टीम में मैं नहीं, हम की भावना प्रबल होनी चाहिए....और अंत में टीम सफल होनी चहिये !
टीम शब्द.....मतलब एक से ज्यादा लोगों का संगम, और जहाँ
संगम होगा वहाँ प्रवाह भी होगा और जहाँ प्रवाह होगा वहाँ वेग भी, और टीम के इस संगम में सबसे ज्यादा
जरुरी है उस वेग को संभाले रखना और उसको सही दिशा देना, जब धाराएं अपना रास्ता भूल
विपरीत दिशा में चलने लगे तो प्रलय तय है, और इसलिए जरुरी है की टीम की दिशा सही
रहे और टीम अपने लक्ष्य को हासिल करे, अपनी मंजिल तक पहुंचे !
टीम की सफलता के कुछ मूल मंत्र हैं:
1) सबसे पहला
मंत्र: मैं अब मैं नहीं, मैं हम हूँ - मैं
एक टीम हूँ....!
2) टीम का नेतृत्व
करने और उस नेतृत्व पर खरे उतरने का दम रखें......Leader बनें, follower नहीं,
पर इसका मतलब यह कतई नहीं है की अगर आप follower हैं तो
आप टीम के कमजोर सदस्य हैं, जी नहीं आप एक अहम सदस्य हैं, बहुत किमती सदस्य हैं जिसके
कारण कोई आगे है ! हर कोई, लीड नहीं कर सकता
, न ही टीम में हर किसी को lead करना चाहिए, जहां एक की जरुरत हैं वहाँ अगर जरुरत से
ज्यादा कप्तान हो जाएँ तो टीम की दिशा और दशा दोनों खराब होना सुनीशिचित है !
3) ध्यान रहे
की मेरा हर सही कदम मुझे ही नहीं बल्कि मेरी अपनी पूरी टीम को मंजिल तक
पहुँचायेगा, और मेरा हर गलत कदम मेरी टीम को भटका भी सकता है और हरा भी सकता है !
4)
टीम का कद
सदा आपसे बड़ा होना चाहिए, न की आपका !
5) टीम में
ऊर्जा बनी रहे इसके लिए समय-समय पर अपनी टीम का उत्साहवर्धन करतें रहें व टीम में
अपना को सही सुझाव देतें रहें, अपनी सोच को बड़ा रखें, और अहम को छोटा !
6) टीम में
जिम्मेदारी या काम का distribution सही तरीके
से होना चाहिए, ऐसा न हो की टीम का हर सदस्य दूसरे सदस्य के भरोसे रहे, सबको
अपना-अपना प्रयास अपनी-अपनी आहुति कर्म यज्ञ में डालनी पड़ेगी, इसलिए काम का सुनियोजित
निर्धारण टीम की सफलता का सबसे अहम हिस्सा है !
7) अगर आप टीम के लीडर हैं तो, टीम के हर सदस्य को अहमियत और जिम्मेदारी दें, और उनके काम का, उनके रिजल्ट का feedback जरुर लें !
8) अगर आप टीम का हिस्सा हैं और आपको कोई जिम्मेदारी नहीं मिल रही है तो इसका मतलब साफ़ है- जिम्मेदारी देना और लेना सबसे सरल काम हैं, पर उस जिम्मेदारी को निभाना सबसे कठिन काम है और आप सबसे सरल काम के लिए अपनी energy लगा रहें हैं बजाए उस काम को पूरा करने के !
ज़्यादातर लोग काम को सिर्फ और सिर्फ इसलिए लेना चाहतें हैं की इसको कोई और न कर सके, यानि अगर वह नहीं तो कोई और भी नहीं, जो की बहुत ही गलत है क्योंकि आप अपनी और अपनी टीम की दिशा को भ्रमित कर रहें हैं इससे ज्यादा कुछ भी नहीं !
9) अपनी टीम के सदस्यों की छोटी-मोटी गलतियों को माफ करना सीखें !
10) अगर कुछ बड़ा करना है , कुछ बड़ा पाना है तोअपनी टीम को भेड़ चाल का हिस्सा न बननें दें, कुछ अलग करना है तो कुछ अलग चलना होगा और कुछ ज्यादा पाना है तो कुछ ज्यादा करना होगा !
11) टीम को सिर्फ़ अपने कार्यक्षेत्र से जोड़ कर ही न देखें-
सबसे अहम टीम यानि आपका अपना परिवार, आपकी असली टीम वही है, आपके जीवन
की सबसे अहम और सबसे मजबूत टीम जो आपको
जिन्दगी के हर सफ़र में ऊर्जा देगी और आपके सफ़र के बाद भी !
अगर उस टीम के साथ आप कदम से कदम मिला कर चल
रहें हैं या आप उस टीम का पूरी निष्ठा और जिम्मेदारी से नेतृत्व कर रहें हैं तो
निश्चित ही आप एक सफल इंसान हैं और आप घर में ही नहीं बाहर भी नेतृत्व करने की क्षमता रखतें हैं !
12) आपकी टीम
आपके घर से शुरू होती है पहले उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह उठाएं, फिर समाज की चिंता
करें, आपको अपने आस-पास ऐसे बहुतेरे लोग मिल जायेंगे जिनसे अपना
घर, अपने घर की टीम को सही दिशा में ले जाने की कोई योजना या प्रयास नहीं होता लेकिन.....बाहर उनके talent का प्रदर्शन देखने लायक होता है, जनाब पहले अपनी अपनों की टीम पर ध्यान
दें, क्योंकि समाज आप और आपकी टीम से मिलकर ही बना है !
13) आपकी अहम
टीम यानि आपका परिवार, अपना सफ़र अपनी मंजिल सही तरह से पूरा कर सके इसके लिए समय-समय पर उनका मार्ग-दर्शन और उत्साहवर्दन करते रहें !
14) आपके नजरिये पर टीम की सफलता निर्भर करती है, हमेशा रिजल्ट के
प्रति पोजिटिव दृष्टिकोण रखें,
15) हार से पहले कभी हार न मानें, क्योंकि आपका आखरी कदम भी
समीकरण बदल सकता है !
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