परिवार को सर्वोपरि स्थान दें, जिसमें सम्मान हो और सब सामान हों !
परिवार आपके जीवन में सर्वोपरि होना चाहिए, ऐसा हम सब जानते हैं, लेकिन मानते नहीं हैं-
हम इस धारणा को छोड़ते जा रहे है, अपनी दिशा और दशा से भटक रहे हैं- यही वक्त है जब अपनी रफ़्तार, अपनी महत्वकांक्षाओं, अपने अहम् को और वहम को विराम देने की, और अपने परिवार अपने माता-पिता, अपने बच्चों, अपनी पत्नी को समय दें, समय को समय दें, ऐसा न हो मंजिल की तलाश में अपने और उनके सपने आपके क़दमों के तले दब कर रह जाएँ, आपका परिवार ही आपकी एकमात्र ताकत है और कठिन वक्त में एक मजबूत दीवार की तरह आपके साथ है, बाकी सब व्यर्थ है, इसको अगर आजमाना है तो अपना सबसे बुरा वक्त याद कर लेना, जब पिता का हाथ तुम्हारे कन्धों पर होता होगा और तुम्हारा सिर अपनी माँ की गोद में, उसी हाथ और उसी गोद ने कितनी बार तुम्हे कठिन समय से तारा होगा और निखारा होगा !
जब कभी परिस्थितियां विपरीत हुई होंगीं, तो आपको आपकी पत्नी और बच्चों की एक बात हमेशा याद आती होगी की "यह समय भी बीत जाएगा, कल तुम्हारा था और कल भी तुम्हारा होगा और जरूर होगा " !
परिवार को सर्वोपरि स्थान दें, जिसमें सम्मान हो और सब सामान हों , हाथ उठे तो मदद के लिए, शब्द घुलें मिश्री की तरह, जहर की तरह नहीं ,जहां शब्द से ज्यादा ताकत मौन की हो ,जहाँ वक्त किसी को मांगना न पड़े, वक्त सिर्फ और सिर्फ दिया जाए, बिना किसी कीमत के बिना किसी शर्त के, जहाँ रिश्ते हों जिनमें सांसें हों, जहाँ न बिखरे रिश्ते बनने से पहले और न मांगें जिंदगी हिसाब जहाँ चलने से पहले......!
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