दिमाग एक खाली पर अति उपजाऊ जमीं है....दिमाग को दोष न दें-विचारों की सकारात्मकता के बीज इनमें डालते रहें !


दिमाग एक खाली पर अति उपजाऊ जमीं है......., 

जिस पर विचारों की कोई भी फसल तैयार हो सकती है और चाहे तो इस अति उपजाऊ दिमागी जमीं को आप बंजर भी बना सकतें हैं यह आप पर निर्भर करता है की जमीं का क्या हाल करना है, विचारों के बीजों की विभिन्न किस्में उपलब्ध हैं- सकारात्मक, नकारात्मक, अच्छे, बुरे, रचनात्मक, विध्वंसक यह सभी विचारों के अलग अलग किस्म के बीज हैं जिन्हे हम अपने दिमाग रूपी जमीं पर डालते हैं, लेकिन हमेशा यह याद रखना- की बेरी के पेड़ पर अनार कभी नहीं लगता, केक्टस के पौधे पर गुलाब कभी नहीं खिलता, यानी जिस तरह के विचार आप अपने अंदर बोएंगें वैसी ही आपकी सोच बनती जायेगी....और आप वैसे-वैसे ही बनते जायेंगें, यानी जमीं का कोई दोष नहीं,सबसे अहम है-बीज, आप कौन से और किस तरह के बीज अपने जीवन में चुनते हैं और अपने दिमाग रूपी जमीं को हरा-भरा रखतें हैं , सकारात्मकता के बीज डालिये और निश्चिंत हों जाएँ  !

अपना ज्यादातर समय हम जमीन को दोष देतें हैं, जमीं फलां थी, जमीं में कमीं थी लेकिन यही जमीन किसी को भरपूर फल देती है और किसी के लिए यह खर-पतवार से ज्यादा कुछ नहीं रह जाती- इसलिए अपना क्वालिटी समय बीज के चुनाव में लगाएं न की जमीन का मीन-मेख निकालने में, इसलिए दिमाग में सदा सकारात्मकता और रचनात्मकता के बीज बोयें फसलें बहुत  खूबसूरत होंगीं !

दिमाग को दोष न दें-विचारों की सकारात्मकता के बीज इनमें डालते रहें, विचार बहुत ताकतवर होते  हैं, किसी भी जमीं को, किसी भी जीवन को अर्श से फर्श तक या फिर फर्श से अर्श तक पहुंचा सकतें हैं !

विचारों के सकारात्मक बीज दिमाग की जमीं पर गुल खिला सकतें हैं,
लेकिन बीज हैं नकारात्मक अगर तो अच्छी भली उपजाऊ जमीं को भी बंजर बना सकतें  हैं  !


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