हम आप अपनी गलती से कम लोगों की बातों से ज्यादा हारते हैं !
एक समय की बात है बकरीयों के एक झुण्ड ने विचार किया कि जमीन पर घास ख़त्म होने को है, क्यों न पहाड़ी की चोटी पर जो हरी-भरी घास है उसको खाया जाए, पहाड़ी ऊँची थी सब बकरीयों ने पहाड़ी पर चढ़ना शुरू किया कुछ ऊपर पहुँच कुछ ने हिम्मत हारी, अब नहीं चढ़ा जा सकता यह नामुमकिन है आपस की कानाफूसी से कुछ और हिम्मत छोड़ बैठीं, ज्यादातर ने बातें करना शुरू किया की वापिस लौट चलो, फिसलने और गिरने से बेहतर है लौट चलें.....और अंत में सिर्फ और सिर्फ एक बकरी पहाड़ी को जीत पाई और चोटी पर पहुँच सकी और घास का आनंद ले पाई.......क्यों ?
क्योंकि वो बकरी बहरी थी.......,
अपने आस पास की नकारात्मकता, निराशा और असफल होने के डर से बेखबर.....,
इसलिए अपने आस पास के वातावरण, लोगों से प्रभावित न हों, अपने मकसद अपनी मंजिल पर ध्यान दें, उन बातों से भटके नहीं जो आपको भटका सकती हैं !
हम आप अपनी गलती से कम लोगों की बातों से ज्यादा हारते हैं,
सबसे बड़ा रोग...... क्या कहेंगे लोग !
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