किसी भी मकसद को पाने के लिए - आँखें खुली और दिमाग शांत होना चाहिए !



कौआ मटके में बहुत देर से कंकर डाल रहा था, लेकिन पानी था की ऊपर आने का नाम ही नहीं ले रहा था, थक कर कौए ने बड़े-बड़े पत्थर मटके में डालने शुरू किये लेकिन पानी अब भी नहीं ऊपर आया कुछ देर बाद क्या हुआ पानी तो ऊपर नहीं आया लेकिन मटका कंकर और पत्थरों से भर गया, लेकिन पानी ऊपर क्यों नहीं आया कौए सोचने लगा कि उसने तो पूरी मेहनत की लेकिन फल क्या मिला कंकर-पत्थर ,आखिर उसको उचित फल क्यों नहीं मिला पानी के लिए किया गया प्रयास कंकर में कैसे तब्दील हो गया,  लेकिन  क्या मटके में पानी था जिसको ऊपर लाने के लिए कौए ने इतना प्रयास किया, क्या कौए ने मटके में झांक कर देखा था की इसमें पानी है भी या नहीं या फिर बिना किसी मकसद के प्रयास शुरू कर दिया, हर बार जरुरी नहीं है की कहानी बार-बार एक सी ही दोहराई जाए !

जी हाँ, मटके में छेद था और उसमें जो पानी था वह रिस कर बाहर निकल चूका था और अब उसमें पानी था ही नहीं, मटका पूरी तरह से खाली था  बिन पानी के जिस पानी को ऊपर लाने का प्रयास कौए द्वारा किया जा रहा था.......बिलकुल , हममें से भी ज्यादातर लोग उस पानी को पाने का प्रयास कर रहे जो की मृग-मरीचिका मात्र भर है, हम उन चीजों को, उन मंजिलों को  पाने का प्रयास कर रहे हैं जो वास्तव में मौजूद है ही नहीं, हम अपनी ज़्यादातर ताकत उस दिशा में लगा रहे हैं जिसका परिणाम 'शून्य' भर है....एक निरार्थक  प्रयास जो कभी भी सार्थक नहीं हो सकता !

हमेशा ध्यान रखिये कि जिस मकसद को हम पाना चाहतें हैं,  उसकी शुरुआत में हमने कितनी तैयारी की है, क्या हमारी दिशा किसी भी मकसद को पाने के लिए सही है भी की नहीं, कहीं हम  बिना कसी तैयारी के या किसी मकसद का पता किये बैगर आँख बंद कर सिर्फ मटके में कंकर तो डाले नहीं जा रहे इसका परिणाम सिर्फ कंकर से ज्यादा कुछ नहीं होगा, पानी तो कतई भी नहीं...!

इसलिए किसी भी मकसद को पाने के लिए - हमेशा आँखें खुली और दिमाग शांत होना चाहिए  ! 

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