तलाशोगे वक्त को जो खो जाने के बाद, बीती हो जायेंगी बातें और बस यादें....आएँगी याद !

माना कि आप बहुत व्यस्त हैं, आपको बहुत कुछ करना है,बहुत कुछ पाना है,
जिसको पाने के लिए आपको चलना नहीं, भागना है......भाग.....भाग
और भाग......,
और यूँ ही आपका जीवन, आपका परिवार एक दिन-भाग हो जायेगा यानि टुकड़ों में डीवाइड हो जायेगा, बिखर जायेगा और सब धरा का धरा....धरा
में ही रह जायेगा !
ऐसा न हो कि आपकी इस व्यस्तता भरी जिंदगी में बहुत से रिश्ते
पीछे छुट जाएँ.....बहुत से रूठ जाएँ और कुछ टूट भी जाएँ, समय एक बार हाथ से और साथ
से निकल गया तो लौट के कभी नहीं आएगा.....इसी तरह जीवन के चरण और उम्र के मुकाम पीछे
मुड कर, लौट कर कभी नहीं आते !
घर एक ऐसा स्थान है जहां- हर कड़ी दूसरी कड़ी से जुडी हुई
है.....आप अपनी धर्मपत्नी से, अपने बच्चों से...अपने माता-पिता से और वह आप से एक कड़ी कि तरह जुड़े हुए हैं, अगर इसमें
से एक भी कड़ी टूटी तो उसका असर दूसरी कड़ी पर जरुर पड़ता है!
एक-दूजे से जुडी हैं कड़ियां तो हर चहेरे पर मुस्कान है...बिखर गई, तो बेजान हैं !
एक-दूजे से जुडी हैं कड़ियां तो हर चहेरे पर मुस्कान है...बिखर गई, तो बेजान हैं !
आपके बच्चों का बचपन ऐसा न हो कि वह आपकी महत्वकांक्षा कि बलि
चढ जाए.....उन्हें इंतजार है उन हाथों का जो उन्हें, गिरने पर उठाएँ, उन बातों का
जो उन्हें सही समय पर-सही राह दिखाएं, उन्हें इंतजार है उन मजबूत कन्धों का जो उनकी
जीत पर उन्हें ऊपर बिठाएँ और उनका होसला बढाएं, उन्हें जरुरत आपके समय कि, जी हाँ समय की...... क्यों ?
क्योंकि समय.....वो है जो निरंतर चलता रहता है, लौट कर कभी नहीं आता....कभी भी नहीं !
न उनका बचपन लोटेगा, न आपकी जवानी.....दोनों आगे बढ
जायेंगे बिना एक दूसरे को जाने, अपने समय को इतना भी कीमती न बना देना कि उसका कोई
खरीदार न मिले,आपका समय आपके परिवारजन, आपके बच्चे भी न खरीद सकें.....पा सकें, अपना सब कुछ लगा कर भी नहीं, इसलिए अपनी रफ़्तार को कुछ धीमा करें अपने बच्चों के साथ
बेठे, उनकी बात सुने, सही मार्गदर्शन दें, अच्छे संस्कार दें.....सही दिशा दें !
आपका यह काम अगर आप सोचतें हैं कि आपके लिए कोई और कर देगा या कर रहा होगा तो, यह आपके
जीवन कि सबसे बड़ी भूल होगी ! कुछ चीजें कितनी भी कीमत चुकाकर पाई या करवाई नहीं जा
सकती......और समय निकल जाने के बाद हमें उनकी कीमत चुकानी पड़ती है !
बचपन........बच और पन पाए इसके लिए जरुरी है कि उसको हम समय
दें, अपनी जिम्मेदारी को पूरी जिम्मेदारी से निभाएं, आपके घर के बाहर का कार्य
करने के लिए बहुत लोग मिल जायेंगे पर आपके परिवार आपके बच्चों के लिए सिर्फ और
सिर्फ आप ही हैं, जो कि उनके सही और सच्चे शुभचिंतक है.....सामाजिक बनिए, पर अति-सामाजिक
बन कर अपने परिवार कि दिशा और दशा न बिगाडें !
आपके बच्चों के, आपके माता-पिता के, आपके परिवार के, आप
और सिर्फ आप ही एकमात्र सच्चे और अच्छे मित्र हैं........ यह हमेशा याद रखना तब भी जब आप भाग रहे हो !
“तलाशोगे वक्त को जो खो जाने के बाद.....बीती हो जायेंगी बातें सारी और बस यादें आएँगी याद”!
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