खुशियां तलाशिये नहीं, खुशियां आपके भीतर हैं !


किसी ने कहा है की जिंदगी तुम भी कच्ची पेंसिल की तरह हो, हर रोज छोटी होती जा रही हो.....,
मैं कहता हूँ की जिंदगी तुम एक अच्छी पेंसिल की तरह हो, हर रोज मेरी कोरी क़िताब स्वर्णिम अक्षरों से भर्ती जा रही हो....!


जी हाँ, यह आप पर है की जिंदगी की कैनवास पर आप कौन सा रंग भरते हैं-श्वेत-श्याम  या फिर रगों से भरी कैनवास, जिंदगी आपको हर क्षण जीने का मौका जरूर देती है,  यह सिर्फ आप पर निर्भर करता है की आप अपना हर क्षण जिएं और और हमेशा इस क्षण में जिएं, न भूत में न भविष्य में, जिएं तो सिर्फ अपने वर्तमान में जिएं और अपनी जिंदगी के हर क्षण में  रंग-बिरंगे रंग भरें, और हर क्षण का आननद लें !

आपकी ख़ुशी की चाबी आपके पास हैं, आपके गम के ताले आपकी चाबी से ही खुलेंगें और वह भी सिर्फ और सिर्फ आपकी ख़ुशी की चाबी से, किसी और की चाबी इस ताले में कोई काम नहीं करेगी, इसलिए चाबी तलाशिये नहीं क्योंकि वो तो आपकी अपनी मुठ्ठी में है !

खुशियां तलाशिये नहीं,  कोई आधा गिलास खाली देखता है, कोई दिये तले अँधेरा देखता है, कोई रात के अँधेरे देखता है लेकिन आप उन जैसे  बनिए जो दिन के उजालों को देखते हैं, आधे भरे हुए गिलास को देखते हैं,  दिये के उजालों को देखते हैं.......!

ध्यान रखियेगा, नजरिया बदलेंगे तो नज़ारे बदल जाएंगे , किश्तियाँ बदलने की जरुरत नहीं है दोस्त दिशाएं बदलिए, किनारे बदल जाएंगे- इसलिए खुशियां तलाशने की जरुरत नहीं है, खुशियां आपके अपने भीतर हैं, बस जरा गौर तो करिये  अपनी तरफ, अपने भीतर......!


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