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Showing posts from October, 2020

पहले बीज बोइये और फिर फलों का आनन्द लीजिए !

बीज बोओगे तभी फल पाओगे ! क्या कभी बिना बीज के भी फल मिलता है ? हाँ,  बिना बीज के भी फल मिलता है पर उसके लिए आपको किसी का मोहताज होना पड़ता है, किसी के चाहने और न चाहने पर निर्भर होना पड़ता है, अपने पेड़ के फल आपको दिए तो दिए और नहीं दिए तो नहीं यह पूर्णतयाः दूसरे की इच्छा पर निर्भर करता है और अगर दिए भी तो हो सकता है तब आपकी जरुरत ही ख़त्म हो चुकी हो, हो सकता है आप उनके पाने का इंतजार कर थक चुके हों......, या फिर आप फल न मिलने पर किसी और के हिस्से के फल छीनने का प्रयास करें, उसकी मेहनत, उसके परिश्रम का फल जबरदस्ती हथियाने का प्रयास करें जो की बिलकुल भी न्योचित या न्यायसंगत नहीं है और इस तरह छीने गए फल कभी भी फलदायक नहीं होते और हमेशा-हमेशा के लिए आपको किसी की दया का पात्र बना देता है, आप हमेशा के लिए बैसाखियों पर आ जातें हैं, अपने कदमों, अपने परिश्रम, अपनी ताकत को सदा-सदा के लिए कमजोर कर देतें हैं ! इसलिए.....पहले बीज बोइये और फिर फलों का आनन्द लीजिए !  बीज बोने और फल के मिलने के बीच का जो सफर है  वह हमें बहुत कुछ सीखता है, 

आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं….हारते नहीं !

आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं….हारते नहीं ! हार या असफलता कुछ और नहीं वह हमारे मन की एक दशा है, मन का एक विचार है एक नकारात्मक विचार इसके अलावा कुछ और नहीं, वह आपका मन है जो आपकी जीत और हार को परिभाषित करता है, आपने कुछ किया और आप नहीं जीत सके, आप अपने लक्ष्य को नहीं पा सके, आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच सके इसका मतलब यह नहीं है की आपका सब कुछ ख़त्म हो गया है ! इस शुरुआत और अंत के बीच का जो सफर आपने तय किया उस सफर ने आपको बहुत कुछ सिखाया होगा और उस सफर में आपने बहुत कुछ पाया भी होगा और वह जरुरी नहीं जीत हो लेकिन आगे आने वाली जीत का बीज तो जरूर डाल गया होगा, हर सफर का अंजाम जरुरी नहीं है की मंजिल ही हो लेकिन हर सफर एक मंजिल की नींव जरूर तैयार करता है जिसे देर सवेर आप पा ही लेते हैं ! मतलब "Either you Win or You Learn"  इसके अलावा इस जीवन में कुछ भी नहीं है और अगर आप सोचते हैं की है तो वह मिथ्या है, यथार्थ नहीं ! आपने शुरुआत की आपने अपने अंदर एक विचार को पैदा किया, उसके बीज को बोया और उसके पौधे को सींचा अब अगर आप यह शुरुआत न करने की बजाये सिर्फ बैठे रहते और अपने कदमों को आगे

वर्षा ऋतु का वर्णन !

  वर्षा की रुत और वो बारिश का पानी, अपनी ही मस्ती,  मदमस्त सा बचपन और अलमस्त कहानी, कागज़ की क़िश्ती और  पानी में छप-छप , मिटटी की खुशबू, न आंखों में पानी, मुस्कुराती सी बूंदें और हर तरफ बस …..   पानी ही पानी, पानी ही पानी ! हमारे जीवन में हर ऋतु का महत्त्व है, हर ऋतू हमारे जीवन-चक्र को गति प्रदान करने के लिए अत्यंत जरुरी है, किन्तु वर्षा  ऋतू की अपनी अलग ही एक बात है भरी गर्मी के बाद और तपती धरती को तृप्त करने जब वर्षा की बूंदों का जब  धरती पर आगमन होता है  तो धरती झूम उठती है, पेड़ों की सूखी  शाखाएं हरी-भरी हो उठती हैं मानो जीवन रूपी श्वेत कागज पर प्रकृति ने हर तरह के रंग भर दिये हों, इसलिए वर्षा ऋतू को ऋतुओं की रानी भी कहा गया है ! वर्षा का आगमन सभी के लिए सुखदाई होता है इस ऋतू का प्रारम्भ जून-जुलाई  महीने से प्रारम्भ हो कर सितम्बर माह तक चलता है, भरी गर्मी के बाद वर्षा की बूंदें और बादलों की गर्जना सुकून देती है, वर्षा ऋतू हमारे लिए ढेर सारी खुशियों की बौछारें लेकर आती है भारत में वर्षा ऋतू एक बेहद ही महत्वपूर्ण ऋतू है वर्षा ऋतू आषाढ़, श्रावण तथा भादो मास में मुख्य रूप से होती