संघर्ष ही जीवन है....हार मिथ्या है, संघर्ष करें....समर्पण नहीं !
जब मैं यह कहता हूँ की संघर्ष करें.....समर्पण
नहीं, तो उसका सीधा मतलब है की कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती....और मेहनत
उनकी कभी बेकार नहीं होती !
संघर्ष माने अपने और अपनों के संग-हर्ष, और जब आप हर्ष में हैं, खुशी में हैं तो आपकी जीत निश्चित है इसलिए समय को....समय दें क्योंकि संघर्ष करने वाले देर-सवेर जरूर जीतते हैं !
हार तब तक नहीं होती जब तक की हम खुद हार नहीं मान लेते, हमें कोई और नहीं हम खुद हरातें हैं, जीत को परिभाषित हम खुद करतें है और उस परिभाषा को न पा पाना ही हार है !
जीत की परिभाषा हर व्यक्ति, हर परिस्थिति में अलग-अलग है, यह हमें जानना होगा और मानना भी होगा, परिस्थितियां के अनुसार ही हम हार और जीत को परिभाषित करते हैं !
वास्तव में तुमने संघर्ष नहीं...समपर्ण किया है, तुम हारे नहीं...तुमने हार मानी है, ध्यान रहे जो तुमने अब तक पाया है...... जहाँ तक का सफर तुमने अब तक किया है उस परिस्थिति में, उस समय में वही तुम्हारी जीत है, और वही जीत की तुम्हारी परिभाषा होनी भी चाहिए !
व्यर्थ ही अपने द्वारा पाए गए मुकाम को हार और जीत में परिभाषित कर अपने वर्तमान के आनंद को खोने से बचें !
यही जीवन है..... याद रखें आपके खुश रहने, आपके प्रफुलित रहने, आपके वर्तमान में रहने पर आपके साथ जुड़े लोग, आपका परिवार भी खुश रहेगा और यह तभी मुमकिन है जब तक की आप आन्नद में हैं....वर्तमान में हैं.....न आप हार में हैं, न जीत में हैं !
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