हर परीक्षा से कद मेरा बड़ा होगा........गिरेगा वही जो अपने पैरों पर खड़ा होगा !


परीक्षाएं.......जी हाँ, जिस दिन से हमनें इस धरती पर कदम रखा है, उस दिन से ही परीक्षाओं और इम्तिहानों का सिलसिला जारी है, और यह दौर आपके साथ निरंतर चलता रहेगा और आपके खत्म होने के साथ ही खत्म होगा......यही जीवन है !

जब हम पैदा हुए हमारे माता-पिता की परीक्षा थी.......की सब कुछ सही हो, सब स्वस्थ रहें, और वो हुआ भी उन्होंने अपनी परीक्षा पूरी तरह से पास की, समय-चक्र चलता रहता है, निरंतर आगे बढ़ता रहता है परीक्षाएं चलती रहती हैं बस परीक्षार्थी बदलते रहतें हैं, आज हम उनकी जगह हैं और हमारी परीक्षा चल रही है उनको सभालने की, उनका सहारा बनने की, उनको ख्याल रखने की, उनको सही और स्वस्थ रखने की..........!

यह आप अपने आप से पूछिए की  इस परीक्षा में आप कितने खरे उतर रहे हैं, आप अपने माता-पिता का ख्याल किस ज़ज्बे, किस ज़िम्मेदारी के साथ रख रहें हैं..........पूछिए अपने आप से अपने दिल से की क्या आप अपनी  परीक्षा की इस घड़ी में प्रश्नों के उत्तर सही तरह से दे पा रहें है या नहीं.....कही आपकी उत्तर पुस्तिका खाली तो नहीं है, कहीं आप अपनी इस परीक्षा का समय यूँ ही pass तो नहीं कर रहे हैं , कहीं आप किसी के emotions के साथ खेल तो नहीं रहे हैं, अगर ऐसा है तो आपकी परीक्षा का परिणाम सिर्फ शुन्य से ज्यादा कुछ नहीं होने वाला है हुए आप उत्तर नहीं प्रश्न हैं और आपकी इंसानियत पर यह एक प्रश्नचिन्ह है  !

किसी भी परीक्षा में जब भी बठें आपकी तयारी पूरी हो.........अधूरी नहीं, न की सिर्फ जिन्दगी नें मुझे यह प्रश्न-पत्र दिया है बस करना है....., हमेशा यह ध्यान रखें की जीवन की परीक्षाओं में प्रश्नों के उत्तर वही दीजिये जो आप किसी और से अपने लिए अपेक्षा करते हैं, अगर आपके उत्तर अपनी दिशाएं भटक रहे हैं तो इसका मतलब है की अभी आप में सुधार की गुंजाईश बाकि है.....प्रश्न हैं पर उत्तर अभी बाकी हैं, सफ़र है पर मंजिल अभी बाकी है !

फरवरी का महीना आते-आते बच्चों की परीक्षाएं सिर पर होती है, यानि भागम-भाग, यह पूछ, वो कर, यह बाकी........यानि उनमें तनाव अपने चरम पर होता है,  पर एक बात गाँठ बांध लीजिये जिस चीज का समय तय है, जिस परीक्षा की तिथि तय है....... तो उसकी तयारी की भी समय सीमा, रूपरेखा , उसकी योजना हम क्यों तय नहीं करते और अगर यह सब करने के बाद भी हम परीक्षाओं के नजदीक तनाव में है तो इसका मतलब यह है की आपकी योजना या उसके क्रियान्वयन में कोई कमी है और इसमें सुधार की जरुरत है.......!

इस सुधार की प्रक्रिया में जो सबसे बड़ा योगदान से सकतें हैं वो हैं आपके माता-पिता, जो सदा आपके सही मित्र व मार्गदर्शक होते हैं, याद रखिये पूरा एक साल बहुत बड़ा समय होता है जिसमे आप एक निश्चित समय-सीमा में अपना पाठ्यक्रम पूरा कर सकतें हैं ! इसके साथ ही जरुरी है की आप अपनी योजनाओं, अपने time-bound प्रोग्राम का समय-समय पर विश्लेषण करतें रहें की कहीं वह अपनी दिशा तो नहीं बदल रहा या उसमें कही सुधार की गुंजाईश तो नहीं......! 

सफलता के लिए......योजना के साथ साथ, समय-समय पर उसका विश्लेषण और आंकलन बेहद  जरुरी है, अपनी परीक्षाओं की तैयारी में इन बातों का विशेष ध्यान रखें !

समय की रफ़्तार और धार बहुत तेज होती है आखिरी समय का इन्तजार न करें, आपके जीवन में कुछ परीक्षाएं भले ही पहले से तय होती हैं, पर कुछ परीक्षाएं बिना बताये आपसे ली जायेगी, या ली जा रही होगी....... जिसकी तयारी आपको परीक्षा की उस घड़ी में ही करनी है ! परीक्षा की उस घड़ी में आप अपने को कितना कायम रखतें है, आपकी जीत और आपकी सफलता उसी पर निर्भर करेगी, और जब भी कभी कोई परीक्षा आपके सामने आये तो बस एक बात दिमाग़ में गाँठ बाँध लेना की यह आपकी पहली परीक्षा नहीं है और न ही आखरी.....इससे पहले भी आपने बहुत से प्रश्नों व परीक्षाओं का सामना किया है और उसमें सफल भी हुए हैं, और उसमें से आप और बड़े होकर और निखर कर बाहर निकलें हैं !

अक्सर परीक्षा में वही लोग हारते हैं, जिन्होंने समय रहते अपनी आँखें नहीं खोली और अपनी तैयारी को, अपने कर्म को कल पर टाला है, उनकी कल करेंगे, कल पूछेंगे, कल देखेंगे की विचारधारा उन्हें कभी सफल नहीं होने देती, क्योंकि कल कभी नहीं आता........कभी भी नहीं !

परीक्षाएं जीवन की कठिन जरूर होंगी,
लेकिन इतनी नहीं की, मैं हो जाऊं असफल,
प्रयास मेरा जो अगर पूरा होगा, सफलता मेरी निश्चित है..... 
और जीत तय है मेरी.......आज नहीं, तो कल !





Comments

Anonymous said…
Nice for children

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