नौकरी और नखरा दोनों एक साथ कभी नहीं चलते....!




नौकरी और नखरा दोनों एक साथ कभी नहीं चलते....!

ऐसा मैं नहीं बोलता ऐसा मेरी पत्नी बोलती है.....सुनने में बात कटु तो लग सकती है पर गौर करें तो बात में वाकई दम है, जिनको नौकरी नहीं मिलती वह नौकरी के लिए तड़पते हैं और जिनको नौकरी मिल जाती है वह बाद में काम को लेकर नखरे दिखाने लग जाते हैं, तो दोस्त नौकरी करिए नखरा नहीं माना choice आपकी है , पर choice एक की ही करिये दोनों कतई भी साथ-साथ  नहीं चल सकते, आप नौकरी में नखरा बिलकुल नहीं करिये आपके पास नौकरी है नखरा किसी और के लिए रहने दें !

नौकरी में आपको कई ऐसे भी काम दिए जायेंगें जिनको आप शायद नहीं करना चाहेंगे या आपको वह काम पसंद नहीं होंगें, किन्तु फिर भी आपको करने के लिए बाध्य किया जायेगा और आप उसको नहीं करने की दिशा में, नहीं करने के किए किसी भी हद तक के नखरे करने में अपनी सारी ताकत लगा देतें हैं और काम नहीं करने के लिए तरह-तरह के बहानों का सहारा लेने लगते हैं, पर ध्यान रखियेगा यहाँ तक की नौबत आपकी नौकरी में नहीं आनी चहिए !

अपना नखरा किनारे रखिए और अपने को दिए गए कार्यों को अपने कामों को अपनी पूर्ण क्षमता और पूर्ण लगन से पूरा करें, पूरी इमानदारी से पूरा करें-नौकरी कीजिए, नखरा नहीं !

जब हम यह जानतें हैं की हम अगर नहीं भी करेंगें तो भी काम तो हो कर ही रहेगा हम नहीं करेंगें तो कोई और करेगा, हर काम आखिर में जब होना ही है और हमारे न चाहते हुए भी अगर हमें आखिर में करना ही है तो क्यों न-नुकर करने और टालते रहने की बजाए हम उसे first attempt में ही क्यों न कर दें, इसलिए न-नुकर से बचें, नखरों से बचें और अपनी नौकरी पर ध्यान दें तभी आपको अपने कार्यक्षेत्र में respect मिलेगा और तभी आप लोगों के बीच acceptable होगें!

अगर नखरा करना है तो नौकरी को तुरंत छोड़ दें, नखरे करने वाले नौकरी में कहीं भी किसी भी स्थान पर acceptable नहीं होते, कोई भी नहीं चाहेगा की काम में अड़ंगा लगाने वाले किसी भी कार्य का हिस्सा बनें और काम में रुकावटें डालें, नखरा जब हम अपने घर में ही बर्दाशत नहीं कर सकते तो नौकरी में आपका नखरा कोई दूसरा क्यों बर्दाश्त करेगा !

इसलिए नखरों से बचें और अपनी नौकरी करें !





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