आपकी जिंदगी कि किताब बहुत खूबसूरत है, उसको संजों कर और सजा कर रखें !
किसी भी कॉपी को ‘fair’ या ‘rough’ कहना आपके हाथ में है, उस कॉपी में आपने क्या लिखा है,
किस तरह का काम किया है, किस तरह कि लकीरें मारीं हैं वह ही बताती है कि कॉपी ‘fair’ है या ‘rough’ है !
ठीक यही हाल, ‘जिंदगी’ का भी है - आप उस को किस तरह रखें हुए हैं, किस तरह
के रंग उसमें भर रहें हैं, बेतरतीब या व्यवस्थित तरीके से उसको जी रहें हैं, आप उस
पर किस तरह कि लकीरें खींच रहें हैं-सकारात्मक या नकारात्मक, अपनी जिंदगी के पन्नों
को काला कर रहें हैं या उसमें खुशियों के रंग भर रहे हैं, अपने भविष्य के शब्दों को मोतियों कि तरह लिख
रहें हैं-यही वह सब बातें हैं जो किसी कि भी जिंदगी को ‘fair’ या ‘rough’ बना सकती है, आप भी जरा अपनी जिंदगी में एक बार झांक कर देखिये कहीं आप भी अपनी अच्छी खासी 'fair' जिंदगी को 'rough' तो नहीं बना रहे !
आपकी जिंदगी कि किताब बहुत खूबसूरत है, उसको संजों कर और सजा कर रखें ताकि
लोग आपकी मिसाल दें और आपकी तरह बनना चाहें, खूबसरत लोग, खूबसूरत व्यक्तित्व सदा दूसरों को अपनी और आकर्षित करतें हैं, आप जितने सकारात्मक, जितने व्यवस्थित, जितने सरल
होगें उतना ही लोग को आपको पढ़ना , आपको समझना बेहद आसान होगा, उतनी ही आपकी ‘जिंदगी’ आपकी कॉपी ‘fair’ होगी और आपकी कॉपी कि कॉपी करने वाले बहुतेरे होगें, आपको मानने वाले आपको जानने
वाले बड़ी संख्या में होंगें जो आप जैस बनना चाहेंगें, यही आपकी जिंदगी कि सच्ची
सफलता कि निशानी होगी !
“You cannot be fair to others, without first being
fair to yourself”
जिंदगी कि कॉपी Rough है या फिर Fair,
यह आपकी सोच कि लकीरें तय करेंगीं,
एक ‘सितार’ सी है ‘जिंदगी’ जितनी सही होंगीं
हर तार,
उतनी ही मधुर ‘लय’ करेंगीं.....!

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