तू जम के उड़ पर यूँ न इतरा इतना ओ ‘पतंग’, तेरी 'डोर' तो हम रखतें हैं, जूनून इतना है की जिस दिन-जब चाहें, किसी की भी जमीं खिसकाने का दम रखतें हैं !


कुछ बातें, कुछ चीजें अक्सर हमारे जीवन में घटती हैं,

जीवन में आपके साथ अनेकों बार और शायद बार-बार ऐसा हुआ होगा की किसी ने आपको अपने कम तजुर्बे का, अपने अल्प-ज्ञान का रोना रो कर, अपनी पतंग और उसकी डोर आपके हाथों में थमाई होगी, अपनी कमजोरी, अपने कम तजुर्बे का हवाला देकर अपनी पतंग आसमान तक पहुँचाने के लिए आपको आगे किया होगा ओर आपने अपनी सारी ताकत और क्षमता के साथ हवाओं के विपरीत जाकर भी  पतंग को आसमान पर, ऊँचाईयों पर पहुंचाया होगा !

जी हाँ, आपने ऐसा जरुर बहुत सी बार, हो सकता है बार-बार  किया होगा या आपके साथ ऐसा हुआ होगा, जरा पीछे मुड कर अपने सफर को देखिएगा तो आपका उत्तर होगा “यस” बिलकुल सही !

जी हाँ, यह आपका बड़प्पनहै, आप इसके लिए बधाई के पात्र हैं, आप महान हैं, आप तारणहार हैं की आपने किसी का उद्दार किया पर अगर आपने गौर किया हो तो जैसे ही आपने दूसरे की पतंग को ऊँचाई पर आसमान में स्थापित किया होगा, तुरंत ही आपके हाथ से उस पतंग कि डोर थमा कर माननीय काम तजुर्बेकार अल्पज्ञानी को दे दी गई होगी....ताकि वह पतंग और उसकी ऊँचाइयों का आनन्द ले सके, जी हाँ फर्श से अर्श का भरपूर आनंद ले सके!

और फिर इसके तुरंत बाद ही आपके हाथ में एक और नई डोर और एक नई पतंग थमा दी गई होगी या थमा दी जायेगी किसी को फिर फर्श से अर्श तक पहुंचाने के लिए, क्योंकि फिर कोई ऐसा आपके सामने होगा जिसका तजुर्बा, जिसकी काबिलियत शून्य बताई जायेगी सिर्फ और सिर्फ पतंग के ऊपर पहुंचने तक और एक बार उसकी पतंग आपके सहारे के आसमान पर चढ़ गई तो वही माननीय सबसे काबिल, सबसे सक्षम दिखने लगेंगें और उसी क्षण पतंग की डोर उनको थमा दी जायेगी यही वह समय होगा जब आपको लगने लगेगा की आपका काम सिर्फ और सिर्फ दूसरे को मुकाम और नाम दिलाने का है, हर बार इक नई डोर और इक नई पतंग.....!

जिसने उड़ती हुई पतंग को थामा है उसको हमेशा एक भय सताता रहेगा कटने काफटने का......  क्योंकि जिस क्षण पतंग कटी, तब......अर्श से फर्श पर, शून्य का सफर-शून्य पर खत्म !

न उसके हाथ पतंग होगी न ही हाथ में डोर,
जैसे ‘दीपक’ बिन बाती और घी का, जहां हर ओर-अन्धकार घनघोर !

लेकिन एक बात हमेशा गाँठ  बाँध लेना मेरे दोस्त, की हर दिन नई पतंग, हर दिन नई डोर का आपका जो तजुर्बा है वह ताउम्र आपके साथ रहेगा-आपके पास रहेगा, जीवन भर जिंदगी के हर क्षेत्र  में, कर्मक्षेत्र में, परिवार में क्योंकि आपका तजुर्बा, आपकी हिम्मत, आपकी मेहनत, आपका जूनून आपका है, वह किसी बैसाखियों का मोहताज नहीं इसे आपसे कोई नहीं छीन सकता, कभी भी नहीं, किसी भी हालत में नहीं.....न ही कटने का डर और न काटने की होड़ !

गर ऊँचाइयाँ न भी मिले, जमीं तो मेरी है.....,
तू जम के उड़, तू झूम के उड़, पर यूँ इतना न इतरा ओ ‘पतंग’, 
पर तेरी 'डोर' तो थामे  हम रखतें हैं,
और जूनून हममें इतना है की जिस दिन-जब चाहें,
किसी की भी जमीं  खिसकाने का 'दम' हम रखतें हैं !

जी हाँ,
'आप हारे नहीं, आप हीरे हैं.....आप बिन-मोल नहीं, आप अन-मोल हैं' !




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