जिससे हम बाहर नहीं निकलना चाहते, अगर आप चाहते हैं की आप सब के लिए एक सामान वजन के रहें - सब के लिए सामान रहें, आपको सबसे एक सा प्यार मिले, आप किसी पर भार न बनें, आप किसी के लिए “मज़बूरी” नहीं अपितु “जरुरी” बनें, तो किसी को भी बदलने से पहले अपने आप को बदलिए....! सारी कायनात लगा दी मैनें “दुनिया” बदलने में, ता - उम्र “शोलों” को शीतल करनें में मेरा हाथ जल गया, और इक क्षण लगा....हाँ, बस इक क्षण लगा, संसार बदलने में, जब....“मैं” बदल गया, जब “मैं” बदल गया...! कहा भी गया है मैनें सारा वक्त लगा दिया आइना सा

जीना इसी का नाम है......!

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किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार, किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार, किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार, जीना इसी का नाम है......! जी हाँ, किसी की मुस्कराहट पर मर-मिटने में रत्ती भर भी नुक्सान नहीं है, और आप की मुस्कराहट पर भी कोई मरे इसमें भी कोई हानि नहीं है...! जिंदगी बहुत छोटी है और बेशकीमती भी है इसलिए “मुस्कुराइए” क्योंकि आपकी मुस्कराहट का इन्तजार बहुतों को है......और बेसब्री से है क्योंकि वो उनको सुकून पहुंचाती है, उनके चहेरे को मुस्कान देती है, उनको जीने की राह दिखाती है....इसलिए मुस्कुराइए और सिर्फ मुस्कुराइए   और औरों को भी मुस्काने दें ! अगर आप किसी चेहरे चहेरे को मुस्कान देना चाहते हो तो उसके दर्द के हिस्सेदार बन जाएँ, उसका दुःख, उसका दर्द, उसके कष्ट कम हो जायेंगें, कहतें हैं दुःख बांटनें से कम होता है, इसलिए आगे बढ़ कर दूसरों के दुःख में हिस्सेदार बनें ! अगर किसी को कुछ अच्छा देना ही है तो अपना प्यार दीजिए, अपना दिल दीजिए शायद उसको सुकून मिले, अपना एक हमसफ़र मिले जो उसके सफर को उसकी मंजिल में तब्दील कर सके ! कोई बो रहा बीज वैर के, और कोई

“पूरा भरा हुआ घड़ा कभी नहीं भरता, बल्कि छलकता ही है" !

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पूरी तरह से हवा से भरा “गुबारा” कभी आपने अगर देखा हो, जिसमें हवा एकदम full हो पूरी तरह tight हो तो वह गुबारा थोड़े से ही दबाव से फट जाएगा, उसको फटने के लिए अधिक दबाव की जरुरत नहीं पड़ेगी, उसको फटने के लिए हल्का दबाव ही काफी है  और इसके विपरीत कम भरा गुबारा किसी भी दबाव को आसानी से झेल लेता है और परिस्थितियों और दबावों को झेल अपने “आकार” को बदल फटने से बच जाता है ! कहने का तात्पर्य यह है की अपने दिमाग-अपने शरीर को हल्का और थोडा खाली रखें ताकि वह बाहरी दबावों को आसानी से झेल सके और हर परिस्थिति में survive कर सके, अधिकतर लोग अपने को अपनी क्षमताओं से ज्यादा भरा हुआ रखतें हैं और सदा अनावश्यक बोझ के भार से भरे और दबे रहतें हैं और स्थितियों  या कहें surroundings   में जरा सा भी में परिवर्तन उन्हें गुबारे की तरह फोड देता है ! अपने जीवन को अत्यधिक न उलझाएं, न ही अति महत्वकांक्षा का शिकार बनें की जरा सा शारीरिक या मानसिक दबाव आपको विचलित कर दे, जो आपके पास है उससे संतुष्ट रहें, आपकी मुस्कराहट आपकी हो कोई बाहरी परिस्थिति उसको चुरा न सके,  आप अंदर से खूबसूरत हों, मन शांत हो, पूरी तर

किसी भी जीवन रूपी माला की सफलता या सुंदरता का एक ही सूत्र है-वह है उच्च संस्कार और उच्च विचार.....!

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अगर में आपसे कहता हूँ की माला बंनाने के  मुझे  लिए किन-किन वस्तुओं   की जरुरत है तो आपका सीधा-सरल जवाब होगा- मोतियों और धागे की......जी हाँ आप बिलकुल सही हैं ! ठीक इसी तरह......अगर आपको अपने जीवन की माला   को सुन्दर और सृदढ़  बनाना है तो हमें जरुरत होगी - "सकारात्मक विचार और आदर्श" रूपी   मोतियों की और उससे भी कहीं अधिक "संस्कार"   रूपी मजबूत धागे की ! देखिए, मोती चाहे कितने भी सुंदर क्यों न हो अगर उनको एक सूत्र में पिरोने वाला   धागा मजबूत न होगा तो वह कभी भी कहीं भी बिखर जायेंगें , इसलिए सबसे पहले जीवन रूपी माला के निर्माण के लिए  हमें    एक बहुत ही मजबूत धागा चाहिए, जो की हमारे संस्कार हैं- यह जितने उच्च , सुंदर और मजबूत होगें उतनी ही टिकाऊ और मजबूत    हमारी माला बनेगी , हमारा जीवन उतना ही टिकाऊ और दीर्घायु होगा ! इसलिए, सदा अपने संस्कारों को मजबूत रखें - आपके संस्कार ही आपकी पहचान हैं , क्योंकि यही आपके व्यक्तित्व के मोतियों को एक सूत्र में पिरोने का काम करते हैं ,  हममें से ज्यादातर लोग सारा जीवन मोतियों को संवारने , मोतियों को बिखरन

आपका व्यक्तित्व- आपके शब्दों, आपके विचारों की नींव पर टिका है !

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मीठी वाणी और मीठी वीणा जब मिलते हैं, तो एक सुन्दर संगीत का निर्माण होता है,  उसी तरह स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन का जब मिलन होता है तो एक बेहतरीन व्यक्तित्व का निर्माण होता है ! जिस तरह मीठी वाणी और वीणा मिल कर एक बेहतरीन संगीत को जन्म देतें हैं जो लम्बे समय तक हमारे जहन में रहता है, उसी तरह  सकारत्मक बोल, सकारात्मक सोच  एक बेहतरीन व्यक्तित्व को जन्म देतें हैं, जिसका वजूद सदा कायम रहता है आपके साथ भी और आपके बाद भी.....! मीठे सुर जिस तरह सदा सुकून देतें हैं, उसी तरह मीठे बोल मिश्री का काम करते हैं, इसलिए शब्दों को तोल कर और मोल कर बोलिये, आपका व्यक्तित्व- आपके शब्दों, आपके विचारों की नींव पर टिका है !

Everybody knows "What" to do, but only successful peoples no "How" to do.

सार्थक और सकारात्मक  विचारों के साथ,  सार्थक और सकारात्मक प्रयत्न अति आवश्यक है, विचार अगर गाडी का स्टिरिंग है तो प्रयत्न उसका एक्सेलेटर है, आपके विचारों से आप अपनी गाडी को दिशा तो दे सकते हैं, पर बिना प्रयत्न के उसको कभी भी गति नहीं प्रदान कर सकते ! सकारात्मक विचार से आप अपनी दिशा तो निर्धारित कर सकतें हैं,  परन्तु बिना सकारत्मक परिश्रमं के आप मंजिल तक नहीं पहुँच सकते, दिशा और गति सफलता की निशानी है, इसलिए विचार और परिश्रम, का पलड़ा बराबर होना चाहिए,  Everybody knows "What" to do, but only successful peoples no "How" to do, "What" to do is very important to set the goal,  but "How" is the key to achieve or get that goal. Setting the goal is essential, but for success action is required, action in right direction and with right phase, its up to you, what you want-  "You want to set the goal or get the goal". Successful  peoples first set the goal, and than concentrate completely on to get that goal, but loser con