हम न पाने का कोई गम करें, आसमानों से आगे जहान और भी हैं.....बस उड़ने कि कोशिश हम करें !
पा लेते हैं वह भी बहुत कुछ, जो हौसला रखतें हैं,
और भाग्य से ज्यादा......कर्म जरुरी हैं,
इस दुनिया में नाम पाने के लिए !
इस दुनिया में नाम पाने के लिए !
कुछ सीखने की कोई उम्र नहीं होती, ठीक उसी तरह कुछ सिखाने की भी कोई उम्र नहीं होती ! आज मैं जिक्र करूँगा एक ऐसे गोलू-मोलू बच्चे का जिसने- हमारी
तरह दुनिया के कई रंग नहीं देखे, जिसने अपने बाल भले ही तजुर्बे से सफ़ेद न किये हों....पर उसका जिंदगी जीने का तजुर्बा, उसका नजरिया, उसका उन्मुक्त जीवन हम सभी को कुछ न कुछ सीखने पर मजबूर कर देता है......वो है मात्र दस साल का प्यारा गोलू-मोलू सा बच्चा !
गोलू मोलू सा वो लड़का......प्यारा सा सुंदर सा....सबका दुलारा,
जिसके अंदर न किसी से द्वेष करने का समय न ही तमन्ना, न किसी कि शिकायत और न किसी से
शिकायत.........न कभी स्कूल में गिर कर या किसी से पिट कर आने पर अपने घर आकर उसकी
चर्चा करना, न ही कोई शिकायत करना..........इन सब से ऊपर और दूर, वो प्यारा सा गोलू-मोलू
!
पढाई में वह हमेशा अव्वल रहता..... स्कूल कि
करिकुलर एक्टिविटी में भी हमेशा ढेरों इनाम जीतता, टीचरों का प्रिय और.......मस्त रहना उसकी
कोर में था ! पर जब भी स्कूल का वार्षिकोत्सव होता किसी भी डांस वैगेरा में उसका
नाम नहीं होता.....घर आकार बताता कि मेरे अलावा सभी बच्चे किसी न किसी प्रोग्राम
में हैं, पर टीचर कहती हैं कि तुम डांस नहीं कर पाओगे, तुम्हे बाद में लेंगे....गोलू-मोलू
जानता था वो सब एक बहाना है ! मम्मी जब उससे कहतीं कि मैं टीचर से बात करूँ तो उसका
एक ही जवाब होता....“कोई जरुरत नहीं है टीचरों से क्या बात करनी....मस्त रहो, मंच
पर ही तो चढ़ना है, वो तो वैसे ही में पढ़ाई का पुरस्कार लेने चढ़ ही तो रहा हूँ,
क्यों टीचरों को परेशान करना” !
उसकी यह बातें हमें एक बहत बड़ी सीख दे जाती-
जो आपका है वो आपसे कोई नहीं छीन सकता...और जो
मुकाम आपको पाना है उसको दूसरे की बैसाखी के सहारे आप कभी हासिल नहीं कर सकते और न ही कभी हासिल करने कि कोशिश करें,
जो आप अपने खुद के प्रयास से पा सकते हैं वही आगे जाकर आपको आपके पैरों पर खड़ा होने की आदत डालेगा........आपको सफल बनाएगा जीवन के हर चरण में क्योंकि आपने अपने अंदर एक जूनून पैदा कर लिया है जीतने का ! किसी भी चीज या मुकाम को पाने के लिए कभी भी दूसरे के आगे हाथ न
फैलाएं.....न ही उसको पाने के लिए किसी से दुश्मनी मोल लें, हासिल कुछ न होगा और
सम्बन्ध और खराब हो जायेंगे, अगर आप में काबिलियत है तो आज जो आप पर विश्वाश नहीं करते वही लोग एक दिन आपके पीछे-पीछे आएंगे ! आपको अगर एक मंच न भी मिले, तो वह आपके जीवन का आखिरी मंच नहीं
है......ध्यान रखना उससे ऊँचा मुकाम और मंच, आपके लिए तैयार हो रहा है......आपका इंतजार कर रहा है !
हम न पाने का.....न खोने का , कोई गम करें,
आसमानों से आगे जहान और भी हैं.....
बस जरा सा उड़ने कि कोशिश हम करें !
उसको किसने क्या कहा, क्यों कहा.....उसको कभी भी उसने अपने दिल पर नहीं लिया, अपने में मस्त रहा, चाहे उस गोलू-मोलू को किसी ने स्कूल में गेम्स में खिलाया न हो, चाहे अपनी कॉपी न दी हो या उसकी बहन ने उसकी मलाई खा ली हो.....न कभी शिकायत, न कोई मलाल, जो मिला उसी में मजे लिए, न कुछ अधिक की चाह, लेकिन अपने हर काम में अव्वल !
उसको किसने क्या कहा, क्यों कहा.....उसको कभी भी उसने अपने दिल पर नहीं लिया, अपने में मस्त रहा, चाहे उस गोलू-मोलू को किसी ने स्कूल में गेम्स में खिलाया न हो, चाहे अपनी कॉपी न दी हो या उसकी बहन ने उसकी मलाई खा ली हो.....न कभी शिकायत, न कोई मलाल, जो मिला उसी में मजे लिए, न कुछ अधिक की चाह, लेकिन अपने हर काम में अव्वल !
उसकी यह बात हमें अक्सर यह सोचने पर मजबूर
कर देती कि क्या अपना और क्या पराया जो मिला उसमें हर हाल में खुश रहें....किसी भी की बातों
को दिल पर लेने कि जरुरत नहीं, मिश्री सा गोलू-मोलू कटु बातें भी उसको कभी कड़वा न कर सकीं और वह आगे ही
आगे बढता गया....! जब-जब उसको बताया गया की तुम नहीं कर सकते, उसने उसके अगले ही पल उस काम को अपेक्षाओं से अधिक अच्छे तरीके से कर के दिखाया क्योंकि उसने किसी से अपनी तुलना नहीं की अपने अंदाज में अपने काम किये, न किसी की नक़ल , न किसी से होड़..... अपने चुने रास्ते और अपनी ही दौड़ !
मस्त रहा वो हरदम अपनी मदमस्त चाल
में,
न बिछाया किसी के लिए जाल उसने,
न ही फंसा वो किसी के जाल में....!
न ही फंसा वो किसी के जाल में....!
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