जीवन चलने का नाम......चलते रहो सुबह शाम !


चलते हुए राही ने रास्ते से पूछा की मैं कब से चल रहा हूँ, तू ख़त्म ही नहीं होता....
रास्ते ने जवाब दिया-याद रख जिस दिन में ख़त्म हो गया- 
तो तू चल भी न पाएगा और न ही मंजिल तक जाएगा, 
याद रख जिस पर तू अब तक चल कर आया है वहां भी में ही था 
और आगे भी तू जिस पर चल कर जाएगा वहां भी मुझे ही पायेगा....! 

यानि चलना ही जीवन है ,
सदा बहता हुआ पानी ही समंदर तक पहुँचता है, 
रुका हुआ पानी तालाब बन जाता है और अपने मुकाम तक कभी नहीं पहुँच पाता, 
इसलिए अगर अपनी मंजिल पानी है-
तो सदा चलते रहें, एक बहते पानी की तरह.....!

जीवन चलने का नाम......चलते रहो सुबह शाम,

मंजिल तक पहुंचने के रास्ते बहुत सी दफा बहुत लम्बे, कठिन और काँटों भरे होते हैं, लेकिन इसका मतलब कतई नहीं है की आप अपने सफर को विराम दें, इन कठिनाइओं और काँटों को अपने रास्ते से हटाते हुए आगे बड़े,  हमेशा एक बात को याद रखना की अगर आपकी मंजिल बड़ी है तो रास्ते भी बड़े ही होंगें, मंजिल का आनंद दुगना तभी होगा जब तुमने मुश्किलों से भरे सफर को पार किया होगा और रास्तों की चुनौतियों को स्वीकार किया होगा,  जिसने तुम्हें और मजबूत और ताकतवर बनाया होगा....  अपनी आगे की उड़ान के लिए !

अगर आपकी एक मंजिल होगी तो रास्ते भी होंगें, रास्ते होंगें तो सफर भी होगा, सफर होगा तो मुश्किलें भी होगी, मुश्किलें होंगीं तो चुनौतियां भी होंगीं, चुनौतियां होंगी तो ताकत भी होगी और ताकत होगी तो क़दमों में मजबूती भी होगी और जब यह सब होगा तो मंजिल का मिलना तय है.......बस अपना सफर जारी रखना, अपना प्रयास जारी रखना ! 








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