जीवन में उम्मीदों की, सकारात्मक सोच की और छोटी-छोटी खुशियों की फूंक सदा मारते रहें !


हममें से बहुत से लोगों ने गाँव में अपनी दादी या नानी को मिट्टी के चूल्हे पर रोटी बनाते  देखा होगा, हमारे जीवन का सार है वो चूल्हा !

जी हाँ, रोटी बनाते वक्त बहुत सी बार जब चूल्हे की आग ठंडी पड़ने लगती, तो हमारी दादी या नानी नली की एक फूंक से चूल्हे की आग को वापिस जीवित कर देती....हमारा जीवन भी एक चूल्हे के सामान है, जब एक तरफ सब ख़त्म होने को होता है तो उम्मीदों की, प्राथनाओं की, हमारी सकारात्मक सोच की एक छोटी सी फूंक हमारे जीवन में प्राण डाल देती है और हम और हमारा जीवन फिर अपनी रफ़्तार पकड़ लेता है !

इसलिए हमेशा समय-समय से जीवन में उम्मीदों की, सकारात्मक सोच की, अपनी मुस्कान की, अपनी जिंदादिली की और छोटी-छोटी खुशियों, छोटे-छोटे उत्सवों  की फूंक मारते रहें,  क्योंकि अगर भगवान् ने जीवन रूपी सुंदर चूल्हा आपको दिया है तो उसमें खुशियों की, प्रेम की, परिवार की-रिश्तों की सफलता की रोटियां तभी तक सही तरह से सिक पाएंगी जब जीवन रूपी चूल्हे के अंदर पर्याप्त आग होगी और उनमें स्वाद और मजा भी तभी होगा जब उसमें सकारात्मकतासही दिशा व दशा की भरपूर आग हो....!

जीवन में बहुत सी बार ऐसा लगेगा की उम्मीद की लकड़ियां कम होती जा रहीं हैं और आग बुझती सी प्रतीत होगी उसी क्षण उम्मीद की, प्राथनाओं की, सकारात्मकता की छोटी सी फूंक जीवन रूपी चूल्हे में मार लेना, आपके जीवन की गाडी फिर पटरी पर होगी, इसलिए जब भी जीवन रूपी चूल्हे की आग बुझने लगे, सकारात्मक ऊर्जा की फूंक उसमें मारते रहें ताकि उम्मीद की आग जिन्दा रहे !


यही ‘चूल्हे’ की और हमारे ‘जीवन’ की जीवंतता है,  जो उसको निरंतर क़ायम और गतिशील रखे हुए है !

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