कोमल बनिए, ताकि कोई भी पत्थर आपसे कितना भी टकराए परन्तु चिंगारी न पैदा कर सके...!


जब दो पत्थर आपस में रगड़ते हैं तो चिंगारी निकलती है, ऐसा हम बचपन से पढ़ते आएं हैं और ऐसा ही है, ठीक उसी तरह जब दो पत्थर दिल इंसान, दो कठोर व्यक्तित्व जो आपस में सामंजस्य नहीं बना सकते आपस में टकराते हैं तो चिंगारी निकलना, आग का उठना, किसी का सुलगना, किसी का जलना तय है  !

कहा भी गया है 'पत्थर से सिर मारोगे तो आपका ही सिर फटेगा', पत्थर का कुछ नहीं बिगड़ने वाला......कठोर चीजें अक्सर अपने निशान स्थाई रूप से  छोड़ जातीं हैं और वह निशान कभी नहीं मिटते जीवन भर वह निशाँ वह जख्म  परेशान करते रहतें है !

किन्तु कोमल और मुलयाम वस्तुएं किसी पर भी, कहीं पर भी  बिना वजह के निशान या रगड़ नहीं छोड़तीं, कोई जख्म नहीं देती, ठीक उसी तरह कोमल, मृदुभाषी व्यक्तित्व का धनी व्यक्ति भी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचा सकता, किसी का बुरा नहीं कर सकता वह अपनी छाप दूसरों पर छोड़ता जरूर है पर एक अच्छी छाप जिसमें किसी का नुक्सान न हो, जिसमें कोई चिंगारी न हो, जिसमें कोई आग न हो !

इसके विपरीत कठोर और निष्ठुर व्यक्तित्व का व्यक्ति हमेशा किसी न किसी को कोई न कोई जख्म देकर ही जाता है और लोग उसे आसानी से नहीं भूलते वह उन्हें जिंदगी भर याद रखतें हैं उसकी अच्छाइयों की वजह से नहीं बल्कि उसकी बुराइयों की वजह से....!

जिस तरह दो पत्थर आपस में रगड़ कर आग पैदा कर सकतें हैं किन्तु दो मुलयाम चीजों को एक साथ रगड़ने से चिंगारी या आग कभी पैदा नहीं हो सकती और जब एक वस्तु कठोर हो और एक वस्तु जो की मुलयाम हो और उन्हें आप चाहे तो कितनी देर तक भी रगड़ें उससे आग कभी पैदा नहीं होगी, उसमें आप चिंगारी पैदा नहीं कर सकते !

जिस तरह एक पत्थर के साथ आप एक मुलयाम रबर की गेंद को रगड़ कर चिंगारी कभी पैदा नहीं कर सकते.....उसी तरह अगर आप मृदुभाषी, सरल, कोमल व्यक्तित्व के धनी हैं तो पत्थर दिल, निष्ठुर व्यक्ति भी आप से लड़ कर कभी भी आपके अंदर द्वेष व घृणा की आग  पैदा नहीं कर सकता !

इसलिए कोमल बनिए, ताकि कोई भी पत्थर आपसे कितना भी टकराए परन्तु चिंगारी न पैदा कर सके.....! 

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