शब्दों में ताकत है....इसलिए सफल जीवन का एक सूत्र-न्यूनतम बोली,अत्यधिक फ़ायदा


शब्द बहुत ताकत रखतें हैं, उनमें बहुत वजन होता है , यह बहुत वजनदार होते हैं, 

इसलिए उनको संभाल पाना हर किसी के बस का नहीं होता और यह आप पर है की आप शब्दों को सम्भालतें हैं या शब्द आपको.... और जो इनको नहीं संभाल पाते इसके शिकार जातें हैं और जो इनको म्यान में रखतें हैं वह मुकाम पा लेते हैं !

ताकत शब्दों में होती है.......तो शब्दों को अपनी ताकत बनाइये, शब्दों का सटीक और सलीके  से....किया गया इस्तेमाल  आपको अर्श तक पहुंचा सकता है, और इनका अत्यधिक, अनुचित और गलत किया गया इस्तेमाल आपको अर्श से फर्श तक पहुंचा सकता है !

जरुरी नहीं है की हर प्लेटफार्म पर आप अपनी राय दें, 
जरुरी नहीं है की आप जरुरत से ज्यादा बोलें,  
जरुरी नहीं है की शब्द आपके तलवार की तरह किसी पर वार करें, 
जरुरी नहीं है की  आप बोल कर ही जीतें , 
जरुरी नहीं है की आप बोलें और हार जाएँ, 
जरुरी नहीं है की आपके शब्द मिश्री की जगह नीम का काम करें,
जरुरी नहीं है की आपके शब्द मौन से ज्यादा गूँजें,
जरुरी नहीं है की आपकी गूंज आपको मौन कर दे,
जरुरी नहीं है की आपके शब्द 'सब' हों बल्कि आपके 'बस' में हों,
जरुरी नहीं है की आपके शब्द आपकी जुबान से फिसले,
जरुरी नहीं है की....शब्द ही जरुरत हों,शब्द ही गूँजें,

जरुरी यह है की आपका "मौन" आपके "कर्म" आपके शब्दों से ज्यादा गूँजें....!

यानी आप कम शब्दों से, कम बोल कर वह सब हासिल कर सकतें हैं जिन्हें आप ज्यादा बोल कर चुटकियों में गँवा सकतें हैं, इसलिए 'शब्दों' के मामले में आप 'न्यूनतम बोली' से अत्यधिक मुनाफा कमा सकतें हैं,  तोल - मोल के बोले गए शब्द आपको अधिक फायदा पहुंचा सकतें हैं....!

जी हाँ, इसलिए सफल जीवन का एक सूत्र बनाइये - न्यूनतम बोली....अत्यधिक फ़ायदा  !




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