मेरी उत्पत्ति से मेरी जमीं का भला हो, यही चाह मेरी की मेरे फलों से मेरे संगियों का भला हो !


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आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं….हारते नहीं !

मन बहुत ही चंचल है इसे बांधें रखें, अपने काबू में रखें..और अपने बाकी बंधन खोल दें !

कल कभी नहीं आता....अगले दिन फिर वो आज बन जाता है कल नहीं रहता !