दीमक अगर जड़ों को खोखला कर रहा है तो सिर्फ डाली काटने और पत्ते छाँटनें से कुछ नहीं होगा !
गाँव में एक बुजुर्ग
व्यक्ति अपने आँगन में बैठे थे , तभी
चार दोस्त वहाँ से गुजरे, बुजुर्ग व्यक्ति ने उनको पुकारा और उन्हें बताया कि उनके
आँगन में जो बड़ा आम का पेड़ है उसमें बहुत समय से दीमक लग गया है और अगर आप चारों मित्र मेरी मदद कर दें तो यह पेड़ बच जाएगा
और इसमें जो फल लगेंगें वह भी काम आयेंगें !
चारों दोस्तों ने
एक दूसरे को देखा और बुजुर्ग पर मुस्कुराये बोले- बस इतनी छोटी सी बात यह तो हमारे बाएँ हाथ का खेल है , हमें एक दिन दो, हम चारों कल आपके पास आते हैं, आप निश्चिंत रहें आपका आम का पेड़ हम पूरी तरह दीमक से मुक्त कर
देंगें, पेड़ भी आपका और आम भी आपके !
चारों दोस्त यह कहा
कर अपने घर को चले गए और बुजुर्ग भी
अपने घर निश्चिंत हो कर सो गए की कल चलो मेरे प्रिये आम के वृक्ष को दीमक से मुक्ति मिल जायगी !
अगली सुबह जब
बुजुर्ग उठे तो थोड़ी ही देर में चारो दोस्त भी उनके घर आ पहुंचें, किसी के हाथ में कुल्हाड़ी थी, किसी के हाथ में दराती,
बुजुर्ग थोड़ा चिंतित हुए उन्होंने चारों
से पूछा- मेरा काम जो मैनें तुम्हें बताया था वह पक्का
हो तो जाएगा न...थोड़ी शंका भरी नजर से उन्होनें पूछा 'मेरा
पेड़ और उसके फल दोनों बच तो जायेंगें न', चारों दोस्त
बोले- काका जाइये आप घर के अंदर जाकर आराम करो आम के
पेड़ को अब हमारे पर छोड़ दो- थोड़ी देर में एक भी दीमक इस
पर आपको नहीं नजर आने वाला, यह
सुन बुजुर्ग घर के अंदर चले गए !
पहला दोस्त पेड़ पर
चढ़ गया और एक-एक कर दीमक लगी शाखाएं काटने लगा,
दूसरा दोस्त दीमक
लगे पत्तों को डालियों से छाँटनें लगा,
तीसरा दोस्त को जहां-जहां भी पेड़ के तने पर दीमक की लकीरें दिखी उन्हें दराती से साफ़ करने लगा और चौथा दोस्त दीमक लगे फलों को एक-एक कर तोड़-तोड़ जमीन पर फेंकने लगा !
चारों का यह क्रम
चलता बहुत देर तक चलता रहा और कुछ समय पश्चात उन्होंने पेड़ की हर शाख,
एक-एक पत्ते, एक-एक फल को पेड़ से अलग कर दिया और यह कुछ समय बाद काम करते-करते वह थक के चूर हो गए और एक कोने में
जा कर बैठ गए और उनके सामने
पेड़ का खोखला तना ही बचा था, और
बाकी पूरा पेड़ गायब था.....कुछ समय पश्चात
बुजुर्ग अपने घर से बाहर आये तो दंग रह
गए की अच्छा भला पेड़ उनके सामने से पूरी तरह गायब था !
चारों दोस्त बोले,
काका आपका पेड़ हमने पूरी तरह से तो साफ
कर दिया है, पर हमें यह समझ नहीं आ रहा है की एक-एक डाली,
एक-एक पत्ते झाड़ने के बाद भी दीमक है की हटने का नाम ही नहीं ले रहे,
बुजुर्ग उन चारों की नादानी पर मुस्कुराए वह समझ चुके थी की यह आज की पीढ़ी है जिसका ध्यान इमारत के कंगूरों पर ज्यादा ध्यान देती है बजाये नींव के
पत्थर के, यह वो पीढ़ी है जो पेड़ों के लदे हुए फलों पर ज्यादा ध्यान देती है, बजाए की उसकी जड़ों के, यह
वो पीढ़ी है जो समस्याओं पर ज्यादा ध्यान देती है, बजाए
समाधान के....!
बुजुर्ग ने चारों
को अपने पास बुलाया और अपने पास बिठाया फिर मुस्कुराये और उन्हें कहा की जिंदगी में हमेशा एक बात का ध्यान रखना और उसे जीवन भर अपने साथ गाँठ
बांध लेना-"अगर जख्म ऊँगली में हो तो ऊँगली के जख्म
का ही इलाज करना, न की ऊँगली को काट देना, अगर कभी धुंधला दिखाई दे तो शीशे को साफ़ करने से कुछ नहीं होगा, जरुरत आपको अपना नजरिया साफ़ करने की है.....उसी तरह दीमक
अगर पेड़ की जड़ों को खोखला कर रहा है, हमारी संस्कृति की जड़ों को खोखला कर रहा है तो डाली काटने और
पत्ते छाँटनें से कुछ भी नहीं होगा, इलाज की जरुरत जड़ों को है और इलाज जड़ों में ही करना होगा,
जड़ों को मजबूती देनी होगी, कड़वी दवाई
जड़ों में डालनी होगी, ठीक उसी तरह समाज की जड़ों का भी उच्च संस्कारों से, मजबूत
विचारधाराओं से पोषण करना होगा ताकि दीमक रूपी कुटिल मानसिकताएं, पेड़ की-समाज की जड़ों को और तनों को कभी खोखला न कर सकें....!
ध्यान रहे हमारी गलतियों पर गलतियां परिवार और समाज रूपी वृक्ष को खोखला न कर दें इसलिए आज जरुरत मानसिकताएं बदलने की है, जरुरत हमारे संस्कारों को मजबूत करने की है, जरुरत अपनी जड़ों को मजबूत करने की है, जरुरत अपनी नींव को मजबूत करने की है ताकि हमारी संस्कृति बची रहे और हमारी आने वाली पीढ़ियां
हमें गुनहगार न समझें !
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