सयंम और समय

सयंम और समय 

जब हमारे पास समय होता है तो सयंम नहीं होता और जब सयंम आता है तो समय निकल गया होता है !

एक बार की बात है एक व्यक्ति अनजान और सुनसान टापू पर अकेला फंस गया, बहुत प्रयास और इन्तजार के बाद भी उसे वहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं दिखाई दे रहा था, दिन बीतते गए उसके सब प्रयास और आशाएं उसे ख़त्म होती सी लगी और एक दिन अचानक सवेरे के समय एक खाली किश्ती समुन्दर की लहरों से टकराती हुई टापू की तरफ आती दिखी व्यक्ति की ख़ुशी का ठिकाना न रहा, टापू से निकलने की उसकी उम्मीद जाग उठी, वह प्रफुलित हो उठा क्योंकि उसके कठिन समय की समाप्ति होने वाली थी, उसके चेरहे पर अनजान सी ख़ुशी थी बहुत दिनों के सब्र के बाद उसका बुरा समय जाने वाला था और उसे अपने सामने किश्ती के रूप में एक बहुत खूबसूरत समय दिखाई दे रहा था !

किन्तु किश्ती थी की समुद्र की लहरों में हिचकोले खाती कभी किनारे की तरफ आती और कभी की लहरों के साथ अंदर को गहराई की तरफ खींची चली जाती,  सुबह बीती और दोपहर हो गई किन्तु लहरों से लड़ती किश्ती किनारे लगने का नाम नहीं ले रही थी, व्यक्ति की बैचेनी चरम पर थी क्योंकि सांझ भी पास थी और अंधेरों से लड़ते लड़ते व्यक्ति को एक बार फिर अपना भविष्य अन्धकार  की तरफ बढ़ता हुआ दिख रहा था !

सांझ ढलने लगी, किश्ती समय की तरह हाथ से निकलती दिखाई देने लगी और अब व्यक्ति का सयंम समय पर भारी पड़ने लगा  और उससे न रहा गया,  एक झटके से व्यक्ति के सयंम ने समुद्र में छलांग लगा दी यानी व्यक्ति समय रूपी किश्ती को पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में कूद गया किन्तु साँझ की लहरें प्रचंड थी उनको चीरते हुए व्यक्ति लहरों के विपरीत किश्ती की तरफ बढ़ने का प्रयास करने लगा, किन्तु प्रचंड लहरें व्यक्ति और किश्ती के बीच की दीवार बन उन दोनों को आपस में न मिलाने के लिए जैसे आतुर थी यह लहरें परिस्थितियां थी जो समय को उसके अनुकूल नहीं होने दे रही थी और व्यक्ति का सयंम जवाब देने लगा था और अंत में लहरों से लड़ते-लड़ते वह गहरे समुद्र की गहराइयों में खो गया, समय से पहले हार गया और किश्ती को न पा सका !

कुछ ही घंटों पश्चात लहरें शांत हो गई और किश्ती अपने आप ही किनारे लग गई पर अब उसका सवार वहां पर नहीं था वह समुद्र में खो गया था परिस्थितियां बदली और जब  समय आया तो सयंम खो चूका था !

इस पूरी कहानी में किश्ती एक समय था, व्यक्ति सयंम था और लहरें  परिस्थितियां थी - सारांश में  परिस्थितियों के आगे सयंम ने जवाब दे दिया और उसका अनुकूल समय आने से पहले ही  हार मानी ली यानि सयंम होता तो परिस्थितियां जरूर देर सवेर अनुकूल होती और सही समय उसके साथ होता, उसका होता अथार्थ  'जब हमारे पास समय होता है तो सयंम नहीं होता' , जी हाँ यह सच है,  परम सत्य है चाहे हम  माने या न माने, बस एक बार अपने जीवन में झाँक कर देखिएगा जरूर !

जब सयंम आता है तो समय निकल गया होता है !

और जब तक हमारे अंदर सयंम आता है तब तक समय निकल चूका होता है क्योंकि समय चलायमान है वह कभी किसी का इन्तजार नहीं करता निरंतर चलता रहता है और हम अपनी नासमझी की वजह से अपनी महत्वाकांषाओं की वजह से समय से पहले असयांमित हो जाते हैं और नादानी कर बैठते हैं, किसी भी चीज को पाने के लिए सबसे ज्यादा जिस बात की जरुरत है वह है हमारा संयमित होना, क्योंकि कोई भी चीज एक दिन में नहीं मिलती, किसी भी चीज को पाने के लिए समय देना पड़ता है किन्तु इसके विपरीत किसी भी चीज को खोने के लिए एक शन्न लगता है!

एक बार की बात है, एक व्यक्ति ने अपने घर के बगीचे में केले के कुछ वृक्ष लगाए, व्यक्ति वृक्षों की बहुत देखभाल करता, वृक्ष धीरे-धीरे बड़े होने लगे व्यक्ति रोज सुबह उठ कर फलों का इन्तजार करने लगा उसकी बड़ी तमन्ना थी की फल लगें और जल्दी से जल्दी वह उनका आनंद ले !

किन्तु वृक्ष अपनी रफ़्तार से बड़ा हो रहा था उसकी अपनी नेचुरल ग्रोथ थी पर व्यक्ति का सयंम जवाब दे रहा था, किन्तु वह अपने सयंम को कायम रखे हुए था और फलों के आने का इन्तजार करने लगा ! किन्तु एक दिन अचानक बंदरों के झुण्ड ने व्यक्ति के बगीचे में डेरा दाल दिया, व्यक्ति ने जब यह देखा तो वह घबरा गया उसको अपनी मेहनत पर, अपने फलों के खाने की उम्मीदों पर पानी फिरता लगा, उसे अपने केलों की चिंता सताने लगी, चूँकि अभी सिर्फ केले के वृक्ष थे फल नहीं पर वह बंदरों के द्वारा केलों के नष्ट होने को लेकर चिंतित हो उठा, बन्दर कभी इधर कूदते और कभी उधर कूद बगीचे का आनंद ले रहे थे , पर वह किसी भी वृक्ष को नुक्सान नहीं पहुंचा रहे थे, व्यक्ति चिंतित था और बंदरों को भागाने के उपाय सोचने लगा, उसको लगा की इन्हें किसी भी तरह मेरे आने वाले फलों को नुक्सान नहीं पहुंचाने दूँगा चाहे मुझे इसके लिए कुछ भी क्यों न करना पड़े, व्यक्ति ने झट से अपने पास पड़े लट्ठ को उठा कर इधर-उधर घुमाना शुरू कर दिया, बन्दर भी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदने लगे भागते-भागते व्यक्ति भी थक के चूर हो चुका था और लगभग सभी बन्दर बगीचे से जा चुके थे और एक-दो बन्दर ही बगीचे में बचे थे किन्तु व्यक्ति अभी भी शांत नहीं हुआ वह उन बचे हुए बंदरों को लट्ठ से मारने के लिए तेजी से दौड़ा और भागते हुए उसका पैर फिसला और उसका मुंह जोर से जमीन पर जा लगा और वह बेहोश हो गया , बन्दर कुछ देर उछल कूद करते रहे और थोड़ी देर में अपने आप ही वहाँ से निकल गए !

अगर देखें तो बंदरों ने इतना नुक्सान नहीं किया था जितना नुक्सान व्यक्ति को अपने कारण से उठाना पड़ा, व्याक्ति की जब आँख खुली तो उसने अपने आप को अस्पताल में पाया उसके हाथ और पैर में प्लास्टर चढ़ा हुआ था और उसका मुंह पूरी तरह जख्मी हालत में पट्टियों से बंधा हुआ था और वह मुंह हिलाने की स्थिति में बिलकुल भी नहीं था, कुछ दिनों के बाद व्यक्ति की अस्पताल से छुट्टी मिल गई पर उसका सारा दिन बिस्तर पर ही निकलता दिन बीतते गए और एक दिन व्यक्ति ने देखा की केले के पेड़ों पर केलों के गुच्छे लटक आये थे, दिन बीते केले बड़े हो गए और पकने लगे किन्तु व्यक्ति उनको पाने और खाने की स्थिति में नहीं था उसने चारपाई से उठने की बहुत कोशिश की पर उससे अपने दर्द के कारण हिला न गया और वह केलों तक नहीं पहुँच सका, उसका सयंम तो अब उसके साथ था पर समय निकल चुका था इसलिए जीवन में सयंम रखिये क्योंकि जो आपकी हिस्से का है वह सही समय पर आपके पास जरुर आएगा!

सयंम और समय एक  दूसरे के पूरक हैं सयंम होगा तो आपका समय भी जरूर आएगा और समय होगा तो सयंम भी आपके अंदर अपने आप ही पैदा होगा !


इसलिए सयंम और समय के बीच तालमेल बनाये रखें दोनों का आपके जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दें !



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