"न" बोलना सीखिए..."न" बोलना कठिन जरुर है पर नामुमकिन नहीं !
गन्ने की स्थिति अगर आपने गन्ने का रस
निकालने वाली मशीन में देखी होगी, तो देखा होगा की एक बार दुकानदार उसको इधर से
डालता है और उधर को निकलता है, फिर तीन- चार बार इसी तरह से करता है और गन्ने
की इक इक बूंद निचोड़ डालता है....,फिर भी वह यहीं पर नहीं रुकता उसको twist कर फिर
दुबारा से मशीन में डालता है ताकि बचा-खुचा रस भी उसमें न रहा जाए और यह भी वह एक
बार नहीं दो-तीन बार करता है, यानी गन्ने की अंतिम बूंद भी निकाल वह उसको उसके अंजाम
यानी dustbin में डाल फेंकता
.... !
जी हाँ, कहीं आप भी अपने जीवन में किसी न किसी रूप में गन्ने
की भूमिका में तो नहीं हैं, जरा सोचिए और गौर कीजिये....!
यक़ीनन गन्ने के साथ
एक समस्या थी और कहीं आप भी उस समस्या का शिकार तो नहीं हैं, और वह समस्या यह थी
की गन्ने को ”न” कहना नहीं आता था, चूँकि वो बोल नहीं सकता था इसलिए पिसता रहा
अपनी आखरी बूंद तक......पर जनाब, आप इंसान हैं आप बोल सकतें हैं, भगवान ने आपको एक
खूबसूरत जीवन दिया है, आपको दो-हाथ और चलने के लिए दो पाँव दिए हैं तो क्यों फिर
हम घुटने के बल चलें, पर हम में से ज्यादातर लोग “न” कहना नहीं जानते या फिर “न” कहने
के अंजाम के डर से गन्ने बने हुयें हैं इसका मतलब यह कतई नहीं है की हर काम, हर बात
को न करें पर जो काम जो बात आपसे relevant नहीं है उसका बोझ भी हम लाद लें
वो सही नहीं है !
ध्यान रहे हर काम
का एक दायरा हो और हर काम एक दायरे में हो तभी अच्छा लगता है, “न “ कहने का मतलब
कतई यह नहीं है की आप काम नहीं करना चाहते या फिर आप काबिल नहीं हैं बल्कि “न” कहना
इसलिए भी जरुरी है ताकि आप अपने allotted काम को अपनी
पूर्ण क्षमता से, अपना सौ प्रतिशत लगा कर कर सकें, ऐसा न हो की अपनी क्षमताओं से ज्यादा
काम के चक्कर में आप किसी भी काम को पूरा न कर सकें, और दूसरों की नजर में गिर
जाएँ !
"न" बोलना कठिन जरुर
है पर नामुमकिन नहीं, इसकी भी अपनी अहमियत है, शालीनता और मर्यादाओं में रहते हुए इसका इस्तेमाल
करें, किसी भी काम की शुरुआत "न" से नहीं हो लेकिन जरुरत के अनुसार इसका इस्तेमाल भी करें, “न”
बोलना कतई भी नकारात्मकता की श्रेणी में नहीं आता, हाँ काम से बचने के लिए या कुछ
न करने के लिए बोला गया “न” गलत है, आप अपने काम को इमानदारी से करिए तो आपको “न”
कहने पर कभी भी डरने की जरुरत नहीं पड़ेगी और न ही “ न” का नुक्सान उठाना पड़ेगा बस
आप ईमानदार रहें अपने काम और अपने प्रति....!
“न” का इस्तेमाल
जीवन में नमक की तरह हो,
कम हो, पर
सही समय पर….और सही मात्रा में हो !

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