अपना आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने के सफल नियम !
अपना आत्मसम्मान और आत्मविश्वास बढ़ाने के सरल व सफल नियम:
१) अपने अंदर से, अपने आपको यह आवाज दें-की आप में
वह सब गुण हैं, वह सारी काबिलियत हैं जो औरों में नहीं हैं, और न ही हो सकतीं हैं !
२) आप जो कर रहें हैं या कर सकतें हैं वह कोई और
नहीं कर सकता-इसलिए अगला भी क्या कर रहा है, इसका तुम पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ना
चाहिए !
३) लिख लो आपके जो हिस्से का है वह आपके पास......बिना
कर्म के कभी नहीं आएगा, इसलिए वेले (खाली) न बैठें कर्म करें !
४) जो अगर आपके हिस्से में आ गया, तो उसका
सदुपयोग भी करें, उसको स्वीकार करें , “accept the peoples and situations as they
are” ऐसा न हो की तख़्त मिल जाए, ताज भी मिल जाए पर मन की गरीबी उन
सब पर भारी पड़ जाए और जो हिस्से में है, वह सिर्फ किसी किस्से में रह जाये !
५) आप तब तक ही गरीब हैं- पैसों से, वस्तुओं से,
जब तक की आप खुद अपने आप को गरीब नहीं मान लेते अपने यानि अपने विचारों से, गरीब-व्यक्ति वस्तुओं से कभी नहीं होता.........होता है तो सिर्फ और सिर्फ अपने विचारों
से, विचारों से अमीर बनिए, गरीबी अपने आप ही चली जायेगी !
६) वो काम सबसे पहले करिए जिसको करने से आपको डर
लगता हो-असफलता का डर, गिरने का डर, हारने का डर.....उस काम को तुरंत हाथ में लें
और पूरा करने की तरफ पहला कदम बढाएं, कदम बढ़ाते जाइए......आत्मविश्वास बढता जाएगा
!
७) आप कर नहीं रहे पर आप कर सकतें हैं, आप जी
नहीं रहें हैं पर जी सकतें हैं, मतलब साफ़ है आपकी गाडी चल नहीं रही घसीट रही है ! मैं
कर सकता हूँ पर नही कर रहा, शरीर है पर सांसें हैं की नहीं....पता नहीं, तो यह
निश्चित है की आप जीवन भर बातों के अलावा और कुछ नहीं कर पायेंगें, क्योंकि करने वाले
बोलते नहीं और बोलने वाले कभी....करते नहीं !
८)
आप अपने आप को सस्ते में न बेचें, अपनी कीमत
खुद लगाएं, आप अनमोल हैं !
९) आपका आत्मसम्मान बेहद किमती है, उसको किसी भी
कीमत पर न लुटाएं !
१०) अपने अहम का त्याग करें और वहम का भी.....क्योंकि
न अहम का इलाज न वहम का !
११) अपना सफ़र, अपने रास्ते और अपनी मंजिल खुद तय
करें, क्योंकि इन तीनों से आपको भटकाने वाले दुनिया में बहुतेरे मिल जायेगें !
१२) अति से बचें, अति हर चीज की बुरी होती है, अति आत्मविश्वास के शिकार कभी न बनें !
१३)
अपना विश्वास बढाना है, तो अपनी सोच को बड़ा
करें- और जहाँ पर लोगों की सोच खत्म हो, उसके आगे से तुम्हारी सोच को शुरू होना चहिये !
१४) लीक से हटकर काम करें, Beyond boundary जाकर काम करें आत्म्सम्म्मान और आत्मविश्वास उन्ही का बड़ा होता है जिनका काम
बड़ा होता है, आत्मसम्मान और आत्मविश्वास को अगर बड़ा दिखाना है, तो खुद छोटे बन
जाएँ यानि हवा में उड़ने की बजाए ज़मीन पर ही रहें !
१५) सबसे बड़ा रोग क्या कहेंगे लोग- तो लोगों को उनके
हाल पर छोड़ दें और आगे बढें, इस लाइलाज रोग से बचें, हर रोग आपके लिए हो ऐसा जरुरी
नहीं !
मूल
मंत्र- एक चुप सौ सुख, जी नहीं मैं कहता हूँ.....तुमसे बड़ा कौन, तुम्हारा मौन !
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