बच्चों की परवरिश के सफल तरीके.....!

बच्चों की परवरिश के सफल तरीके : 
१)      बच्चों को मुक्त करें- तुलनाओं से, छोटे लक्ष्यों से, छोटी बातों से और अपनी महत्वाकांक्षाओं से, उनके बंधन खोल दें...... उनको उड़ने दें मस्त परिंदों की तरह खुले आकाश में, अपने सपने, अपना सफ़र और अपनी मंजिल उनको खुद तय करने दें !
२)        उनके किसी भी निर्णय को, अपने को बच्चों की जगह पर रख कर लें, आप पर अगर यह निर्णय लागू होता तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होती !
३)          बच्चों के साथ बच्चे बन जाएँ, बच्चे बनोगे तो बचे रहोगे !
४)        बच्चों को अपनी natural रफ्तार से बड़ा होने दें, समय से पहले उनको बड़ा न करें और न ही करने का प्रयास करें !
५)     बच्चे एक बहती हवा की तरह होतें हैं, समय-समय पर भटकने से पहले ही उनको सही दिशा दें !
६)      तुलनाओं से बचें, हर बच्चे की अपनी एक inherent quality होती है, बेकार की तुलनाओं से अपने बच्चे को हतोत्साहित कभी न करें !
७)     आपके बच्चे, आपका परिवार-भगवान का दिया एक सुंदर उपहार है, उनसा दूसरा कोई नहीं है, न ही हो सकता है....इसलिए उनका सदा ख्याल रखें !
८)         बच्चों में बड़ों के प्रति आदर की भावना के गुण विकसित करें !
९)      बच्चों के अंदर जो quality है उसको निखारने के लिए अवसर प्रदान करें, उनको मौका दें  !
१०)         बच्चों को अपने दम पर, अपने नाम पर पहचाने जाने के गुण विकसित करें, न की वह आपके नाम से जाने जाएँ !
११)       बच्चों को कभी-कभी अपने कामों में भी involve करें, उनसे उसको करने के नए तरीकों के बारे में पूछें व उनको काम को करने के तरीके बताएं !
१२)     घर की छोटी-मोटी जिम्मेदारी कभी-कभार अपने बच्चों को भी दें जैसे आस-पास की दुकान से सामान लाना, बगीचे में पानी देना इत्यादि !
१३)        खुद भी मुस्कुराइए और बच्चों को भी मुस्कुराने का महत्व बताएं, किस तरह औरों को मुस्कुरा कर जीता जाता है की कला उनमें विकसित करें  !
१४)      बच्चों को अपनी पढाई योजनाबद्द तरीके से करना सिखाएं, ताकि वह वक्त के साथ चल सकें,  समय रहते अपने  targets पुरे कर सकें और तनाव-मुक्त  रहें ! 
१५)     अपने बच्चों की औरों के सामने खुल कर तारीफ करें और कभी भी किसी के सामने उनकी कमियाँ कतई न गिनाएं !
१६)    बच्चों को समय-समय पर जमीं का, अपनी जड़ों का एहसास कराते रहें, ऐसा न हो की पतंग की तरह वह भी कोई ग़लतफ़हमी पाल लें की वो बहुत ऊँचाई पर हैं, अब उनका कोई भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता, उनको ध्यान दिलातें रहें की पतंग की डोर कटते ही सारा खेल खत्म है, इसलिए सदा उनके कदम जमीन पर हों और मंजिल अासमान हो  !
१७)    पढाई के साथ-साथ खेलकूद भी जरुरी है, बच्चों को समय रहते मोबाइल से, टेलीविजन से बाहर निकालें, इसके आगे भी बहुत सुन्दर दुनिया है, कहीं देर न हो जाए वक्त और बच्चे दोनों हाथ से न निकल जाएँ!
१८)      बच्चों में संस्कारों की जड़ें मजबूत करें और समय-समय पर उनको सींचें भी !
१९)  हमेशा ध्यान रखें-जैस बोओगे, वैसा ही फल पाओगे, इसलिए मीठे फलों को बोइये, मीठा ही पाइए और मीठा ही खाइए !
२०)   किसी की भी बुराई या निंदा करने से बचें, कम से कम बच्चों के सामने तो कतई भी नहीं !
बच्चों की परवरिश.....एक आसान काम है जिसको हम अपनी आदतों के कारण, अपनी जिम्मेदारी से बचने के कारण कठिन बनातें हैं......और फिर उस में उलझ कर रह जातें हैं, न उलझें.... न उनके बचपन को उलझाएँ  !


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