आपकी पहली और आखिरी प्राथमिकता, आपका परिवार होना चहिए !
आप अपने कार्यक्षेत्र के बादशाह हो सकतें हैं, आप अपनी कम्पनी के लिए तुरुप का इक्का हो सकतें हैं, किन्तु अगर आप अपने घर के, अपने परिवार, अपनी जिम्मेदारियों के, अपने आप के बादशाह नहीं हैं, तो तुरुप के इक्के को किसी वक्त भी धराशाई होने में देर नहीं लगेगी !
समझने की बात यह है की आपको अपने जीवन में अपनी प्राथमिकताएं खुद तय करनी पड़ेगी और वह भी वक्त रहते, "समय" मात्र तीन शब्द नहीं हैं , अगर इसे उल्टा करदें तो "यम" स किसी भी वक्त सामना हो सकता है, यानि आपके पास वक्त सीमित है !
जिंदगी में कुछ काम, कुछ जिम्मेदारियां भगवान् ने जो आपके हिस्से में रखीं हैं वो आपके सिवा कोई और नहीं पूरा कर सकता, किन्तु उनको पूरा करने के लिए आपको समय निकलना होगा यानि बात फिर समय पर आकर रूकती है यानी आप अपने परिवार के लिए अपने माता-पिता, अपने बच्चों, अपनी पत्नी, अपने भाई-बहनों के लिए समय निकालें, उनके काम आएं, उनके सुख-दुःख के हिस्सेदार बनें, भगवान् से सदा यही प्रार्थना चाहिए की " मुझे इतनी ताकत देना की मैं अपने और अपनों के काम आ सकूँ"!
तुरुप के इक्के बनिए अपने परिवार को मुश्किलों और परेशानियों से निकालने के, आप बादशाह बनिए अपनी जिम्मेदारियों के, आप मत बनिए गुलाम अपनी नजरअंदाज करने, चीजों को टालने की आदत के, आप एक राजा हैं, जी हाँ राजा की तरह अपनों के दिल पर राज करें !
आपकी पहली और आखिरी प्राथमिकता आपका परिवार होना चहिए, क्योकि आप अपने जीवन के शुरुआत और अंत में जिनको अपने साथ पाएंगें, वो और कोई नहीं आपके अपने और अपनों के सपने होंगें इसके अलावा कुछ भी नहीं.......!
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