बबूल बोया है..... तो काँटों के लिए तैयार रहें !
जीवन में कुछ भी करना, कैसा भी करना, किसी के साथ भी करना पर बस इतना ध्यान रखना....., हर चीज, हर बात, तुम्हारा हर कर्म, दूसरों के साथ किया गया बर्ताव-लौट-लौट कर वापिस आता है, तुम्हारे इस जीवन-चक्र में, तुम्हारे द्वारा किये गए कर्मों का फल बिना भुगते.... और वह भी ब्याज सहित, तुम कभी भी मुक्त नहीं हो सकते, अपना सफर ख़त्म नहीं कर सकते....कभी भी नहीं !
जो तुमने दिया है..... एक दिन तुम्हारे पास वापिस जरूर आएगा,
अगर बबूल बोया है..... तो काँटों के लिए तैयार रहना !
प्रयास यह हो कि आपके द्वारा किसी का कभी बुरा न हो, न ही बुरा करने का कभी प्रयास हो,
किसी का भला न भी कर सको तो ध्यान रखना, किसी का तुम्हारे हाथों- तुम्हारी बातों से, बुरा भी न हो.... तभी तुम्हारा जीवन सफल है, और इस धरा में आना सार्थक है !
अक्सर हम अपने बड़े-बुजुर्गों से अच्छा बर्ताव नहीं करते, और ऐसा करते वक़्त हम बस एक बात भूल जातें है की इस दौर से हमें भी गुजर कर जाना है, दुनिया में कोई ऐसा नहीं हो जो उम्र के इस दौर को छलांग मार जाये, इस दौर से न कोई बच कर निकल पाया है न निकल पाएगा, तुम भी नहीं...... इतना ध्यान रखना, इसलिए जो भी तुम किसी के साथ बर्ताव कर रहे हो वो 'कर्म की गुल्लक' में जमा हो रहा है, जो यथा शीघ्र ब्याज के साथ तुम्हारा इन्तजार कर रहा है, तुम्हे पूर्ण रूप से वापिस मिलेगा ब्याज सहित ..!
और वाणी को विनर्म रखें !
तूफ़ानों में वही पेड़ गिरते हैं जो झुकते नहीं.......
इसलिए अपने संस्कारों की जड़ों को मजबूत,
और व्यवहार की शाखाओं को नरम रखें !
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