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Showing posts from February, 2018

टीम में मैं नहीं, हम की भावना प्रबल होनी चाहिए....और अंत में टीम सफल होनी चहिये !

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टीम शब्द.....मतलब एक से ज्यादा लोगों का संगम, और जहाँ संगम होगा वहाँ प्रवाह भी होगा और जहाँ प्रवाह होगा वहाँ   वेग भी, और टीम के इस संगम में सबसे ज्यादा जरुरी है उस वेग को संभाले रखना और उसको सही दिशा देना, जब धाराएं अपना रास्ता भूल विपरीत दिशा में चलने लगे तो प्रलय तय है, और इसलिए जरुरी है की टीम की दिशा सही रहे और टीम अपने लक्ष्य को हासिल करे, अपनी मंजिल तक पहुंचे ! टीम की सफलता के कुछ मूल मंत्र हैं: 1)           सबसे पहला मंत्र:  मैं अब मैं नहीं, मैं हम हूँ - मैं एक टीम हूँ....! 2)         टीम का नेतृत्व करने और उस नेतृत्व पर खरे उतरने का दम रखें...... Leader बनें, follower नहीं, पर इसका मतलब यह कतई नहीं है की अगर आप follower हैं तो आप टीम के कमजोर सदस्य हैं, जी नहीं आप एक अहम सदस्य हैं, बहुत किमती सदस्य हैं जिसके कारण कोई आगे है ! हर कोई,  लीड नहीं कर सकता , न ही टीम में हर किसी को lead करना चाहिए, जहां एक की जरुरत हैं वहाँ अगर जरुरत से ज्यादा कप्तान हो जाएँ तो टीम की दिशा और दशा दोनों खराब होना सुनीशिचित है ! 3)         ध्यान रहे की मेरा हर सही कदम मुझे ही नहीं ब

अपना आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने के सफल नियम !

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अपना आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने के सरल व सफल नियम: १)            अपने अंदर से, अपने आपको यह आवाज दें-की आप में वह सब गुण हैं, वह सारी काबिलियत हैं जो औरों में नहीं हैं, और न ही हो सकतीं हैं ! २)          आप जो कर रहें हैं या कर सकतें हैं वह कोई और नहीं कर सकता-इसलिए अगला भी क्या कर रहा है, इसका तुम पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए ! ३)           लिख लो आपके जो हिस्से का है वह आपके पास......बिना कर्म के कभी नहीं आएगा, इसलिए वेले (खाली) न बैठें कर्म करें ! ४)          जो अगर आपके हिस्से में आ गया, तो उसका सदुपयोग भी करें, उसको स्वीकार करें , “accept the peoples and situations as they are” ऐसा न हो की तख़्त मिल जाए, ताज भी मिल जाए पर मन की गरीबी उन सब पर भारी पड़ जाए और जो हिस्से में है, वह सिर्फ किसी किस्से में रह जाये ! ५)         आप तब तक ही गरीब हैं- पैसों से, वस्तुओं से, जब तक की आप खुद अपने आप को गरीब नहीं मान लेते अपने यानि अपने विचारों से , गरीब-व्यक्ति वस्तुओं से कभी नहीं होता.........होता है तो सिर्फ और सिर्फ अपने विचारों से, विचारों से अमीर बनिए, गर

बच्चों की परवरिश के सफल तरीके.....!

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बच्चों की परवरिश के सफल तरीके :   १)        बच्चों को मुक्त करें- तुलनाओं से, छोटे लक्ष्यों से, छोटी बातों से और अपनी महत्वाकांक्षाओं से, उनके बंधन खोल दें...... उनको उड़ने दें मस्त परिंदों की तरह खुले आकाश में, अपने सपने, अपना सफ़र और अपनी मंजिल उनको खुद तय करने दें ! २)          उनके किसी भी निर्णय को, अपने को बच्चों की जगह पर रख कर लें, आप पर अगर यह निर्णय लागू होता तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती ! ३)            बच्चों के साथ बच्चे बन जाएँ, बच्चे बनोगे तो बचे रहोगे ! ४)         बच्चों को अपनी natural रफ्तार से बड़ा होने दें, समय से पहले उनको बड़ा न करें और न ही करने का प्रयास करें ! ५)       बच्चे एक बहती हवा की तरह होतें हैं, समय-समय पर भटकने से पहले ही उनको सही दिशा दें ! ६)        तुलनाओं से बचें, हर बच्चे की अपनी एक inherent quality होती है, बेकार की तुलनाओं से अपने बच्चे को हतोत्साहित कभी न करें ! ७)       आपके बच्चे, आपका परिवार-भगवान का दिया एक सुंदर उपहार है, उनसा दूसरा कोई नहीं है, न ही हो सकता है....इसलिए उनका सदा ख्याल रखें ! ८)           बच्चों में बड़ों के

रिश्तों में सफल होने के सरल व महत्वपूर्ण नियम....!

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रिश्तों में सफल होने के सरल व महत्वपूर्ण नियम: १)    भगवान से प्राथना करें की मुझको इतनी ताकत देना की-मैं अपने और अपनों   के काम आ सकूँ !   २)      रिश्तों को दिल से निभाएं , दिमाग से नहीं ! ३)   हमेशा  बहस से बचें, बहस अनंत है......और उसक निष्कर्ष सिर्फ और सिर्फ शून्य से ज्यादा कुछ भी नहीं है ! ४)   जितना जरुरी हो उतना ही बोलें, जरुरत से ज्यादा बोलना रिश्तों की सेहत के लिए नुकसानदायक है ! ५)     अपने शब्दों का चयन सोच समझ कर करें, वाणी में सयंम रखें,  तब भी जब किसी की बात आपको चोट पहुंचाए ! ६)   आपकी भावना आहत न हो जब आप इसका विशेष ध्यान रखतें हैं, तो इस बात का भी ध्यान रखें की दूसरे की भावना भी आहत न हो ! ७)    सामाजिक बनिए, लोगों के लिए, मित्रों के लिए जरुर काम करिए-पर रिश्तों की कीमत पर नहीं, सामाजिक बनने से पहले पारिवारिक बनिए, अपनों के बनिए और अपने रिश्तों को जिम्मेदारी के साथ निभाइए ! ८)   अपने फायदे के लिए रिश्तों का इस्तेमाल न करें, कुछ चीजें निस्वार्थ निभाई और की जाती हैं, रिश्ते उनमे से एक हैं  ! ९)       रिश्तों में मज़ाक की सीमा और शब्दों की मर्या

काम में सफल होने के सरल और महत्वपूर्ण नियम ....!

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काम में सफल होने के सरल और महत्वपूर्ण नियम  : १)            किसी भी काम को immediately न नहीं कहिये, एक बार तो हाँ कीजिए क्योंकि बहुत सी बार उस काम को करने के तरीके जब आप सोच ही रहे होतें हैं, तब तक उस काम की जरुरत ही खत्म हो जाती है !   २)        काम करिए उसमें सफल होंगें या असफल मत सोचिये, क्योंकि जिन्दगी में निन्यान्वे प्रतिशत वो बातें कभी नहीं घटती जिनकी चिंता हम करतें हैं !   ३)           सब हो जायेगा वाली philosophy पर चलिए, कैसे होगा और कब होगा काम हाथ में आने के बाद में सोचिये !   ४)        जिस काम में आपका हुनर हो , आपको उसकी महारत हासिल हो उस काम  को तो जरुर लें, छीन कर लें और अपने अंदाज में पूरा करें !   ५)         अपने सभी काम पूरे हो जाने बाद भी एक साथ कभी मत दिखाएँ, कुछ कामों को खत्म हो जाने के बाद भी, किसी सही समय पर दिखाने के लिए बचा कर रखें !   ६)          किसी भी काम को शुरू करने से पहले थोडा रुकिए और एकांत में विचार कीजिए की किस तरह से इस काम को सरलता और सफलतापुर्वक, effective तरीके से कैसे किया जा सकता है!  काम को करने से पहले उसका paper work जरु

ताकतवर बनना है तो निभानी होगी- दी गई और ली गई जिम्मेदारी....जिम्मेदारी ताकत को बढ़ाती है !

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अगर आपको ताकतवर बनना है तो बस एक काम करिए....... जो भी ज़िम्मेदारी, आपको दी गई है या आप द्वारा ली गई है उसको पूरी तरह निभाएं, अपना सौ प्रतिशत लगाकर दी गई और ली गई जिम्मेदारीको मुस्कुराते हुए पूरा करें ! ज़िम्मेदारी , ताकत को बढ़ाती है ....... क्योंकि जितनी ज्यादा आप ज़िम्मेदारी   उठाते हैं , उतना ज्यादा ही आप अंदर से मजबूत होते हैं , आपका आत्मविश्वास बढ़ता है , आप को हर काम आसान लगने लगता है और आप काम को बोझ न समझ उसका आनंद लेना शुरू कर देतें हैं , और यही से आपके ताकतवर बनने का सफर शुरू होता है ! आप दूसरों से अलग दिखने लगते हैं , हर किसी को आपकी जरुरत महसूस   होने लगती   है , आप हर जगह ढूंढे जातें हैं ....... आपकी   demand बढ़ जाती है , आपके बगैर कोई काम   करने से पहले सोचा जाता है क्योंकि आप अपनी ज़िम्मेदारी   पूरी तरह से पूरी करते हैं ,  क्योंकि आप दूसरे की   उम्मीद से ज्यादा अपना output देतें हैं ...... जी हाँ , आप ताकतवर है , क्योंकि आप ज़िम्मेदार हैं  ! ज़िम्मेदारी ताकत क