बच्चे रहोगे, तो बचे रहोगे !
एक पंजाबी गीत है- की मेरा बचपन मोड़ देओ , संग खुशियां जोड़ देओ.......!
जी हाँ हर बार जैसे-जसे हम अपने जीवन में आगे बढ़ते जाते हैं, बीता हुआ समय हमें अक्सर याद आता है, हमें अपना बचपन बहुत याद आता है क्योंकि यही बचपन हमारे जीवन का वह समय होता है जब हमें, किसी चीज की कोई परवाह नहीं होती, न कुछ पाने की चाहा, न कुछ खोने का गम, न किसी बात की कोई चिंता-न कोई फ़िक्र, बस एक बहती हवा की तरह हम उड़ते-फिरते, उन्मुक्त परिंदों की तरह जहाँ कोई कोई सीमा नहीं, only sky is the limit.....!
बड़े बनने के प्रयास में, या यह कहें की बड़े बनने के दिखावे में हम वर्तमान के आनन्द से पूरी तरह वंचित रह जातें हैं, समय से पहले बड़े न बनें !
आपकी उम्र कोई भी क्यों न हो, आप किसी भी परिस्थिति में क्यों न हों, अपने शौक कभी न छोड़ें उन्हें सदा पूरा करें और उम्र के हर पड़ाव में अपने शौकों को जीवित बनाएं रखें !
आपकी उम्र कोई भी क्यों न हो, आप किसी भी परिस्थिति में क्यों न हों, अपने शौक कभी न छोड़ें उन्हें सदा पूरा करें और उम्र के हर पड़ाव में अपने शौकों को जीवित बनाएं रखें !
बच्चे रहोगे, तो हमेशा बचे रहोगे,
न किसी से दौड़, न किसी से होड़.....!
न किसी से दौड़, न किसी से होड़.....!

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