अपने बंधन खोल दो....!
जब में यह कहता हूँ की अपने बंधन खोल
दो…..,
तो ध्यान देने वाली बात यह है की वह
बंधन कौन से हैं ,
१)
अपनी छोटी सोच के,
२)
अपने अंदर के बच्चे के,
३)
अपनी मुस्कान के,
४)
अपने किसी को कुछ देने के,
५)
अपनी बंद मुट्ठी के,
६)
अपनी चाहत के,
७)
अपने अपनों में मिठास
के,
८)
लोगों को कुछ देने की राहत के,
९)
अपने सपनों के,
१०)
अपने विचारों के,
११)
अपनी नकारात्मकता के,
१२)
अपनी परेशानियों के,
१३)
अपनी उलझनों के,
१४)
अपने दुखों के,
१५)
अपने शौक के,
१६)
अपनी नफ़रत के,
१७)
अपने अहम के,
१८)
अपने वहम के,
१९)
अपने अभिमान के,
२०)
अपने तनाव के !
और साथ ही यह भी ध्यान देने वाली
बात है की अपने किन बंधनों को दायरों में रहने देना है,
नियंत्रण में रखना है, किन
बंधनों को नहीं खोलना है.....,
१)
अपने रिश्तों की अहमियत के,
२)
अपने शब्दों के,
३)
अपने संस्कारों के,
४)
अपने आचरण के,
५)
अपनी ताकत के,
६)
रिश्तों में दायरों के,
७)
अपनी जबान के,
८)
अपने आत्म्सम्म्मान के,
९)
अपने स्वाभिमान के,
१०)
अपने अधिकारों के !

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