जो भी करें, जब भी करें उसमे अपना सौ प्रतिशत दें.....!
जो भी करें, जब भी करें उसमे अपना सौ प्रतिशत दें....... !
अक्सर जब हम यह कहतें है की मैं हार गया, जबकि मैनें
अपनी तरफ से प्रयास बहुत किया, तो हमेशा याद रखिए की आपका प्रयास जरूर रहा होगा लेकिन
आपके प्रयास में कहीं न कहीं, कुछ न कुछ कमी जरूर रही होगी, आपका प्रयास सौ
प्रतिशत, सौ नहीं होगा !
याद रखिए जो भी काम करें पूर्णता से पूरा करें, जिम्मेदारीपूर्वक
करें....अपना सौ प्रतिशत लगा कर करें, परिणाम से मुक्त हो कर करें....अपने दायरों
से बाहर निकल कर करें..... अपने बंधन खोल दें, किसी भी काम को पूर्णतया मुक्त
हो कर करें...उन्मुक्त हो कर करें !
कोई भी जिम्मेदारी जब भी हम पर आती है, तो हमारे मन में अक्सर कुछ इस तरह के विचार सबसे पहले आते हैं:
१) यह कैसे होगा !
२) इसका परिणाम क्या होगा !
३) मेरे से नहीं होगा !
४) लोग क्या सोचेंगे......क्या कहेंगे !
५) यह मेरा काम नहीं है !
६) मेरे पास अभी समय नहीं है !
७) यह काम बेकार है !
८) अगर दूसरा इसको करता तो कैसे करता !
९) मेरी इस काम में मदद कौन करेगा !
इत्यादी-इत्यादी......
मैं बस इतना कहूँगा...अपने बंधन खोल दें, मुक्त हों......उन्मुक्त
हों, आगे बढ़ें !
क्या फर्क पड़ता है ....ख़राब से ख़राब क्या होगा....क्या
होगा, क्या तुम्हारी पुरी दुनिया लूट जायगी...क्या सब खत्म हो जायगा, जी नहीं
ऐसा बिलकुल भी नहीं होगा, रत्ती भर भी ऐसा होने की गुंजाईश नहीं है....यह सत्य है
!
यह कैसे होगा-
तो यह सिर्फ और सिर्फ एक शुरुआत करने से
होगा पहला कदम बढ़ाने से होगा, सिर्फ आपकी एक शुरुआत बिना चिंता, की परिणाम क्या होगा ......आगे बड़ेें, जिम्मेदारी
लें और शुरुआत करें ! ध्यान रहे, जिम्मेदारी ताक़त बढ़ाती है,
लोग अपेक्षाएं भी उन्ही से करते हैं, काम भी उन्ही को देते हैं जो जिम्मेदारी
उठाने के लिए तत्पर रहते हैं !
इसका परिणाम क्या होगा-
मैं कम से कम में
इतना जरूर दावा कर सकता हूँ की काम को न करने से तो बेहतर ही होगा ! यह आपको तय करना है की आपको पहले क्या चाहिए- काम की शुरुआत या शरुआत से पहले काम की परिणाम, काम करिये...परिणाम अपने आप उसके
पीछे-पीछे चलता हुआ आएगा, और आपकी अपेक्षा से बेहतर ही आएगा ! याद रखिये परिणाम की चिंता करने वाले कभी भी अपना काम सौ
प्रतिशत क्षमता से नहीं कर पाते, परिणाम का डर कभी भी उन्हें उनकी पूरी क्षमता से काम
नहीं करने देता, और यही से उनकी जीत की दिशा हार की तरफ घूम जाती है!
मेरे से नहीं होगा-
क्यों, क्योंकि मेने कुछ शुरू
करने से पहले ही समर्पण कर दिया.....अपने अंदर बीज बो दिया हार का और उम्मीद कर रहा हूँ या फल चाहिए मुझे जीत
का, हार के बीज पर जीत का फल....... असंभव ! धयान रखिये आपका पहला कदम बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि वही आपके दुसरे कदम
की दिशा और आपकी दशा तय करेगा !
लोग क्या सोचेंगे, क्या कहेंगे-
सबसे बड़ा रोग
...... क्या कहेंगे लोग ! हमेशा ध्यान रखना कहने वाले वही गिनती के लोग होते हैं जो
न खुद कुछ करने के काबिल होते हैं और न ही चाहतें हैं की आप भी कुछ करें, ऐसे
लोगों को नजरअंदाज करें, उनको अपने हाल पर छोड़ दें और आगे बढ़ें !
आपकी जीत पर अगर उनकी
ताली न बजे तो समझ लेना की आपके कदम सही रास्ते पर हैं और आपकी मंजिल नजदीक है !
यह मेरा काम नहीं है-
काम ,काम है वह मेरा या उसका नहीं होता, काम समय के अनुसार बदलता रहता है जो आज तुम्हारा काम है, निश्चित ही वह कल किसी
और का होगा और जो किसी और का काम है वह एक दिन तुम्हारा होगा ! काम को अपना समझ कर करें, आनंद के साथ करें, बोझ समझ कर न करें.......मस्त हो कर अपनी मस्ती में करें, मुस्कुराते हुए करें, काम करें......किसका है, किसका नहीं इस बंधन में न पड़ें......हो सकता है की न करने की आपकी जिद आपको और भी पीछे ले जाए !
बंधन मुक्त हों ....उन्मुक्त हों !
मेरे पास अभी समय नहीं है-
समय जितना तुम्हारे पास है उतना ही सभी के पास है, और करने वालों के लिए वो भी बहुत ज्यादा है....जरा अपनी जिंदगी के पन्ने पलट कर कर देखो कहीं वह सिर्फ एक कोरी किताब ही तो नहीं, क्या किया है उम्र भर , हर समय, समय को सिर्फ तुमने यही बताया है की मेरे पास
समय नहीं है, इससे ज्यादा कुछ नहीं !
काम करिए, समय को चलने दें आप भी उसके साथ चलें न ही उससे आगे न ही पीछे !
काम करिए, समय को चलने दें आप भी उसके साथ चलें न ही उससे आगे न ही पीछे !
यह काम बेकार है-
परिभाषा.....और सिर्फ परिभाषा !
क्या अच्छा है, और क्या बुरा है समय के अनुसार चीजों को हम परिभाषित करने में बहुत माहिर हैं, हार और जीत को हम अपने अनुसार परिभाषित करते हैं, काम नहीं करने के बहाने हजारों हैं पर काम करने का एक बहाना ढूंढ कर अपना काम शुरू करें.... काम को समय को परिभाषित करने दें !
परिभाषा.....और सिर्फ परिभाषा !
क्या अच्छा है, और क्या बुरा है समय के अनुसार चीजों को हम परिभाषित करने में बहुत माहिर हैं, हार और जीत को हम अपने अनुसार परिभाषित करते हैं, काम नहीं करने के बहाने हजारों हैं पर काम करने का एक बहाना ढूंढ कर अपना काम शुरू करें.... काम को समय को परिभाषित करने दें !
अगर दूसरा इसको करता तो कैसे करता-
तुलना से बचें.....जो तुम कर सकते हो, शायद वो कोई और न कर सकता, कोशिश यह हो की मैं इस को इससे बेहतर करता तो इसका परिणाम क्या होता ! अपने रास्ते खुद चुनें......अपनी मंजिल खुद तय करें, भीड़ का हिस्सा न बनें !
जरा हट कर चलेंगे, तो दुनिया हटा कर देखेगी !
तुलना से बचें.....जो तुम कर सकते हो, शायद वो कोई और न कर सकता, कोशिश यह हो की मैं इस को इससे बेहतर करता तो इसका परिणाम क्या होता ! अपने रास्ते खुद चुनें......अपनी मंजिल खुद तय करें, भीड़ का हिस्सा न बनें !
जरा हट कर चलेंगे, तो दुनिया हटा कर देखेगी !
मेरी इस काम में मदद कौन करेगा-
मदद नहीं मिलेगी तो क्या काम नहीं करेंगे ?
जनाब इस काबिल बनिए की आप किसी के मददगार बन सकें, हाथ फैलाएं नहीं......हाथ बढ़ाएं और किसी का सहारा बनें ! बिना किसी मदद के भी आप कर सकतें हैं,आप काबिल हैं, आप में क्षमता है, भगवान भी उन्ही की मदद करते है जो स्वयं अपनी मदद करते हैं!
मदद नहीं मिलेगी तो क्या काम नहीं करेंगे ?
जनाब इस काबिल बनिए की आप किसी के मददगार बन सकें, हाथ फैलाएं नहीं......हाथ बढ़ाएं और किसी का सहारा बनें ! बिना किसी मदद के भी आप कर सकतें हैं,आप काबिल हैं, आप में क्षमता है, भगवान भी उन्ही की मदद करते है जो स्वयं अपनी मदद करते हैं!
आप कर सकते हैं यह विश्वास,,.....यह जुनून अपने
अंदर पैदा करें, और फिर देखें दुनिया की कोई भी ताक़त आपको आपकी मंजिल तक पहुंचने
से नहीं रोक सकती.....!
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