आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं….हारते नहीं !

आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं….हारते नहीं !

हार या असफलता कुछ और नहीं वह हमारे मन की एक दशा है, मन का एक विचार है एक नकारात्मक विचार इसके अलावा कुछ और नहीं, वह आपका मन है जो आपकी जीत और हार को परिभाषित करता है, आपने कुछ किया और आप नहीं जीत सके, आप अपने लक्ष्य को नहीं पा सके, आप अपनी मंजिल तक नहीं पहुँच सके इसका मतलब यह नहीं है की आपका सब कुछ ख़त्म हो गया है ! इस शुरुआत और अंत के बीच का जो सफर आपने तय किया उस सफर ने आपको बहुत कुछ सिखाया होगा और उस सफर में आपने बहुत कुछ पाया भी होगा और वह जरुरी नहीं जीत हो लेकिन आगे आने वाली जीत का बीज तो जरूर डाल गया होगा, हर सफर का अंजाम जरुरी नहीं है की मंजिल ही हो लेकिन हर सफर एक मंजिल की नींव जरूर तैयार करता है जिसे देर सवेर आप पा ही लेते हैं !

मतलब "Either you Win or You Learn" इसके अलावा इस जीवन में कुछ भी नहीं है और अगर आप सोचते हैं की है तो वह मिथ्या है, यथार्थ नहीं !

आपने शुरुआत की आपने अपने अंदर एक विचार को पैदा किया, उसके बीज को बोया और उसके पौधे को सींचा अब अगर आप यह शुरुआत न करने की बजाये सिर्फ बैठे रहते और अपने कदमों को आगे नहीं बढ़ाते तो न सफर हॉट न मंजिल की उम्मीद, हमेशा गिरते वही हैं जो अपने पैरों पर खड़े होते हैं , लड़खड़ाते वही हैं जो अपने क़दमों पर आगे बढ़ते हैं, गिरते हैं, सम्भलतें हैं और फिर गिरते हैं किन्तु सबक ले कर फिर आगे को बढ़ते हैं , 

हमेशा याद रखना…

गिरेगा वही जो आपने पैरों पर खड़ा होगा,

और आग में तपेगा वही जो लोहे की तरह कड़ा होगा, 

हार, हाँ हार-मन का सिर्फ एक वहम है…, 

और जीतेगा वही  जो तन से नहीं, मन से बड़ा होगा,

किश्तियाँ डगमगाएंगी और  पतवार भी धोखायें  देगी,

किन्तु अंत में तरेगा वही, 

जो समुन्दर की लहरों से लड़ा होगा !

आप जिसे हार समझतें हैं उन्हें सफल वयक्ति हार नहीं बल्कि एक सबक समझतें हैं, एक लर्निंग लेसन समझतें हैं जिससे कुछ सीख कर, कुछ सुधार कर हम आगे बढ़ते हैं और देर-सवेर एक मुकाम हासिल जरूर करते हैं !

जो लोग हार से सीख नहीं लेते, सबक नहीं लेते वह जिंदगी भर हार के बोझ तले दबे रहतें हैं और उनके लिए जीत के द्वार सदा के लिए बंद हो जातें हैं, मंजिल तो दूर वह अपना एक कदम भी आगे बड़ा नहीं पाते और परिस्थितियों से लड़ने की बजाये उनके आगे समर्पण कर देतें हैं !

हमेशा हार कर भी जीत उन्हीं को मिलती है जो अपने जीवन में, जो हर परिस्थियों में, जो अपनी हार में "समर्पण की बजाए संघर्ष" करते हैं और जो अपने मन को अपनी मुट्ठी में रखतें हैं, जो अपने शरीर से नहीं मन से मजबूत होते हैं, जो कभी भी हारते नहीं हमेशा अपने जीवन में "या तो जीतते हैं, या फिर सीखतें हैं" और आगे बढ़ते हैं ! 










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