अगर आप सपने देखतें हैं तो अपने सपनों को बेचना सीखिए....!
अगर आप सपने देखतें हैं तो अपने सपनों को बेचना सीखिए....कहने
का तात्पर्य यह है की अगर आप सपने देखतें हैं और उनको पूरा करना चाहते हैं तो आपको
जरुरत है उनको बेचने की, यानी सही समय पर और सही जगह पर अपने सपनों को आपको पेश
करना आना चाहिए, ताकि लोगों को पता चल सके की आप भी “हैं”, आप भी कुछ कर सकतें
हैं, सपने हर कोई देखता है लेकिन सपनों को बेचने की ‘कला’ कुछ ही लोगों के पास
होती है, और जिनके पास यह होती है वो पीछे मुड कर कभी नहीं देखते बल्कि अपने सपने बुनतें
हैं और उनको हकीकत का जामा पहनातें हैं....!
आप
भी इस “कला” के कलाकार बन सकतें हैं क्योंकि सपने देखने और सपने पुरे होने में
जमीन आसमान का अंतर जरूर है पर यह काम नामुमकिन कतई भी नहीं है,है, इसलिए अपने सपने आज से ही बेचना शुरू कीजिये, हम कुछ भी करने से पहले बहुत सोचतें हैं- क्या होगा, कैसे होगा, कब होगा,
कौन करेगा, नहीं भी होगा तो चलेगा, कौन क्या बोलेगा........इत्यादि-इत्यादि, अगर
सपनों के “सौदागर” बनना है तो इन सभी बातों का त्याग करना होगा क्योंकि यह वो
नकारात्मक बातें और सोच हैं जो सपने दिखाती तो जरुर हैं पर उनको पूरा कभी नहीं
होने देती !
हर परिंदे के ‘पर’
होतें हैं, पर उड़ेगा वही जो अपने ‘पर’ खोलेगा....!
यानी
की सिर्फ ‘पर’ होना ही काफ़ी नहीं है, उड़ने के लिए अपने दायरों से बाहर आना पड़ेगा, अगर अपने 'पर' नहीं खोलोगे तो आसमानों को छुओगे कैसे....अपने सपनों को परोसोगे नहीं, अपने सपनो को सींचोगे नहीं तो वह पनपेंगे कैसे, फलेंगें कैसे इसके लिए जरुरत है बंद आँख से देखे गए सपनों को खुली आँख
से पूरा करने के लिए सकारात्मक प्रयास की, यहाँ खरीदारों की कोई कमी नहीं है,
बस हममें से ज्यादातर लोगों को अपने सपनों को बेचना नहीं आता, और आज इस संसार में जो दिख रहा है वही बिक रहा
है, उसके अनगिनत खरीदार हैं, बस आपको बेचना आना चाहिए खरीदार एक नहीं हजारों
मिलेंगें यहाँ बात आती है की सिर्फ सपने बेचने हैं या की सपने पुरे करने हैं, तो इन्हें हमें पूरा करना है..... हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय अब्दुल कलाम जी की पंक्तियों को हमेशा ध्यान में रखना-
“सपना वो नहीं होता जो आप नींद में देखतें हैं,
सपना तो वो होता है जो आपको सोने नहीं देता” !
और इससे ही आगे की बात जो उन्होंने कही-
“इससे पहले कि सपने सच हों, आपको सपने देखने होंगें” ,
और इससे भी आगे कि बात-
“सपने देखने ही नहीं सपने बेचने भी होंगें और
वह भी आँखें खोल कर” !

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