"जाते हुए से सीखना और सीखाते हुए को जाने देना"
जी हाँ, जो 'जा' रहा है याद रखना हमेशा वो कुछ 'सीखा' रहा है, और जो 'सीखा' रहा है याद रखना की वो हमेशा के लिए 'जा' रहा है ! जी हाँ 'वक़्त' भी और 'इन्सान' भी....., वक़्त वक़्त हमेशा चलायमान है और निरंतर चलता रहता है, जाता हुआ वक़्त हमेशा हमें कुछ सीख देकर या सीखाकर ही जाता है, हर जाते हुए वक़्त से-बीत गए वक़्त से हमें सबक सीखना चाहिए, बीते हुए वक्त में हुई अपनी गलतियों से सबक लेना चाहिए, अपनी जाने-अनजाने की गई भूलों से सबक लेना चाहिए ताकि आने वाले वक्त में वो भूल - वो गलतियां हमसे न हों, जाता हुआ वक्त हमें बहुत कुछ कह कर, बहुत कुछ सीखा कर जाता है, यह हम पर है की हम उन सबकों को स्वीकार करें न की नजरअंदाज करें, अगर हम उन्हें स्वीकार लेंगें तो यह तय है की आने वाला हमारा वक्त बहुत ही मंगलमय और अच्छा होगा और अगर हम उन्हें नजरअंदाज कर देंगें तो फिर आनेवाला वक्त भी बीते हुए वक्त की तरह ही बीत जाएगा हमें सीखाते-सीखाते और जीवन भर हम सीखने और गलतियों को दोहराने की प्रक्रिया से बाहर कभी नहीं निकल पायेंगें, इसलिए जो समय जा रहा जाते-जाते वह हम