आपका जीवन, आपकी जिंदगी एक ‘छाते’ कि तरह होनी चाहिए....!



एक बुजुर्ग बता रहे थे, कि जो जिंदगी है वो एक छाते कि तरह होनी चाहिए, रहा न गया हमने पूछ ही लिया ‘कि जिंदगी और छाते का क्या सामंजस्य है, जिंदगी अपनी जगह और छाता अपनी जगह है’, बुजुर्ग ने कहा ‘नहीं सामंजस्य है दोनों में बहुत समानता है, एक घर के बड़े-बुजुर्ग कि छत्र-छाया ओर सुरक्षा दोनों हाथ खोल कर जिस तरह परिवार को हरदम चाहिए रहती है, छाता भी ठीक उसी तरह अपने को खोल कर हमें बारिश और धूप से बचाता है बाहरी विपदाओं से हमारी रक्षा करता है, ऐसी ही हमारी जिंदगी ओर जीवन होना चाहिए कि हम अपने परिवार कि विपदाओं, मुश्किलों और कठिनाइयों से उनकी रक्षा कर सकें, ताकि मुसीबत के कोई भी छींटे उनको नुक्सान न पहुंचा सके और एक मजबूती के साथ हम हरदम उनके साथ खड़े हों एक छाते के सामान खुल कर उनको बारिश ओर धूप रूपी कठिनाइयों से बचाने के लिए....

और, जब कठिनाइयों का दौर थम जाए और जब जरुरत हो कहीं भी adjust होने कि तो हम अपने आप को समेट लें, अपनी महतव्कंशाओं-अपनी इच्छाओं को परिवार पर हावी न होने दें, परिवार के हर व्यक्ति को सम्मान दें और खुली छूट दें कि वह खुल कर जी पाए हरदम - हर सफ़र पर उसको आपके साये कि जरुरत न हो अपना सफर अपनी मंजिल खुद तय कर सके, अपने आप को इस तरह ढाल लें कि कोई भी आपके साथ comfortable रहे, जहाँ जरुरत हो मौन हो जाएँ, अपने आप को बंद कर लें एक छाते कि तरह क्योंकि ‘मौन’ में जो ताकत है वह ‘शब्दों’ में नहीं है, ठीक उस छाते की तरह जो जरुरत पर ही खुलता है नहीं तो आराम से बंद हो एक छोटे से स्थान को ग्रहण कर भी खुश है, किसी कि बगल में दब कर भी खुश है क्योंकि उसको अपनी अहमियत का, अपनी ताकत का, अपने सही समय पर इस्तेमाल का पूरी तरह से अहसास है, पता है, इसलिए किसी कि बगल में भी उसको कभी कोई कष्ट नहीं है और न ही जिसने उसको बगल में लिया हुआ है उसको कोई कष्ट है बिना किसी चाह के और बल्कि वह व्यक्ति भी निश्चिंत है आपके परिवार कि तरह कि जब भी छाते कि यानी आपकी जरुरत होगी छाता यानी आप उसके पास है अपने परिवार को कठिनाइयों से उबारने के लिए, बचाने के लिए !

अब मेरी समझ में आ गया था, कि क्यों आपका जीवन, आपकी जिंदगी एक ‘छाते’ कि तरह होनी चाहिए, एक मजबूत ‘कवच’ की तरह - अपने ओर अपने परिवार का...!

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