जीवन में कठिन स्थितियां, कठिन परिस्थितियां.......पानी के एक बुलबुले के सामान हैं,


जीवन में कठिन स्थितियां, कठिन परिस्थितियां.....पानी के एक बुलबुले के सामान हैं,

जितनी-जितनी स्थितियां कठिन और गंभीर होती जाएँ, यानी जितना-जितना पानी का बुलबुला बढ़ता जाए तो समझ लेना की वह फूटने वाला है, बुलबुला शांत होने, बुलबुला कमजोर पड़ने वाला है, बुलबुला अपने चरम पर है अब उसका अंत निश्चित है.....इसी तरह आपकी कठिन परिस्थितियां भी इस बुलबुले की माफिक हैं वह भी एक चरम के बाद आपके जीवन से सदा के  लिए जाने वाली हैं,तूफ़ान थमने वाला है,  आप एक शांत और शीतल जीवन की ओर कदम रखने वाले हैं !

मैंने अपने आप को बहुत  सी बार कमजोर पड़ते देखा  है और जब भी मैं कमजोरी की चरम पर होता हूँ यानी बुलबुला जब अपने व्यापक और विकराल रूप में होता है, तो अचानक स्थितियां बदलने लगती हैं, जीवन की हलचल शांत होने लगती है, जीवन के तूफ़ान.....थमने लगते हैं और जीवन-पथ पर आप एक नई शुरुआत की और अग्रसर हो रहे  होते हैं..... यही जीवन की सुंदरता और व्यापकता है !

जीवन जितना लम्बा, जितना व्यापक होगा कठिनाईयां भी उतनी ही जयादा और अधिक होंगीं......जैसे  सफर जितना लम्बा होगा,  बड़ा होगा - कांटें भी उतने ही अधिक और बड़े होंगें, इसलिए  घबराइएगा नहीं, क्योंकि अगर आपके जीवन में कांटें ज्यादा हैं तो समझ लेना आप एक लम्बे सफर पर हैं......जहां कांटें है तो कहीं आगे जाकर मखमली घास भी होगी !

ध्यान रहे जब अँधेरा अपने चरम पर और अत्यधिक घना होगा- तो समझ लेना उजाला उतना ही नजदीक है, दिन चढ़ने वाला है..... और अँधेरा छटने  वाला है  !

कठिनाइयों का बुलबुला जब बहुत बड़ा  हो जाए तो समझ लेना वह बुलबुला फट कर समतल होने वाला है यानी परिस्थितियां और समय आप के अनुकूल होने वाले हैं, आपकी कठिनाइयां छटने वाली है ....यही जीवन है ! 



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