“पूरा भरा हुआ घड़ा कभी नहीं भरता, बल्कि छलकता ही है" !



पूरी तरह से हवा से भरा “गुबारा” कभी आपने अगर देखा हो, जिसमें हवा एकदम full हो पूरी तरह tight हो तो वह गुबारा थोड़े से ही दबाव से फट जाएगा, उसको फटने के लिए अधिक दबाव की जरुरत नहीं पड़ेगी, उसको फटने के लिए हल्का दबाव ही काफी है  और इसके विपरीत कम भरा गुबारा किसी भी दबाव को आसानी से झेल लेता है और परिस्थितियों और दबावों को झेल अपने “आकार” को बदल फटने से बच जाता है !

कहने का तात्पर्य यह है की अपने दिमाग-अपने शरीर को हल्का और थोडा खाली रखें ताकि वह बाहरी दबावों को आसानी से झेल सके और हर परिस्थिति में survive कर सके, अधिकतर लोग अपने को अपनी क्षमताओं से ज्यादा भरा हुआ रखतें हैं और सदा अनावश्यक बोझ के भार से भरे और दबे रहतें हैं और स्थितियों  या कहें surroundings  में जरा सा भी में परिवर्तन उन्हें गुबारे की तरह फोड देता है !

अपने जीवन को अत्यधिक न उलझाएं, न ही अति महत्वकांक्षा का शिकार बनें की जरा सा शारीरिक या मानसिक दबाव आपको विचलित कर दे, जो आपके पास है उससे संतुष्ट रहें, आपकी मुस्कराहट आपकी हो कोई बाहरी परिस्थिति उसको चुरा न सके,  आप अंदर से खूबसूरत हों, मन शांत हो, पूरी तरह शीतल हों, कोई बंधन न हो-आप न किसी को बांधें हुए हों, न ही किसी से बंधे हुए हों, पूरी तरह मुक्त हों-उन्मुक्त हों किसी के भी होने की और किसी को भी अपनाने की स्थिति में हों तो निश्चित, कोई भी दबाव आपको फटने न देगा.....!

आप जितना अपने आपको, अपने मन-मष्तिष्क को हल्का रखेंगें उतना ही आप अपने जीवन में सुखी रहेंगें, अपने आस-पास की परिस्थितियों को जटिल न बनाएँ, सदैव सादा जीवन-उच्च विचार रखें, परिस्थितियाँ या समय तब तक बेकाबू नहीं होते जब तक की हम नहीं चाहते, वो हम ही हैं जो परिस्थितियों को आसान या जटिल बनातें हैं और फिर उस में उलझ कर रह जातें हैं !

आप जितने खाली होंगें उतना ही आप में कुछ लेने की क्षमता होगी, अपने आस-पास से  अपनी परिस्थितियों से सीखने की क्षमता होगी, हमेशा याद रखना “पूरा भरा” हुआ घड़ा कभी नहीं भरता बल्कि छलकता ही है, इसलिए हमेशा अपने को थोडा खाली और हल्का रखें ताकि आप को कोई भी अपना सके और अपना बना सके....!

पूरे भरे गुबारे हल्के से दबाव में ही फट जाते है...,
और कम भरे गुबारे दबाव में फटने की बजाये अपना आकार बदल लेतें हैं,
यही जीवन है - जो पुरे भरे होतें हैं जल्दी छलकते हैं, जल्दी बिखरते हैं....,
और जो जितने खाली होतें हैं, वो दबावों में-अंधेरों में भी “दिये” की तरह जल लेते हैं !

Comments

Popular posts from this blog

आप या तो जीतते हैं या फिर सीखते हैं….हारते नहीं !

कल कभी नहीं आता....अगले दिन फिर वो आज बन जाता है कल नहीं रहता !

संघर्ष ही जीवन है....हार मिथ्या है, संघर्ष करें....समर्पण नहीं !