हमेशा जिंदगी में बड़े बनिए, बूढ़े नहीं....!
हमेशा जिंदगी में बड़े बनिए, बूढ़े नहीं....!
जी हाँ आप घर के बड़े हैं- तो बड़े बनिए अपने विचारों से, अपने निर्णयों से, अपने कर्मों से, अपनी ज़िम्मेदारियों से, अपने शब्दों से- आप बढ़े हैं जी हाँ बढ़े हैं कतई भी बूढ़े नहीं....आप अपने आस-पास अपने से बहुत कम उम्र के लोगों को समय से पहले समर्पण करते देखा होगा, अपनी जिम्मेदारियों से पलायन करते देखा होगा क्योंकि वह बड़े नहीं, बूढ़े हैं अपनी उम्र से नहीं अपने मन से !
आप का मन बड़ा हो और आप मन से बड़े हों, यही जीवन है !
कभी हार न माने, बड़े बनिए बड़े होने में जो आंनंद है उसको शब्दों में कभी बयान नहीं किया जा सकता, हमेशा याद रखना बूढ़ा होना बहुत आसान है पर बड़ा होना बहुत कठिन है, लेकिन कठिन काम करिए क्योंकि जो रास्ते काँटों भरे और कठिनाईओं भरे होते हैं, उनकी मंजिल उतनी ही खूबसूरत होती है और लम्बे समय तक उसका आनंद रहता है !
कभी हार न माने, बड़े बनिए बड़े होने में जो आंनंद है उसको शब्दों में कभी बयान नहीं किया जा सकता, हमेशा याद रखना बूढ़ा होना बहुत आसान है पर बड़ा होना बहुत कठिन है, लेकिन कठिन काम करिए क्योंकि जो रास्ते काँटों भरे और कठिनाईओं भरे होते हैं, उनकी मंजिल उतनी ही खूबसूरत होती है और लम्बे समय तक उसका आनंद रहता है !
आपका बड़ा होना बहुत जरुरी है, आपके लिए ही नहीं आपके परिवार और आपसे जुड़े हुए लोगों के लिए भी...ताकि आप उनको सही दिशा और गति प्रदान कर सकें !
बड़े और बूढ़े का अंतर समझिये, ताकि आप किसी पर निर्भर न रहे, अपनी जिम्मेदारियां समय से पूरी करें और अपने घोंसले समय रहते बनाएं, आप एक बरगद का वृक्ष बनिए जो अटल हो अटूट हो, किसी पर निर्भर नहीं....सालों-साल सब को छाया दे, परिंदों को घोसला दे, जो बड़ा है पर.....बूढ़ा नहीं !
हमेशा न किसी आभाव में जियें और न ही किसी प्रभाव में जियें !
बड़े बनिए, बूढ़े नहीं....!
हमेशा न किसी आभाव में जियें और न ही किसी प्रभाव में जियें !
बड़े बनिए, बूढ़े नहीं....!
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