निरर्थकता से बचें.....और सार्थकता की और बढें !
निरर्थकता से बचें.....और सार्थकता की और बढें !
निरर्थक सोच,
निरर्थक प्रयास,
निरर्थक महत्वकांक्षा,
निरर्थक बहस,
और निरर्थक जीवन से सदा बचें....
जी हाँ ईश्वर ने आपको सुन्दर काया और सोचने के
लिए अद्भुत बुद्दि दी है-इसका सही और सार्थक उपयोग करें और दूसरों को भी खुशियाँ
दें ! मानव जीवन सदा निरर्थकता से भरा हुआ है और यह आप पर निर्भर करता है की इसकी धारा
को किस तरह आप दिशा प्रदान करते हैं, हमेश यह याद रखिये की आपके जीवन की डोर आपके
ही हाथ में है बस जरुरत है उसको तूफानों और हवाओं के झोंकों से बचा कर सही रास्ता दिखाने
की !
निरर्थक सोच, आपको हमेशा
भटकाती रहेगी आप की स्थिरता को भंग करेगी जिससे आप अपने रास्ते से, अपनी रफ़्तार से
अपनी actual ताकत से दूर होते चले जायेंगे, आप की सोच पर ही आप का
सफर और सफर की सफलता निर्भर करती है, इसलिए सोच का सार्थक होना बहुत जरुरी है, मन को
स्थिर रखें और मुश्किलों में भी सोच को सार्थक रखें, अत्यधिक चिंता से कुछ हासिल
नहीं हो सकता, हमेशा ध्यान रखना की जीवन में नियान्वें प्रतिशत बातें जिनके लिए हम
चिंतित होतें हैं या जिनसे हम डरते हैं वह कभी भी घटित ही नहीं होती....अगर यकीन न
आये तो अपने जीवन के बीते हुए वर्षों में एक नजर डाल कर देखिएगा !
निरर्थक प्रयास, से आपकी
असफलता शत-प्रतिशत तय है, प्रयास सदा ही लक्ष्य और अपनी क्षमताओं को ध्यान में रख
कर ही होना चाहिए, ऐसा न हो की लक्ष्य से पहले ही आपकी हिम्मत जवाब दे जाए, सदा प्रयास
की दिशा सार्थक और सटीक होनी चाहिए बेवजह का प्रयास तनाव को बुलावा ही देगा और परिणाम
शून्य से ज्यादा कुछ भी नहीं होगा ! हमेशा याद रखना- जो आपके हिस्से का है वह आपके
पास दौड कर आएगा और जो आपके हिस्से में नहीं है उसके लिए आप कितना भी दौड लो आपके
पास कभी नहीं आएगा, कभी भी नहीं....अगर यकीन न आये तो अपने जीवन के बीते हुए वर्षों में एक नजर डाल कर
देखिएगा !
निरर्थक महत्वकांक्षा, तनाव को
बुलावा देने से ज्यादा कुछ भी नहीं है, जीवन में संतुष्ट होना सीखिए और तनाव-मुक्त
जीवन जीना है तो संतुष्ट होने की आदत डाल लीजिए, अति हर चीज की बुरी होती है चाहे
वह आपकी महत्वकांक्षा ही क्यों न हो, आकांशाओं की महत्वता तभी है जब वह आपको और
आपके व्यक्तित्व को एक पहचान दिला सके न की उनके बोझ तले आप और आपका व्यक्तित्व खत्म
होता जाए, इसलिए अपनी महत्वकांक्षा की सीमा और सार्थकता बना कर रखें, और उन्ही
सीमाओं को पाने के लिए प्रयास करें....अगर यकीन न आये तो अपने जीवन के बीते हुए वर्षों में एक नजर डाल कर
देखिएगा !
निरर्थक बहस, इसका परिणाम दूरियां और बिखरने से ज्यादा कुछ भी नहीं है, निरर्थक बहस सदा रिश्तों में खटास लाती हैं, और कुछ संवारने से ज्यादा बिखेरने का काम करती है, आपने जो कुछ भी आपने अपने जीवन में कमाया है अगर उसको आप क्षण भर में सपुर्दे-ख़ाक करना चाहतें हैं तो बहस का हिस्सा बन जाइए, बहस सदा ही never ending होती है जसका कोई अंत नहीं होता, इसलिए अपना बेशकीमती समय और जीवन निरर्थक बहस से बचाएं और जितना हो सके इससे दूर रहे, सार्थक बहस का अपने जीवन में नमक की तरह इस्तेमाल करें, क्योंकि मौन की गूंज हमेशा देर तक और दूर तक जाती है, जो आप बोल कर हासिल नहीं कर सकते उसे आप मौन क नजर डाल कर
देखिएगा !
निरर्थक जीवन, का मायने आपने न कुछ हासिल किया न ही किसी को
कुछ दिया, इसलिए जीवन को परिपूर्णता और सकारात्मकता के साथ जियें, जितनी सांसें
लिखी हैं वह सिर्फ नाम मात्र के लिए न चलें, बल्कि हर एक सांस में सफुर्ति हो,
जीवन्तता हो, जिसमें अगर कुछ पाने का सुख
हो तो कुछ देने का आनन्द भी हो, उस जीवन में रिश्ते हों, और उन रिश्तों में मिठास
हो, जिसमें सफलता का मजा हो तो असफलता से सीख हो, जहां खुशियाँ दामान थामे तो गम
से भी घबराहट न हो, यानी सही मायनों में- सार्थक जीवन
हो....और सही जीवन जीने की सार्थकता हो !
Comments