सबका मालिक एक है !

सबका मालिक एक है !
जब सबका मालिक एक है तो उसके पास सबको तोलने लिए अलग अलग तराज़ू क्यों, जब मालिक एक है तो हमेशा सबको एक सा फल क्यों नहीं मिलता, मालिक....हमेशा सबके साथ एक सा सलूक क्यों नहीं करता यह शिकायत हम सबकी अपने मालिक से है पर मालिक तो एक है पर क्या हम सभी के कर्म एक से हैं !
जैसा बीज होगा फसल भी वैसी ही होगी चाहे जमीन एक ही क्यों न हो एक ही जमीन पर गेहूं भी लगता है उसी जमीन पर चावल भी, गन्ना भी और उसी जमीन पर कैक्टस भी यानी ज़मीन एक पर फसलें अलग-अलग मतलब मालिक एक पर सबके फल उनके कर्मों के हिसाब से उन्हें मिलते कुछ कम न कुछ ज्यादा, जो तेरा है न वो मेरा है और जो मेरा है न वो तेरा है बस कर्मों के फल यूँ ही मिलते रहेंगें चाहे मालिक एक ही क्यों न हो !
इसलिए हमेशा अच्छे कर्म करिए और जैसी फसल चाहिए वैसे बीज बोते रहिये, जिस दिन हम सभी के कर्म अच्छे होंगें, मालिक एक सा ही लगेगा !
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