जिम्मेदारी ताकत को बढ़ाती है, और ताकत के आगे हर जिम्मेदारी छोटी है !


एक व्यक्ति था वह अपने हाथ की गेंद को ऊपर फेंकता लेकिन गेंद फिर उसके हाथ में आ जाती, इस बार उसने गेंद ताकत से फिर ऊपर  उछाली, लेकिन यह क्या गेंद फिर उसके हाथ में आ गई, अब की बार उसने अपने अंदर की सारी ताकत लगाई और गेंद को बहुत जोर से ऊपर उछाला लकिन गेंद फिर से उसके हाथ में थी.......!

जी हाँ, वो व्यक्ति कोई और नहीं आप या हम में से ही एक है और वह गेंद कुछ और नहीं वह हमारी  जिम्मेदारी है, जिसको हम बार-बार किसी और के लिए उछालते हैं पर अंत में वह हमारे पास लौट कर आती है, वापिस हमारे पास और दुगनी  साथ, यह बात हमें बताती है की कभी भी आप अपनी जिम्मेदारी से भागिए नहीं, बल्कि उसमें भाग लीजिये, चूँकि गेंद आपकी है और आप गेंद के लिए, इसलिए गेंद यानि की अपनी जिम्मेदारी का आन्नद लीजिये न की इसको इधर-उधर उछालते रहे, आप जिस किसी भी चीज से बचना चाहेंगें तो वह चीज आप पर उतनी हावी होती जाएगी, इसलिए समय रहते अपनी जिम्मेदारियों को पूरा कर डालें !

जी हाँ जिम्मेदारी एक गेंद की तरह है, और अगर आप एक परिवार या किसी समहू का हिस्सा हैं, तो इस गेंद से फुटबॉल का खेल खेलिए, जिसमें  किसी भी गोल को पाने या करने के लिए गेंद को एक दूसरे को समय-समय से पास करते रहें, और वापिस लेते भी रहे और गोल-पोस्ट के करीब पहुंच कर अपना गोल achieve करें,  यह ताल-मेल का खेल है जिसमें हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी का पूरी तरह निर्वाह करता है तभी एक परिवार और एक समूह की जीत होती  है !

जिम्मेदारी और ताकत का आपसी नाता है,

जिम्मेदारी ताकत को बढ़ाती है, और ताकत के आगे हर जिम्मेदारी छोटी है !


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