माता-पिता सा इस दुनिया में कोई नहीं होता....उनका स्थान कोई नहीं ले सकता, कोई भी नहीं...कभी भी नहीं !
माता-पिता सा इस दुनिया में कोई
नहीं होता.......कभी भी नहीं होता, उनका स्थान सर्वोपरि है, उनकी जग़ह कोई नहीं ले सकता......कोई
भी नहीं, कभी भी नहीं !
माता-पिता वो वृक्ष
है जो आपको छाया भी देतें है और फल भी.....और उस वृक्ष की छाया
जिस दिन हमारे ऊपर से उठ जाती है, तब हमें बीते हुए दिन....बीते हुए पल याद
आते हैं और रुलाते हैं !

जब भी हम पर कोई कष्ट आया, उन्होंने उन कष्टों को झेल कर हमें उन कष्टों से, उन पीड़ाओं से बाहर निकाला है, जब तक कि हम अपने पैरों पर नहीं खड़े हो जाते वो अपने हाथों को हमारे क़दमों के तले रख कर सफर के हर काँटों से हमें बचाते रहे हैं और रास्ते के हर कंकड़-पत्थर हटा कर हमारे लिए नया रास्ता बनाते रहे हैं, ताकि हम अपनी मंजिल तक पहुंच सकें !
वह आपके अंदर अच्छे संस्कारों के, सदगुणों के बीज बोते हैं, पौधों को और उनकी जड़ों को सींचते
हैं और एक उच्च संस्कारों से पूर्ण वृक्ष को तैयार करते हैं !
पर सोचो हम उनको इसके बदले में क्या दे रहें हैं......एक बार सोच कर देखिये, सिर्फ और सिर्फ शून्य, इससे ज्यादा शायद कुछ भी नहीं !
जब तक हमें उनकी जरुरत है.....वो हमारे लिए भगवान का रूप होते हैं, हमें उनमें भगवान नज़र आता है और जिस दिन हमें उनकी जरुरत खत्म, अपना मतलब ख़त्म, तो वह हमें बोझ लगने लगते हैं, उनकी बातें, उनके काम, उनका रहना, उनका जीवन सब हमें वजन सा लगने लगता है, किन्तु यह सोच, ऐसे विचार बहुत गलत हैं, जरा डरिये रब्ब से.....वो सब देख रहा है, तुम्हारे सामने सब कुछ खुली किताब की तरह है लेकिन तुम्हारी आँखें बंद हैं, पर उस रब्ब की खुली हैं इसका ध्यान रखना, क्योंकि जिसका रब्ब राखा तो उसका सब राखा, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, कभी भी नहीं !
पर सोचो हम उनको इसके बदले में क्या दे रहें हैं......एक बार सोच कर देखिये, सिर्फ और सिर्फ शून्य, इससे ज्यादा शायद कुछ भी नहीं !
जब तक हमें उनकी जरुरत है.....वो हमारे लिए भगवान का रूप होते हैं, हमें उनमें भगवान नज़र आता है और जिस दिन हमें उनकी जरुरत खत्म, अपना मतलब ख़त्म, तो वह हमें बोझ लगने लगते हैं, उनकी बातें, उनके काम, उनका रहना, उनका जीवन सब हमें वजन सा लगने लगता है, किन्तु यह सोच, ऐसे विचार बहुत गलत हैं, जरा डरिये रब्ब से.....वो सब देख रहा है, तुम्हारे सामने सब कुछ खुली किताब की तरह है लेकिन तुम्हारी आँखें बंद हैं, पर उस रब्ब की खुली हैं इसका ध्यान रखना, क्योंकि जिसका रब्ब राखा तो उसका सब राखा, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, कभी भी नहीं !
समय बड़ा बलवान है, ध्यान
रहे आज जिस स्थान पर वह हैं.......कल वो स्थान आपको लेना है, और आपकी जगह आपके
बच्चे ! जैसा और जो आप अपने माता-पिता को दे रहें हैं, जैसा उनके
साथ कर रहे हैं.....आपको वही सब-उससे ज्यादा, ब्याज सहित वापिस देने के लिए समय
इन्तजार कर रहा है !
माता-पिता का सम्मान करें......उनका सहारा बनें,
क्योंकि आप भी एक माता-पिता हैं.....जहाँ आज वह
हैं, कल आप उस जगह होंगे !
नमन है हर माता-पिता को......भीतर से, दिल
से......दिमाग से कतई नहीं !
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